जब अपराधी कानून को कठपुतली बनाकर रखते हैं तो बेटियाँ कैसे सुरक्षित रहेंगी ?

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जिस तरह से 6 दिसंबर 2019 को हैदराबाद की बेटी के चारों रेपिस्ट व क्रूर हत्यारों को जब तेलंगाना पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया, तो उसके बाद पीड़ित को मिले त्वरित न्याय का जश्न अधिकांश देशवासियों ने जमकर मनाया।

देश में बेटियों के प्रति लगातार इंसानियत को शर्मसार करने वाली हृदय विदारक घटनाओं का शर्मनाक दौर जारी है। आये दिन कहीं ना कहीं कोई माता, बहन, बेटी इन इंसानियत के नाम पर कंलक, जाहिल, वहशी, राक्षस, दरिंदों की दरिंदगी का शिकार हो जाती है, ये हालात आज देश में महिलाओं की जानमाल की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गये हैं। सबसे बड़ी अफसोस की बात यह है कि ये हाल संस्कारों के अभाव में हमारे प्यारे उस देश में आज उत्पन्न हो गये हैं, जिस देश की संस्कृति में स्त्री को सर्वोच्च स्थान देकर पूजा जाता है जहां कदम-कदम पर माता, बहन व बेटियों के सम्मान की खातिर प्राण न्यौछावर करना सिखाया जाता था। वैसे तो कानून के कम होते सम्मान व भय के चलते देश में हर तरह के अपराध चरम पर हैं लेकिन आज के हालात में देखें तो देश की राजधानी सहित अधिकांश राज्यों की स्थिति यह है कि वहां अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और सभी राज्यों में महिलाओं के प्रति अपराध चरम पर हैं। सभी जगह भोली भाली जनता अपराध व अपराधियों से त्रस्त है, अपने आकाओं की कृपा से व भ्रष्ट सिस्टम के आशीर्वाद से अपराधी बेखौफ कानून को अपनी जेब में रखकर अपराध करने में मस्त हैं। लेकिन देश में महिलाओं के प्रति जिस तरह अपराध बढ़े हैं वह स्थिति बेहद चिंताजनक है। उसके लिए कहीं ना कहीं हमारे समाज में लोगों के कम होते संस्कार, आज के व्यवसायिक दौर में खत्म होती नैतिकता, आपस में एक दूसरे की मदद ना करने का भाव भी जिम्मेदार है।

लेकिन जिस तरह से 6 दिसंबर 2019 को हैदराबाद की बेटी के चारों रेपिस्ट व क्रूर हत्यारों को जब तेलंगाना पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया, तो उसके बाद पीड़ित को मिले त्वरित न्याय का जश्न अधिकांश देशवासियों ने जमकर मनाया। चंद लोगों को छोड़कर सभी ने पुलिस के इस कदम की जमकर सराहना की थी। लेकिन उसी समय हैदराबाद की तरह 5 दिसंबर 2019 को हैवानियत का शिकार बनी उन्नाव की रेप पीड़िता बहादुर बेटी दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रही थी। वो बहादुर बेटी जीवन जीने के संघर्ष भरे इस दौर में खुद को इंसाफ मिलने की उम्मीद दिल में पाले, शरीर के साथ ना देने के चलते कार्डियक अरेस्ट होने के कारण आखिर में 6 दिसंबर को जिंदगी की जंग हार गयी। इस रेप पीड़ित बहादुर बेटी की दर्दनाक मौत कानून का सम्मान करने वाले प्रत्येक भारतीय को अंदर तक झकझोर गयी है, नियम कायदों का पालन करने वाले ये लोग अब सरकार से पूछ रहे है कि पिछले 1 साल से इंसाफ के लिए दर-दर ठोकर खाने वाली उन्नाव की बहादुर बेटी को आखिर इंसाफ कब तक मिलेगा दोषियों को फांसी के फंदे पर कब तक लटकाया जायेगा। लेकिन यह भी कटु सत्य है कि विश्व में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मभूमि के रूप में अपनी पहचान रखने वाले राज्य उत्तर प्रदेश के सरकारी सिस्टम की अमर्यादित आचरण व गलत कार्यशैली ने एक और बेटी की अनमोल जान को लील लिया। आज देश के कानून में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों का सरकार से सवाल है कि आखिर कब तक हमारे देश में इस तरह अपराधी कानून को अपनी कठपुतली बनाकर रखेंगे और बेखौफ होकर अपराधों को अंजाम देते रहेंगे। आज लोगों का नीति-निर्माताओं से प्रश्न है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले हमारे देश के सत्ता में आसीन राजनेताओं, पुलिस-प्रसाशन की राजशाही वाली कार्यशैली में धरातल पर कब बदलाव होगा, ये चंद ताकतवर लोग आम-आदमी के दुख-दर्द को शासन-प्रशासन की कुर्सी पर बैठकर कब महसूस करना शुरू करेंगे और सभी को समय से सस्ता-सुलभ न्याय व सभी के जानमाल की सुरक्षा की आस वाले रामराज्य की उम्मीद को पूरा करेंगे। 

