नवाज ने मनमोहन को देहाती औरत बताया था तो आग बबूला हो गये थे मोदी, पर मालदीव के मंत्रियों की हरकत पर चुप रही कांग्रेस

Modi Manmohan Singh
Prabhasakshi

राष्ट्र हित और दल हित में क्या अंतर होता है इसके लिए आपको 2013 का उदाहरण देखना चाहिए। उस समय पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को देहाती औरत बता कर राजनयिक विवाद खड़ा कर दिया था।

मालदीव के तीन मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी की तो सारे देशवासी अपने प्रधानमंत्री के साथ खड़े हो गये। क्या आम और क्या खास...हर कोई प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में प्रतिक्रिया देता दिखा। यही नहीं, विदेशी सरकारों के प्रतिनिधियों के बयान भी भारत और हमारे प्रधानमंत्री के समर्थन में आने लगे। साथ ही साथ मालदीव का भी पूरा विपक्ष भारत और हमारे प्रधानमंत्री के समर्थन में खड़ा हो गया। भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ बयानबाजी से नाराज मालीदव के विपक्षी दलों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात तक कह डाली लेकिन यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि हमारे देश का विपक्ष भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में खड़ा नहीं हुआ। यह सही है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वैचारिक मतभेद होते हैं लेकिन जब बात देश पर आये और देश के संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों पर कोई हमला करे तो सभी को राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर उठना ही चाहिए।

ऐसा नहीं है कि भारत के प्रधानमंत्री पर किसी अन्य देश के नेता की ओर से पहले कभी हमला नहीं किया गया था। लेकिन जब भी ऐसा हुआ, भारतवासियों ने एकजुटता दिखाते हुए सामने वाले पर पलटवार किया। लेकिन आज का विपक्ष सत्ता के लिए ऐसा लोलुप नजर आ रहा है कि उसे इस बात का भय हो गया है कि कहीं वह यदि देश के साथ खड़ा हो गया तो उसे सरकार के साथ खड़ा होना ना मान लिया जाये। यह सही है कि लोकसभा चुनाव निकट हैं और प्रधानमंत्री की तारीफ करना या उनके समर्थन में खड़ा होने से विपक्ष बचना चाहेगा लेकिन विपक्ष को मौके की नजाकत को देखते हुए आचरण करना चाहिए था। विपक्ष को राष्ट्र हित और दल हित में अंतर समझना चाहिए था।

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राष्ट्र हित और दल हित में क्या अंतर होता है इसके लिए आपको 2013 का उदाहरण देखना चाहिए। उस समय पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को देहाती औरत बता कर राजनयिक विवाद खड़ा कर दिया था। दरअसल नवाज शरीफ ने एक पाकिस्तानी पत्रकार से बातचीत करते हुए कहा था कि मनमोहन सिंह ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा से मेरी शिकायत एक देहाती औरत की तरह की। उस समय भी भारत में आज की तरह ही चुनावी माहौल था। उस समय का विपक्ष चाहता तो चुप रहता लेकिन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने नवाज शरीफ की ओर से डॉ. मनमोहन सिंह के खिलाफ की गयी टिप्पणी पर सख्त एतराज जताया था और एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि नवाज शरीफ तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गयी हमारे देश के प्रधानमंत्री को देहाती औरत कहने की? मोदी ने तब कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री की इससे ज्यादा बड़ी बेइज्जती नहीं हो सकती। मोदी ने कहा था कि हम नीतियों के आधार पर एक दूसरे का विरोध करते हैं लेकिन इस तरह की हरकत को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था कि सवा सौ करोड़ भारतीयों का यह देश अपने प्रधानमंत्री की बेइज्जती को बर्दाश्त नहीं करेगा।

लेकिन अगर मालदीव के तीन मंत्रियों की ओर से भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ की गयी टिप्पणियों पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया की बात करें तो वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रही। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि 2014 से जबसे मोदी सत्ता में आये हैं तबसे वह हर बात को व्यक्तिगत रूप में ले लेते हैं। उन्होंने कहा है कि पड़ोसियों के साथ हमें सौहार्द्रपूर्ण संबंध बना कर रखने चाहिए। 

बहरहाल, कांग्रेस हो या उसके गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियां, यह सही है कि आजकल यह सभी दल सीटों के बंटवारे पर चर्चा करने में मशगूल हैं लेकिन थोड़ा समय निकाल कर उन्हें देश को दिखाना चाहिए कि जब कोई भारत की संप्रभुता के खिलाफ बोलेगा, जब कोई भारत के संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के खिलाफ बोलेगा तो सारा देश एक स्वर में जवाब देगा। 

-नीरज कुमार दुबे

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