धूमधाम से शुरू हुई ''उड़ान'' योजना ऊँचाई नहीं भर पाई

UDAN Yojana did not achieve success

हो सकता है कि आने वाले समय में यह योजना जोर पकड़े लेकिन फिलहाल तो इसका भविष्य उज्जवल दिखाई नहीं दे रहा है। निजी एयरलाइनों ने इस योजना के प्रति ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे तामझाम से आम नागरिकों को हवाई जहाज में उड़ने के सपने को साकार करने के लिए उड़ान स्कीम के तहत अप्रैल माह में शिमला से पहली उड़ान को झंडी दिखायी तो लगा था कि पर्यटन के साथ ही आपात स्थिति में भी हर कोई हवाई यात्रा कर सकेगा और हवाई पट्टी से वंचित इलाकों को भी इसका लाभ होगा। अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था कि अब हवाई चप्पल वाले भी हवाई यात्रा कर सकेंगे। सरकार ने तय किया है कि 500 किलोमीटर तक की उड़ानों का किराया 2500 रुपये होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने शिमला में बहुप्रतीक्षित 'उड़ान स्कीम' के तहत शिमला-दिल्ली मार्ग पर पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाते हुए कहा था अब हर कोई हवाई यात्रा कर सकता है। यह योजना पूरी तरह से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) पर केंद्रित है और वैश्विक रूप से अपनी तरह की पहली योजना है।

उन्होंने कहा था कि उड़ान स्कीम से हिमाचल प्रदेश में टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा लेकिन शिमला के लिए एयर इंडिया को छोड़कर किसी भी प्राइवेट एयरलाइन ने रूचि नहीं दिखाई है और एयर इंडिया की सीमित उड़ान के कारण इसके टिकट सितम्बर तक बिक चुके हैं और एक तरफ का किराया करीब 1985/- रूपए है। एयर इंडिया के अलावा शिमला के लिए कोई प्राइवेट एयरलाइन आगे नहीं आयी है, जिसके कारण पर्यटक या आम आदमी इस योजना के लाभ से फिलहाल वंचित हैं। हो सकता है कि आने वाले समय में यह योजना जोर पकड़े लेकिन फिलहाल तो इसका भविष्य उज्जवल दिखाई नहीं दे रहा है हालांकि धर्मशाला और कुल्लू के लिए कुछ प्राइवेट उड़ानें समय-समय पर शुरू की गईं लेकिन उड़ानें नियमित न होने के कारण इनका समुचित परिचालन नहीं हो पा रहा है। वैसे भी इनका लाभ आम आदमी को नहीं मिल सकता क्योंकि दिल्ली से धर्मशाला का 01 जुलाई को एक तरफ का किराया स्पाइसजेट में 4800/- रूपए और एयर इंडिया का 5200-5500/-रूपए के बीच है। ठीक इसी प्रकार दिल्ली से कुल्लू के लिए एयर इंडिया का 01 जुलाई का एक तरफ का किराया करीब 12,000/- रूपए है और आने-जाने का किराया करीब 25,000/- रूपए है। ऐसे में इस योजना का लाभ पर्यटकों को कैसे होगा या आम आदमी को कैसे होगा, यह समझ से परे है। कोई भी पर्यटक छुट्टियों की योजना महीनों पहले नहीं बनाता और यदि कोई बनाता है तो सभी एयरलाइन्स समय-समय पर अपनी कई लाख सीटें सस्ते रेटों पर एडवांस में बुक करती हैं और पर्यटक उनकी इस सुविधा का लाभ उठाते हैं। कुछ ऐसी ही हालत देश के दूसरे हिस्सों की भी है और मुनाफे वाले रूटों पर तो पहले भी लो-कॉस्ट एयरलाइन्स कम किराये पर सीटें उपलब्ध करवाती रहीं हैं और आज भी करवा रहीं हैं लेकिन उड़ान योजना को सरकार से किसी प्रकार का प्रोत्साहन या छूट न मिलने से इसका कोई खास प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है।

UDAN का अर्थ है- उड़े देश का आम नागरिक। इस योजना की खास बात यह है कि 500 किलोमीटर तक की उड़ानों का किराया 2500 रुपये सीमित किया गया है जबकि हालत यह है कि ज्यादा मांग होने पर एयरलाइन्स कम्पनियां मनमाना किराया वसूलती हैं। इसका एक उदाहरण तब देखने को मिला था जब पिछले वर्ष हरियाणा जाट आंदोलन की आग में धधक रहा था तब ज्यादातर एयरलाइन्स दिल्ली-चंडीगढ़ का किराया 50-55 हजार रूपए तक वसूल रहीं थीं। क्षेत्रीय रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हवाई यात्रा नागरिकों तक सुलभ बनाने के लिए 'उड़े देश का आम नागरिक' आरसीएस (क्षेत्रीय सम्पर्क योजना) अक्टूबर, 2016 में लाई गई थी लेकिन इसका जो प्रभाव दिखाई देना चाहिए था, वह दिखाई नहीं दे रहा है। सरकार को इस योजना में शामिल होने वाली एयरलाइन्स को कुछ इलाकों में संचालन के लिए टैक्स में राहत की घोषणा करनी चाहिए, तभी यह योजना किसी हद तक सफल हो सकती है। आज हालत यह है कि एयरलाइन्स के किरायों से कहीं ज्यादा टैक्स हैं जो हवाई अड्डों का संचालन करने वाली कम्पनियों सहित, सरकार के खाते में जमा होता है। अभी तक इस योजना के तहत एयरलाइन्स ऑपरेटर को किसी प्रकार की राहत नहीं है, उल्टा उस पर शर्तें थोंपी गई हैं जिसके कारण प्राइवेट एयरलाइन ऑपरेटर इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं।

उड़ान योजना 15 जून 2016 को जारी राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (एनसीएपी) की एक प्रमुख घटक है। 'फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट' विमान से करीब 500 किलोमीटर की एक घंटे की यात्रा या किसी हेलीकॉप्टर से आधे घंटे की यात्रा का हवाई किराया 2500 रुपये सीमित किया गया है। पश्चिमी क्षेत्र में 24 हवाई अड्डे, उत्तरी क्षेत्र में 17, दक्षिणी क्षेत्र में 11 हवाई अड्डे, पूर्व में 12 और देश के पूर्वोत्तर के 6 हवाई अड्डों को इस योजना के तहत जोड़े जाने का प्रस्ताव है। सरकार इस कार्यक्रम के तहत 45 ऐसे हवाई अड्डों को जोड़ने जा रही है, जहां से कम उड़ानें संचालित होती हैं। लेकिन क्या इन जगहों पर भी केवल एयर इंडिया ही उड़ान भरेगी और अब तो एयर इंडिया के विनिवेश का फैसला ले लिया गया है जिससे एयर इंडिया के नये मालिक पर उड़ान योजना का भविष्य निर्भर हो गया है।

- सोनिया चोपड़ा

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