ढाई साल से वन मैन आर्मी की तरह सरकार चला रहे योगी के खाते में कई उपलब्धियाँ भी
योगी सरकार द्वारा बिजली की दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की करोड़ों खासकर मेहनतकश जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढ़ेगा।
भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने एक नयी संस्कृति को जन्म दिया है। अब केन्द्र की मोदी सरकार हो या फिर भाजपा शासित राज्यों की सरकारें सब की सब जनता के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने को लेकर काफी उतावली रहती हैं। पूर्व में जो चलन देखने को मिलता था उसमें केन्द्र और राज्य की सरकारें साल−दर−साल अपनी उपलब्धियां जनता के सामने रखती थीं, लेकिन जब से मोदी युग शुरू हुआ है तब से 100 दिन, छह−छह महीने के काम का हिसाब जनता को दिया जाने लगा है। इसी क्रम में आजकल मोदी सरकार अपने सौ दिन पूरे होने का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश कर रही है तो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 19 सितंबर से अपनी सरकार के ढाई साल के कामों का लेखा−जोखा जनता के सामने रखेगी। यह नई परम्परा है तो इसके फायदे भी अनेक हैं। इस परम्परा को सरकार की मार्केटिंग का फंडा भी कहा जा सकता है। एक तरफ सरकार को रिपोर्ट कार्ड के बहाने अपनी पीठ थपथपाने का मौका मिल जाता है तो साथ ही सरकार के कामकाज में पारदर्शिता भी बनी रहती है। इसका प्रभाव यह होता है कि पांच साल बाद जब चुनाव होते हैं तब जनता के सामने अपनी सरकार के कामकाम का ढिंढोरा पीटने में ज्यादा मेहनत नहीं पड़ती है। 19 सितंबर 2019 को योगी सरकार के ढाई साल पूरे हो जाएंगे।
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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपने ढाई साल के कामकाज को जनता के सामने रखने की तैयारी कर रही है तो स्वयं मुख्यमंत्री योगी इसके लिए मोर्चा संभाले हुए हैं। योगी जी स्वयं अपनी सरकार की उपलब्धियां और आगे का ऐक्शन प्लान बताएंगे। इसी के साथ प्रभारी मंत्री हर जिले में बताएंगे किन क्षेत्रों में हुआ यूपी नंबर वन। इसी के साथ रेडियो, टीवी व सिनेमाघरों में भी गूंजेंगे विकास के सुर तो गांव−गांव तक पहुंचेगी सरकार की उपलब्धियों की वैन। लाभार्थियों से संवाद के जरिए भी योगी सरकार अपनी विकास गाथा लोगों तक पहुंचाएगी। जिन योजनाओं में यूपी पहले फिसड्डी था और अब नंबर वन है, उन पर खास जोर होगा। इस क्रम में पीएम आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, एमएसएमई, डीबीटी, कौशल विकास नीति, ई−टेंडरिंग, ग्राम्य विकास की योजनाओं में सर्वाधिक पुरस्कार, वंचितों के द्वार पहुंची सरकार, मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहे वनटांगिया, कोल, मुसहर और थारू जनजाति के विकास के लिए उठाए गए कदम, सीएम अध्यापक पुरस्कार, व्यापारी कल्याण बोर्ड, सामूहिक विवाह, सुपोषण से लेकर कन्या सुमंगला तक सब पर बात होगी। गांव−किसान कल्याण, कर्जमाफी, पीएम किसान सम्मान निधि में सर्वाधिक भागीदारी, गन्ना मूल्य का रेकॉर्ड भुगतान, गेहूं, धान, मक्का, दलहन, तिलहन की रेकॉर्ड खरीद। उज्ज्वला, सौभाग्य की रोशनी और बिजली की बेहतर आपूर्ति से लेकर राशन वितरण तक पर सरकार अपनी पीठ थपथपाएगी।
निवेश को लेकर बदले परिवेश को भी सरकार प्रचार का अहम एजेंडा बनाएगी। इन्वेस्टर्स समिट, दो ग्राउंड ब्रेकिंग सेरमनी में जमीन पर उतरे प्रॉजक्ट, डिफेंस कॉरिडोर से लेकर ओडीओपी तक उपलब्धियों की सूची में शुमार होंगे। सेहत का डोज, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, इंसेफलाइटिस पर करारा प्रहार, इंद्रधनुष अभियान और आयुष्मान से छूटे 11 लाख परिवारों के लिए सीएम जन आरोग्य योजना तक पर संवाद होगा। कायाकल्प योजना के जरिए प्रदेश के बेसिक स्कूलों की बदली तस्वीर दिखाकर सरकार बताएगी कि कैसे प्राथमिक स्कूलों को बच्चों का भविष्य संवारा जा रहा है। नकल विहीन परीक्षा के बारे में भी सरकार बताएगी। कुंभ, दीपोत्सव से लेकर जिन सांस्कृतिक सरोकारों को भाजपा ने अपना कोर एजेंडा बनाया था, उसे कार्ययोजना में उतारना भी उपलब्धियों का हिस्सा होगा। दीपोत्सव, कुंभ में उपस्थिति के टूटे सारे रेकॉर्ड से लेकर होलिकोत्सव, कृष्ण जन्मोत्सव व कांवड़ यात्रा से भी सरकार जनता से दाद चाहेगी।