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यहां आपको बता दे कि उन्नाव की पीड़िता बेटी का आरोप था कि शिवम और शुभम ने 12 दिसंबर 2018 में उसे अगवा कर गनपाइंट पर उसका रेप किया था। जिसमें पीड़िता ने 13 दिसंबर 2018 को पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। जिसके पश्चात पीड़िता ने 20 दिसंबर 2018 को एसपी रायबरेली को डाक से शिकायत भेजी लेकिन पुलिस ने फिर भी अपराधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। जिससें परेशान होकर बहादुर बेटी ने भ्रष्ट सिस्टम से हिम्मत ना हारते हुए एफआईआर दर्ज कराने के लिए न्यायालय की शरण ली। जिसके चलते इस मामले में न्यायालय ने 4 मार्च 2019 को शिवम व शुभम के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। लेकिन उसके बाद भी भ्रष्ट सिस्टम की कृपा से अपराधी बेखौफ घूमते रहे अंत में शिवम ने 19 सितंबर 2019 को न्यायालय में समर्पण कर दिया। जिसको 25 नवंबर 2019 को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी थी। जमानत मिलने के बाद से ये आरोपी पीड़िता व उसके परिवार को लगातार मुकदमा वापस लेने के लिए धमकी दे रहे थे, इसी मुक़दमे के सिलसिले में पीड़िता पैरवी के लिए रायबरेली रवाना होने के लिये गुरुवार 5 दिसंबर 2019 को सुबह करीब चार बजे बैसवारा रेलवे स्टेशन जा रही थी। तभी रास्ते में गौरा मोड़, बिहार-मौरांवा मार्ग पर मुकदमे में जमानत पर चल रहे शिवम और शुभम ने अपने कुछ साथियों की मदद से पहले लड़की पर लाठी, डंडे, चाकू से वार किया। उसके बाद ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा दी थी।

स्थानीय लोगों व पुलिस के अनुसार मदद की उम्मीद में पीड़िता जलती हुई अवस्‍था में घटनास्थल से बचाओ-बचाओ की आवाज लगाते हुए काफी दूर तक दौड़ कर आयी थी लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की। कुछ प्रत्‍यक्षदर्शियों ने जब उसे जलते देखा तो पीड़िता ने उनसे पुलिस बुलाने के लिए कहा, जिसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को इस घटना की सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने करीब 90 फीसद तक जल चुकी पीड़िता को पहले सुमेरपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीएचसी भेजा, जहां से उसे उन्नाव जिला अस्‍पताल रेफर किया गया। बाद में उसकी नाजुक स्थिति को देखते हुए जिला अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने उसको लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफ़र के लिए रेफर कर दिया था, जहां से उसे एयरलिफ्ट कर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया।

वहीं दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले में शिवम, शुभम, हरिशंकर, रामकिशोर और उमेश नामक व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। उन्नाव की इस बहादुर बेटी को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के आदेश पर 90 फीसदी जली हुई बेहद गम्भीर अवस्था में 5 दिसंबर को एयरलिफ्ट करके लखनऊ से दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल उचित इलाज के द्वारा जान बचाने के उद्देश्य से लाया गया था, लेकिन अफसोस हैवानों की दरिंदगी की शिकार इस पीड़िता ने शुक्रवार 6 दिसंबर की रात को 11 बजकर 40 मिनट पर इस बेरहम दुनिया को अपने प्राण त्याग कर हमेशा के लिए छोड़ दिया। हॉस्पिटल के डॉक्टरों के भरपूर प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। 

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देश में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हमारे देश में सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश व केंद्र सरकार के द्वारा महिलाओं के प्रति अपराध रोकने के लिए बनाये गये सख्त कानूनों के बाद भी, देश में एक पीड़ित महिला के साथ हमारे सिस्टम का कैसा व्यवहार होता है उन्नाव की यह शर्मनाक घटना उसकी मिसाल है। इंसानियत को कलंकित करने वाली यह घटना हम सभी के सामने हमारे देश के भ्रष्ट सिस्टम की एक बार फिर पोल खोल गयी है कि हमारा सिस्टम पीड़ित की नहीं बल्कि अपराधियों की सुनता है, वो कहीं ना कहीं लोभ-लालच व सिफारिशों के दवाब में गुंडे-मवालियों के हाथ की कठपुतली बनकर रह गया है। इस घटना के बाद देश के आमजनमानस में जबरदस्त आक्रोश है लोग त्वरित न्याय के लिए जगह-जगह सड़कों पर धरना-प्रदर्शन, कैंडल मार्च कर रहे हैं, सरकार लोगों को अपराधियों को जल्द से जल्द सख्त से सख्त सजा देने का आश्वासन दे रही है। परंतु यह भी सच है कि सही ढंग से ईमानदारी से देश की बेटियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए समाज व सिस्टम कोई भी वर्ग तैयार नहीं है, अधिकांश मामलों में रक्षक ही बेटियों के भक्षक बनने पर तुले हुए हैं जो चरित्रहीनता व संस्कारहीनता का परिचायक है। लेकिन अब समय आ गया है कि देश में मातृशक्ति को सुरक्षित रखने के लिए हम सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से पालन करना होगा। सरकार व सिस्टम को भी अपराधियों में कानून का भय व सम्मान पैदा करने के लिए इस तरह के मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामला चलाकर अपराधी को जल्द से जल्द सख्त सजा देकर समाज के सामने नजीर पेश करनी होगी, तब ही इस हालात में सुधार हो पायेगा और देश में मातृशक्ति सुरक्षित रह पायेंगी।

-दीपक कुमार त्यागी

(स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार)

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