चंद्रमा के मिशन पर जाने को तैयार चंद्रयान-2, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार उतरेगा कोई यान
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग में अब मात्र दो दिन का समय शेष रह गया है। चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 15 जुलाई को तड़के दो बज कर 51 मिनट पर होगा। जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट इसे लेकर अंतरिक्ष में जाएगा।
चाहे वो चांद से मोहब्बत हो या चंदा मामा की कहानियां धरती की धड़कनों में चांद हमेशा से धड़कता रहा है। वैसे तो चंद्रमा धरती का स्थायी उपग्रह है और इसके चमक ने हमेशा से इंसानों को अपनी ओर खींचा है। वैसे तो अब तक 12 लोग चांद पर कदम रख चुके हैं। लेकिन मोदी सरकार ने चांद को मुट्ठी में करने की ओर अपने कदम तेजी से बढ़ा दिए हैं। लाल किले से साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष मिशन को लेकर एक बहुत बड़ी बात कही थी कि वर्ष 2022 तक भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में गगन यान भेजने का संकल्प लिया है। मोदी ने अंतरिक्ष में भी भारतीयों को भेजने की बात लाल किले की प्राचीर से कही थी, जिस पर मुहर लग गई है। ऐसा बहुत कम होता है कि इतने कम वक्त में ही जो संकल्प किया उससे तय समय से पहले पूरा कर लिया जाए।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग में अब मात्र दो दिन का समय शेष रह गया है। चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से 15 जुलाई को तड़के दो बज कर 51 मिनट पर होगा। जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट इसे लेकर अंतरिक्ष में जाएगा। अगर चंद्रयान-2 से चांद पर बर्फ की खोज हो पाती है तो भविष्य में यहां इंसानों का प्रवास संभव हो सकेगा। जिससे यहां शोधकार्य के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान में भी नई खोजों का रास्ता खुलेगा। लॉन्चिंग के 53 से 54 दिन बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान- 2 की लैंडिंग होगा और अगले 14 दिन तक यह डेटा जुटाएगा।
'चंद्रयान-2 के जरिए इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जा रहा है जहां आज तक कोई नहीं पहुंच पाया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक किसी भी देश की उपस्थिति दर्ज नहीं हो सकी है। लेकिन अब भारत अपने चंद्रयान- 2 को उतारकर इतिहास बनाने जा रहा है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य की किरणे सीधी नहीं बल्कि तिरछी पड़ती हैं। इसलिए यहां का तापमान बहुत कम होता है। इससे पहले भी भारत ने चांद पर
मिशन चंद्रयान- 1 को 22 अक्तूबर 2008 लॉन्च किया गया था। जिसकी लागत 386 करोड़ रुपये थी। चंद्रयान-1 का वजन 1380 किलो ग्राम था। वहीं चंद्रयान-2 को 15 जुलाई 2019 को लॉन्च किया जाएगा। इसकी लागत 978 करोड़ रुपये है और वजन 3877 किलोग्राम।
चंद्रयान-2 का उद्देश्य
चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा का अध्ययन करेगा।
इसके अलावा चंद्रयान-2 चंद्रमा के मौसम और उसकी सतह में मौजूद खनिजों का अध्ययन करेगा।
चांद की सतह की मिट्टी के तत्वों का अध्ययन करेगा चंद्रयान-2।
चांद की सतह की मिट्टी के तत्वों का अध्ययन।
गौरतलब है कि इसरो ने आठ जुलाई को अपनी वेबसाइट पर चंद्रयान की तस्वीरों को जारी किया। इसकी जानकारी देते हुए इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर के सिवान ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईएसटी) के सातवें दीक्षांत समारोह में कहा कि चंद्रयान-2 को प्रक्षेपण यान के साथ एकीकृत कर दिया गया है।
- अभिनय आकाश
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