गौरतलब है कि योगी सरकार के दो साल पूरे हुए तो उपलब्धियों पर पीठ थपथपाने और जश्न मनाने का मौका नहीं मिला। लोकसभा चुनाव के कारण लगी आचार संहिता ने सरकार के लिए प्रचार के रास्ते बंद कर दिए थे। हालांकि, चुनाव के नतीजों ने बिना मेगा ब्रैंडिंग के ही सरकार को पूरे नंबर दे दिए। अब 19 सितंबर को सरकार के ढाई साल पूरे हो रहे हैं तो तब की कमी अब पूरा करने की तैयारी है। सरकार उपलब्धियों की मेगा ब्रैंडिंग की तैयारी में है। सूचना विभाग के साथ सीएम और मंत्री भी इस अभियान में पसीना बहाएंगे।
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कुल मिलाकर सितंबर−अक्टूबर में उपलब्धियों की ब्रैंडिंग का मेगा अभियान तैयार किया गया है। हर क्षेत्र में उपलब्धियों की फेहरिस्त जनता तक पहुंचाने के लिए तैयार की जा चुकी है। सरकारी सूत्रों को लगता है कि पिछले ढाई साल में योगी सरकार ने कई मील के पत्थर हासिल किए हैं। जनसंवाद, प्रेस वार्ता, सोशल मीडिया सहित विभिन्न माध्यमों से प्रदेश के हर कोने तक सरकार के अहम काम और जन उपयोगी उपलब्धियों को पहुंचाया जाएगा।
विपक्ष योगी सरकार को घेरने के लिए कस रहा है कमर
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को अपनी सरकार मे सब कुछ 'हरा ही हरा' नजर आ रहा है। सरकार को लगता है उसके कामकाज से जनता खुशहाल है। लेकिन विपक्ष को ऐसा कुछ नहीं महसूस हो रहा है। उसका कहना है कि जनता त्राहिमाम कर रही है। अपराध की बाढ़ आई हुई है। विरोधी नेताओं की तो बात अलग है, भाजपा नेता भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। उधर, सरकारी खजाना भरने के लिए जनता को नए मोटर वाहन कानून के बहाने लूटा जा रहा है। विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। मिलावटखोरी, भाजपा नेताओं की गुंडागर्दी, मॉब लिंचिग, सरकारी ठेकों में कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार, किसानों की दुर्दशा, गांव में घूमते आवारा पशु, लाल फीताशाही, जानलेवा सड़कें, मंहगी बिजली, अतिक्रमण के बोलबाले के चलते जनता का जीन मुश्किल हो गया है। वहीं योगी जी ठीक उस तरह से मस्त हैं जैसे की रोम के जलने के समय नीरो बंसी बजाते हुए मस्त था।
राज्य में जब से भाजपा की सरकार बनी है। अपराधी बेलगाम हो गए हैं। हालांकि, सरकार का दावा है कि अपराधी जेलों के अंदर हैं। लेकिन जेल में भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। अपराधी इतने शातिर हो गए हैं कि जेल में षड्यंत्र रचकर दुश्मन की जान का सौदा कर चुके हैं। बागपत की जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या करने की घटना को कौन भूल सकता है। इसके अलावा बुलंदशहर की घटना सबको याद है जिसमें उग्र भीड़ ने पुलिस इंस्पेक्टर को जान से मार दिया था। आगरा में बार एसोसियेशन के एक पदाधिकारी की कोर्ट परिसर में उसके चैम्बर में हत्या कर दी गई। हाल ही में संभल में जेल से अपराधियों को पेशी पर ले जा रही पुलिस टीम पर हमला हुआ जिसमें पुलिस वालों की जान चली गई और अपराधी पुलिस का हथियार लूटकर फरार हो गए। उसी दौरान सोनभद्र के घोरावल में आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने आए दूसरे गांव के प्रधान ने धुआंधार गोलियां चलवा कर तकरीबन दस लोगों की जान ले ली और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए।
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सोनभद्र नरसंहार पर योगी सरकार को तत्काल कदम उठाने पड़े, लेकिन कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के धरने पर बैठने से सरकार बैकफुट पर आ गई और पीड़ितों के परिजनों से प्रियंका गांधी से मिलवाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इसी तरह से जेल के अंदर रहकर बाहर पीड़ितों या फिर गवाहों की हत्या करवाना अब धीरे−धीरे आम बात होती जा रही है। जेल में मोबाइल फोन धड़ल्ले से इस्तेमाल किए जा रहे हैं। उन्नाव रेप कांड का आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर जेल में है। लेकिन उसके गुर्गे उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। उन्नाव रेप कांड की पीड़िता की हत्या की पूरी कोशिश की गई।
