साक्षात्कारः मिस यूनिवर्स हरनाज कौर संधू ने कहा- लड़कियां वह सब करें जो उन्हें पसंद है
हरनाज कौर संधू ने कहा कि पारिवारिक फिल्में बननी अब कम हुई हैं लेकिन फिल्में समाज का आईना होती हैं इस बात को कोई नकार नहीं सकता। फिल्में सीधे सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों आदि पर प्रहार करती हैं। ये मैं मानती हूं फिल्मों का इतिहास पहले के मुकाबले बदला है।
सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीत कर अधिकतर महिलाएं मायानगरी का ही हिस्सा बनती हैं। लेकिन हरनाज कौर संधू की सोच इससे थोड़ी विपरीत है। वह हाल ही में मिस यूनिवर्स बनीं हैं। 21 वर्ष बाद यह सम्मान किसी भारतीय महिला को मिला है। फिल्मों का हिस्सा बनने पर उन्हें परहेज नहीं है, लेकिन सब्जेक्ट समाज से ताल्लुक रखते हों। इस सप्ताह वह दिल्ली में थीं, कुछ ब्यूटी इंवेंट में भाग लेना था। उसी दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर डॉ. रमेश ठाकुर के साथ खुलकर बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से-
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प्रश्नः अक्सर देखा गया जो वूमेन मिस वर्ल्ड या मिस यूनिवर्स बन जाती हैं वह सीधे मायानगरी का ही रुख करती हैं?
उत्तर- इसमें बुराई क्या है? मिस वर्ल्ड या मिस यूनिवर्स को छोड़ दो, देश की प्रत्येक चौथी लड़की का सपना फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का होता है। इस क्षेत्र में लड़कियां अपना कॅरियर बनाना चाहती हैं। दरअसल, फर्क हमारी नीयत में होता है, हम उसे अच्छे नजरिए से देखें या बुराइयों से जोड़कर। विश्व पटल पर हमारी फिल्म इंडस्ट्री की एक अलग पहचान है। सालाना सबसे ज्यादा फिल्में बनाने का रिकॉर्ड भी हमारे नाम है। मैं बस इतना कहूंगी कि इंसान को सब कुछ करना चाहिए जो उन्हें पसंद हो।
प्रश्नः सिनेमा के प्रति लोगों का नजरिया अब पहले के मुकाबले बदला है?
उत्तर- पारिवारिक फिल्में बननी अब कम हुई हैं लेकिन फिल्में समाज का आईना होती हैं इस बात को कोई नकार नहीं सकता। फिल्में सीधे सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों आदि पर प्रहार करती हैं। ये मैं मानती हूं फिल्मों का इतिहास पहले के मुकाबले बदला है। पर, ऐसे दौर में भी सामाजिक जागरूकता फैलाने वाली फिल्मों का निर्माण होता है। वह अलग बात है कि कुछ लोग फिल्मों के जरिए सिर्फ पैसा ही कमाना चाहते हैं।
प्रश्नः प्रतियोगिता के दौरान ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन विषय को चुनने की कोई खास वजह?
उत्तर- जी हां, मैंने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन विषय को इसलिए चुना था ताकि मेरा संदेश पूरी दुनिया तक फैल सके। पर्यावरण एक बड़ा विषय है जिस पर विमर्श होना चाहिए। समूचे संसार का पर्यावरण दूषित है जिसका कारण हम सब हैं। हमने ही अपनी असफलताओं के माध्यम से पर्यावरण को मरने पर विवश किया है। पर्यावरण को पूर्ववत करने का अभी भी समय है। हमें अतिरिक्त बिजली खपत को बंद करना चाहिए और जितना हो सके उतना योगदान देना चाहिए।
प्रश्नः घर के लोग आपको किस नाम से पुकारते हैं?
उत्तर- वैसे तो कई निक नेम्स हैं जिनसे मुझे पारिवारिक सदस्य और सगे-संबंधी बुलाते हैं। प्रचलित नाम तो कैंडी ही है। पिताजी को ये नाम अच्छा लगता है। मम्मी सोनू और लाडो भी प्यार से बुलाती रही हैं।
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प्रश्नः मिस यूनिवर्स बनने के बाद अब आप फिल्में ही करेंगी या भविष्य में कुछ और प्लानिंग है?
उत्तर- देखिए, मेरा जन्म गुरदासपुर के एक छोटे से गांव में हुआ था, परवरिश में सभ्यता और संस्कार रहे हैं। हर अच्छी-बुरी चीज को गहराइयों से समझती हूं। इसलिए ताउम्र ऐसा करूंगी जिससे समाज का भला हो। सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करना शुरू से रहा है। मॉडलिंग-अभिनय पहले से करती आई हूं, अच्छे सब्जेक्ट पर फिल्में भी करूंगी, पर दायरे में रहकर। ऐसा कुछ नहीं करूंगी जिसे परिवार पसंद न करे।
प्रश्नः ब्यूटी पेजेंट को ही आपने अपना कॅरियर क्यों चुना?
उत्तर- बचपन से सपना था। सभी मेरी खूबसूरती की तारीफ किया करते थे। मिस प्रतियोगिताओं और फिल्मों में जाने की सलाह दी जाती थी। इसलिए मैंने अपना कॅरियर ब्यूटी पेजेंट में ही बनाना शुरू किया। इसके लिए मैंने अपनी फिटनेस और योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाया हुआ है। मैंने 17 वर्ष की उम्र से ही ब्यूटी प्रतियोगिताओं में भाग लेना आरंभ कर दिया था। 2017 में मिस चंडीगढ़ का खिताब जीता और 2018 में मिस इमर्जिंग स्टार इंडिया बनी। उसके बाद फेमिना मिस इंडिया पंजाब-2019 हुई फिर फेमिना मिस इंडिया में टॉप-12 में जगह बनाई थी। ये सिलसिला अब मिस यूनिवर्स तक चला आया है।
प्रश्नः इसके अलावा कोई और कॅरियर जिसमें जाना पसंद करती हों?
उत्तर- मिस यूनिवर्स नहीं बनती, तो पत्रकारिता में जाती। ये एक बेहतरीन सामाजिक पेशा है। दूसरों की बातों को आप बल देते हैं। तरीके से करो तो इससे बेहतर दूसरा रचनात्मक क्षेत्र कोई और नहीं हो सकता।
-डॉ. रमेश ठाकुर
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