योगी को अयोध्या और मौर्या को सिराथू से चुनाव लड़ाकर सबके समीकरण बिगाड़ सकती है भाजपा
भाजपा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके चुनाव लड़े या नहीं, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार योगी होंगे या नहीं, इस बारे में हालांकि अंतिम फैसला संसदीय बोर्ड ही करेगा लेकिन पार्टी में यह सहमति बन चुकी है कि योगी को आगे कर चुनाव लड़ा जायेगा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए सभी पार्टियाँ कमर कस रही हैं। जहाँ तक बात सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी की है तो वह इस दिशा में प्रयासरत है कि सत्ता बनी रहे। इसके लिए पार्टी तेजी से काम भी शुरू कर चुकी है। आने वाले दिनों में भाजपा की ओर से जो कदम उठाये जायेंगे वह पार्टी को तो मजबूती प्रदान करेंगे लेकिन विपक्ष के सारे बन चुके या बनने वाले समीकरण बिगाड़ देंगे। यही नहीं एक बात आपको और बता दें कि मीडिया में पिछले दिनों भाजपा संगठन की जिन बैठकों को उत्तर प्रदेश में संभावित परिवर्तन की कवायद के रूप में देखा गया दरअसल वह बैठकें चुनावी तैयारियों को लेकर थीं। भाजपा योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यों और उपलब्धियों को लेकर चुनाव मैदान में तो जायेगी ही साथ ही केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं के उत्तर प्रदेश में किये गये सबसे तेज और सबसे सही क्रियान्वयन के बारे में भी लोगों को बतायेगी।
इसे भी पढ़ें: विधानसभा चुनावों में भाजपा को बिखरे हुए विपक्ष का सामना करना पड़ सकता है
कौन बनेगा सीएम उम्मीदवार ?
भाजपा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करके चुनाव लड़े या नहीं, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ होंगे या नहीं, इस बारे में हालांकि अंतिम फैसला भाजपा संसदीय बोर्ड ही करेगा लेकिन पार्टी में यह सहमति बन चुकी है कि योगी को आगे कर चुनाव लड़ा जायेगा लेकिन बड़े चेहरे के रूप में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहेंगे। इसकी शुरुआत हो भी चुकी है। सभी को मुफ्त कोरोना रोधी टीका लगाने के केंद्र के फैसले के मद्देनजर प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते पोस्टर और होर्डिंग लगाये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश से संबंधित भाजपा की हालिया बैठकों से वाकिफ पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के हाई प्रोफाइल चुनाव प्रचार का लाभ नहीं होने को पार्टी ने गंभीरता से लिया है और उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार की दशा और दिशा नये तरीके से तैयार की जा रही है। यही नहीं उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में किन प्रदेशों के नेताओं और संगठन के कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगायी जायेगी इसके लिए सूचियां बनायी जाने लगी हैं। इसके साथ ही प्रदेश में भाजपा ने अपनी सोशल मीडिया टीम के विस्तार और टीम सदस्यों के प्रशिक्षण की तैयारी भी कर ली है ताकि चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष की ओर से सोशल मीडिया पोस्टों द्वारा किये जाने वाले वारों का जवाब दिया जा सके।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को साधेगी भाजपा
भाजपा के विश्वस्त सूत्रों का यह भी कहना है कि मीडिया के एक वर्ग में जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्थिति कमजोर बतायी जा रही है और कुछ किसान नेताओं की ओर से कहा जा रहा है कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को गाँवों में घुसने नहीं दिया जायेगा, उसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भाजपा अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत कर सकती है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली यहाँ कराये जाने के अलावा गृहमंत्री अमित शाह से सघन चुनाव प्रचार कराये जाने की भी योजना बनायी जा रही है। यही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से विपक्ष के कई बड़े नेता आने वाले दिनों में भाजपा में शामिल होने वाले हैं।
इसे भी पढ़ें: योगी और मौर्या का जो बंगला है, उसमें रहने वाले नेताओं की कभी आपस में बनती ही नहीं है
मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री भी चुनाव लड़ेंगे !
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव चूँकि अगले साल फरवरी और मार्च में ही होने हैं और उस समय पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए पार्टी उत्तर प्रदेश पर पूरा ध्यान केंद्रित कर सके इसके लिए जातिगत और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए प्रत्याशियों के चयन की कवायद भी शुरू कर दी गयी है। पार्टी के वर्तमान विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ताओं से तो मशविरा किया ही जा रहा है साथ ही जनता के बीच भी सर्वे कराया जा रहा है। जल्द ही केंद्र और प्रदेश के बड़े नेताओं के भी राज्य के विस्तृत दौरे होंगे और इस दौरान भी वह अपनी राय से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करायेंगे। जहाँ तक प्रत्याशियों के नामों की बात है तो माना जा रहा है कि वह अगले साल मकर संक्रांति के बाद ही आयेगी लेकिन पार्टी इस बात का लगभग मन बना चुकी है कि इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दूसरे उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा भी विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि यह तीनों नेता अभी विधान परिषद के सदस्य हैं। इन तीनों ही नेताओं को आसान सीट से इसलिए भी चुनाव लड़ाया जायेगा ताकि वह अन्य क्षेत्रों में चुनाव प्रचार पर ध्यान केंद्रित कर सकें। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से चुनाव लड़ाये जाने की चर्चा है। उल्लेखनीय है कि जब योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तब भी उन्हें अयोध्या से विधानसभा का उपचुनाव लड़ाये जाने की चर्चा थी। योगी सरकार ने अयोध्या में विकास के खूब काम किये हैं और अब तो वहाँ भव्य श्रीराम मंदिर भी बन रहा है। इसका लाभ वहाँ चुनावों में भाजपा को मिलना तय ही है। जहाँ तक उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की बात है तो उन्हें उसी सिराथू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाया जा सकता है जहाँ से वह वर्ष 2012 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। केशव प्रसाद मौर्य ने यहाँ जीत दर्ज कर पहली बार सिराथू सीट भाजपा के खाते में डाली थी। दूसरे उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को लखनऊ पश्चिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाये जाने की चर्चा है। इस सीट के निवर्तमान विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता सुरेश श्रीवास्तव का हाल ही में निधन हो गया था। विधान परिषद के अन्य सदस्यों में मोहसिन रजा को भी इस बार विधानसभा चुनाव का टिकट दिये जाने की चर्चा है।
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल से सबक लेते हुए भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सांसदों को तो नहीं उतारेगी लेकिन उन लोगों के आवेदन पर विचार किया जा रहा है जो पूर्व में सांसद रह चुके हैं या फिर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे नेताओं में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे बिजय सोनकर शास्त्री का नाम भी लिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की ओर से एक सिने स्टार को भी उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा है इसके साथ ही भाजपा ने यह भी तय किया है कि टिकट वितरण में किसी भी प्रकार के परिवारवाद से पूरी तरह बचा जायेगा। बहरहाल, अभी चुनावों तक इस तरह की अटकलें चलती रहेंगी और नामों पर अंतिम मुहर भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ही लगायेगी लेकिन यह सही है कि भाजपा अपने उम्मीदवारों के बारे में मंथन करना शुरू कर चुकी है और चुनावी तैयारियों के मामले में अन्य दलों से इस समय काफी आगे निकल चुकी है।
-नीरज कुमार दुबे
अन्य न्यूज़