उत्तर प्रदेश के लोगों को योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से बिजली के मोर्चे पर भी करारा झटका दिया गया है। यूपी सरकार ने बिजली की दरों में 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है। योगी सरकार द्वारा बिजली की दरों को बढ़ाने को मंजूरी देना पूरी तरह से जनविरोधी फैसला है। इससे प्रदेश की करोड़ों खासकर मेहनतकश जनता पर महंगाई का और ज्यादा बोझ बढ़ेगा व उनका जीवन और भी अधिक त्रस्त व कष्टदायी होगा। सरकार इस पर तुरन्त पुनर्विचार करे तो यह बेहतर होगा। भाजपा किस तरह से दो तरफा चाल चलती है इसकी बानगी देखिए। पश्चिम बंगाल में जब ममता बनर्जी की सरकार बिजली दरों में बढ़ोत्तरी करती है तो वहां बीजेपी कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर हंगामा करते हैं, लेकिन यूपी में जब बीजेपी सरकार बिजली के दाम बढ़ाती है तो कोई बीजेपी वाला विरोध में सामने नहीं आता है।
प्रदेश में खाद्य पदार्थों से लेकर हर तरह की मिलावट का धंधा भी धड़ल्ले से चल रहा है। मिलावट करने वालों के खिलाफ छापा मारा जाता है, परंतु जांच की प्रक्रिया धीमी और लचीली होने के कारण मिलावटखोरों के हौसले बुलंद रहते हैं। एक तरफ जनता मिलावटी दूध−सब्जी, मिठाई आदि से डरी हुई है तो दूसरी तरफ पुलिस और नगर निगम की शह पर पूरे प्रदेश में अतिक्रमण विकराल रूप लेता जा रहा है। किसी की जबाबदेही ही नहीं तय है।
केन्द्र सरकार हाल ही में नया मोटर एक्ट लाई है जिसमें जुर्माना कई गुना बढ़ा दिया गया है। इससे सड़क पर मनमानी करने वाले वाहन चालकों की हरकतों पर लगाम लगती दिख रही है। वहीं डग्गामारी करने वाली बसों, ट्रक, आटो−टेम्पो चालकों की मनमानी बदस्तूर जारी है। इसकी वजह भी है। कमर्शियल वाहन चालकों की अपनी यूनियनें हैं। इनकी पुलिस−थानों और आरटीओ विभाग में सेटिंग रहती है। इनके द्वारा मोटी रकम थानों−पुलिस और नेताओं के पास पहुंचाई जाती है, जिस कारण वाहन चेकिंग के दौरान जांच कर्मी इनकी तरफ से मुंह मोड़ लेते हैं।
लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग या अन्य कोई विभाग जहां निर्माण का कार्य होता है। वहां भ्रष्टाचार−कमीशनखोरी चरम पर चल रही है। कमीशनखोरी से तंग आकर हाल ही में एक ठेकेदार ने तो आत्महत्या तक कर ली थी। अवैध वसूली का साम्राज्य इतना सशक्त है कि इससे कोई बच नहीं पाता है। खनन और सड़क−पुल निर्माण के ठेकेदार सरकारी वसूली के चलते अपना काम ईमानदारी से नहीं कर पाते हैं।
जहरीली शराब से होने वाली मौत भी योगी सरकार के लिए एक बड़ी समस्या है। दूसरे राज्यों में टैक्स कम होने के कारण वहां से नंबर दो की शराब धड़ल्ले से आ रही है। कच्ची शराब का भी धंधा जोरों पर है। जब कहीं कोई हादसा हो जाता है तो कुछ दिनों तक हो−हल्ला मचता है इसके बाद फिर पुराना रवैया शुरू हो जाता है। आबकारी विभाग में तैनात अधिकारियों/ कर्मचारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह आबकारी मंत्री तक के आदेश नहीं मानते हैं।
दरअसल, योगी जी के काम करने की शैली भी कई समस्याओं को जन्म दे रही है। योगी को अपने नेताओं से अधिक भरोसा ब्यूरोक्रेसी और अधिकारियों पर है। योगी जी का सख्त आदेश है कि किसी विधायक/मंत्री के कहने पर अधिकारी कोई फैसला न लें। इसकी आड़ में अधिकारी खूब मनमानी करते हैं। अगर कोई विधायक या मंत्री सही बात भी अधिकारियों से कहता है तो योगी जी का आदेश दिखा कर उसे मुंह बंद करने को मजबूर कर दिया जाता है। इस पर भी कोई नेता नहीं मानता है तो अधिकारी ऐसे नेता के खिलाफ काम में दखलंदाजी का ढिंढोरा पीट कर हो−हल्ला मचाने लगते हैं।
लब्बोलुआब यह है कि योगी जी वन मैन आर्मी की तरह अपनी सरकार चला रहे हैं, जिसका उन्हें कुछ फायदा मिल रहा है तो नुकसान ज्यादा हो रहा है। उन्हीं की पार्टी के सांसद/विधायक/नेता और कार्यकर्ता अपने आप को ठगा महसूस करते हैं। जनता के बीच रहने वाले यह लोग जनता की किसी परेशानी का भी समाधान नहीं कर पाते हैं क्योंकि अधिकारी उनकी सुनते ही नहीं हैं।
-अजय कुमार
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