अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले यूपी में दो और बड़े चुनावी मुकाबले होने हैं

Rajya Sabha Elections 2024
Prabhasakshi
स्वदेश कुमार । Nov 23 2023 2:50PM

उत्तर प्रदेश विधानसभा की मौजूदा सदस्य संख्या के हिसाब से राज्यसभा से एक प्रत्याशी जिताने के लिए 37 वोट की जरूरत होगी। सपा के पास 109 और रालोद के पास 9 विधायक हैं। ऐसे में 118 विधायकों के साथ सपा कम से कम तीन सीटें जीतने की स्थिति में होगी।

पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है। अब 03 दिसंबर को नतीजे का इंतजार रहेगा। इसी के साथ हमेशा चुनावी मोड में रहने वाली भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस का भी ध्यान अब आम चुनाव पर लग गया है। लोकसभा चुनाव के लिए अब छह महीने से भी कम का समय बचा है। ऐसे में राजनैतिक दलों की सक्रियता को गलत भी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन तैयारी की रेस में फिलहाल बीजेपी काफी आगे निकलती दिख रही है। उसने अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के लिए समीकरण साधना और पसीना बहाना शुरू कर दिया है। बीजेपी का सबसे अधिक फोकस 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश पर है, जहां पिछले दो लोकसभा चुनाव में मिली अपार सफलता के बल पर केन्द्र में मोदी सरकार बनना संभव हो पाया था। केंद्र की सत्ता पर काबिज होने की इस लड़ाई के बीच यूपी में दिल्ली और प्रदेश के उच्च सदन के लिए भी चुनावी बिसात सजेगी। बता दें कि राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के कोटे की 10 सीटों का कार्यकाल आम चुनाव से पहले 2 अप्रैल, 2024 को खत्म हो जायेगा। वहीं, विधान परिषद में भी विधायक कोटे की 13 सीटें 5 मई को खाली हो जाएंगी। इसलिए, लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने के साथ बीजेपी एवं अन्य दलों को इन सीटों का गुणा-भाग दुरुस्त करना पड़ेगा।

यूपी कोटे की राज्यसभा की जो 10 सीटें खाली हो रही हैं, उसमें फिलहाल 9 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। सपा से एक मात्र सीट जया बच्चन की खाली होगी। चुनाव आयोग अगले वर्ष मार्च में इसके लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित कर सकता है। वहीं, विधान परिषद में खाली हो रही 13 सीटों में 10 भाजपा, एक उसके सहयोगी अपना दल और 1-1 सपा और बसपा के पास है। 5 मई के पहले इन सीटों पर भी चुनाव प्रस्तावित है।

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बहरहाल, राज्य सभा की जो सीटें रिक्त हो रही हैं उसमें मार्च 2018 में 10 सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में सपा ने जया बच्चन को उतारा था और वह चुनाव जीत गई थीं। साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले मायावती से दोस्ती का हाथ बढ़ाने की कोशिश में लगी सपा ने बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर को समर्थन दिया था। हालांकि, क्रॉस वोटिंग व संख्या गणित में भाजपा भारी पड़ी और उसने अपने 9 उम्मीदवार जिता लिए थे। सपा से जया बच्चन तो चुनाव जीत गईं, लेकिन बसपा से भीमराव हार गए थे। 2022 के चुनाव के बाद विधानसभा के बदले गणित के चलते इस बार भाजपा के लिए सभी सीटों को बचा पाना मुश्किल होगा, जबकि सपा के पास राज्यसभा में संख्या बढ़ाने का मौका होगा।

बता दें कि विधानसभा की मौजूदा सदस्य संख्या के हिसाब से राज्यसभा से एक प्रत्याशी जिताने के लिए 37 वोट की जरूरत होगी। सपा के पास 109 और रालोद के पास 9 विधायक हैं। ऐसे में 118 विधायकों के साथ सपा कम से कम तीन सीटें जीतने की स्थिति में होगी। सत्तारुढ़ गठबंधन के पास कुल 279 (भाजपा-254, अपना दल (एस)-13, निषाद पार्टी-6, सुभासपा-6) विधायक हैं। ऐसे में 7 सीटों पर उसकी जीत लगभग तय है। इसके अलावा कांग्रेस के पास 2, जनसत्ता दल के पास 2 व बसपा के पास एक विधायक है। जनसत्ता दल का समर्थन आम तौर पर भाजपा को रहता है। पिछले विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस व बसपा ने किसी भी दल के प्रत्याशी का समर्थन नहीं किया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव के लिए पक्ष और विपक्ष दोनों ओर नए दोस्तों को जोड़ने-तोड़ने की कोशिशें चल रही हैं। ऐसे में चुनाव के समय तक दोस्ती व निष्ठा के टिकने-डिगने के आधार पर संख्या व समीकरण आगे-पीछे हो सकता है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में इस समय कांग्रेस का कोई भी सदस्य नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ है। पिछले साल जुलाई में कांग्रेस पहली बार यूपी के विधान परिषद में शून्य पर पहुंच गई थी। कांग्रेस की स्थिति में फिलहाल आगे भी सुधार होते नहीं दिख रहा है। यही स्थिति इस बार मई में विधान परिषद में बसपा की भी हो सकती है। वह भी शून्य पर पहुंच जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। उसके पास केवल एक विधायक है और इस आधार पर उसका उम्मीदवार पर्चा भी नहीं भर सकता, क्योंकि नामांकन के लिए भी 10 प्रस्तावक की जरूरत होती है। विधानसभा के मौजूदा गणित के हिसाब से विधान परिषद में एक प्रत्याशी जिताने के लिए 29 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। अगर सत्तापक्ष और विपक्ष अपने मौजूदा सभी सहयोगियों को चुनाव होने के समय तक साथ रखने में सफल रहते हैं तो भाजपा गठबंधन कम से कम 9 और सपा-रालोद गठबंधन 4 सीटें जीतने की स्थिति में होगा। इसका एक बड़ा फायदा सपा के लिए यह होगा कि एक बार फिर वह विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की सीट की दावेदार हो जाएगी। परिषद में अभी उसके 9 सदस्य हैं और नेता प्रतिपक्ष के लिए जरूरी 1/10 सदस्य के मानक से वह एक पीछे है। 5 मई को खाली हो रही सीटों के हिसाब से सपा की सदस्य संख्या घटकर 8 रह जाएगी। सपा के पास अपने 109 विधायक हैं। ऐसे में कम से कम 3 सीट वह अपने दम पर भी जीतने की स्थिति में है। लिहाजा, परिषद में उसका दहाई में जाना तय है और उसे नेता प्रतिपक्ष का पद वापस मिल जाएगा।

भाजपा के जिन राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है उसमें अनिल अग्रवाल, अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, कांता कर्दम, सकलदीप राजभर, जीवीएल नरसिम्हा राव, विजय पाल तोमर, सुधांशु त्रिवेदी, हरनाथ सिंह यादव और सपा की जया बच्चन शामिल हैं। इसी प्रकार विधान परिषद में जिन नेताओं का कार्यकाल खत्म होने वाला है उसमें भाजपा के यशवंत सिंह, विजय बहादुर पाठक, विद्या सागर सोनकर, सरोजनी अग्रवाल, अशोक कटारिया, अशोक धवन, बुक्कल नवाब, महेंद्र कुमार सिंह, मोहसिन रजा, निर्मला पासवान शामिल हैं। वहीं अपना दल (एस) के आशीष पटेल, सपा के नरेश चंद्र उत्तम और बसपा के भीमराव आंबेडकर शामिल हैं।

-स्वदेश कुमार

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