केशव प्रसाद मौर्य की नाराजगी और बढ़ी तो यूपी में बढ़ सकती हैं भाजपा की मुश्किलें
दरअसल बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्या की बेइज्जती की खबरें फैला कर अखिलेश पिछड़ों को बीजेपी की खिलाफ भड़काने की मुहिम लम्बे समय से चला रहे हैं। इधर आजकल एक बार फिर से केशव प्रसाद मौर्या की नाराजगी की खबरें आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के दिग्गज नेता और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। मौर्या बीजेपी का बड़ा चेहरा है। खासकर पिछड़ा समाज को लुभाने के लिए बीजेपी आलाकमान वर्षों से केशव प्रसाद मौर्या की ‘ताकत’ का इस्तेमाल करता रहा है। पूर्वांचल में केशव का खास दबदबा है। केशव की ताकत का अंदाजा इसी से लग जाता है कि बीजेपी ने 2017 के विधान सभा चुनाव केशव प्रसाद मौर्या को एक तरह से सीएम चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करके चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी को बड़े अतंर से हरा का सामना पड़ा था, लेकिन जब सीएम बनने की बारी आई तो केशव मौर्या को उनके खिलाफ चल रहे कुछ मुकदमों का हवाला देते हुए साइड लाइन कर दिया गया और बीजेपी आलाकमान ने हिन्दुत्व का नया प्रयोग करते हुए सीएम के रूप में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आत्दियनाथ का चेहरा आगे कर दिया। परंतु बाद में पिछड़ों की नाराजगी को भांपते हुए केशव प्रसाद मौर्या को डिप्टी सीएम की कुर्सी दी गई, जिस पर बैठने से पहले तो केशव ने मना कर दिया, लेकिन हाईकमान के कहने पर उन्हें बेमन से डिप्टी सीएम बनना पड़ गया। उनके साथ ही ब्राह्मणों को लुभाने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डा0 दिनेश शर्मा को भी उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई। बाद में दिनेश शर्मा की जगह बृजेश पाठक को यह (उप मुख्यमंत्री की) जिम्मेदारी सौंप दी गई।
केशव डिप्टी सीएम तो बन गये थे, लेकिन इसके साथ ही उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ट्यूनिंग नहीं बैठने की खबरें भी आने लगीं। केशव प्रसाद मौर्या और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कालीदास मार्ग पर सरकारी आवास अगल-बगल था, परंतु दोनों के बीच मुलाकात नहीं होती थी। हद तो तब हो गई जब केशव प्रसाद मौर्या के पिता जी का निधन हो गया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके आवास जाकर शोक व्यक्त करने में हफ्ते भर का समय लग गया। इसके बाद तो अक्सर ही कुछ महीनों के अंतराल पर योगी और केशव के बीच मनमुटाव की खबरें आम होने लगीं, जिसको समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव खूब हवा देते हैं। अखिलेश डिप्टी सीएम को स्टूल वाला उप मुख्यमंत्री तक कह कर संबोधित करते रहे हैं। वह अक्सर कहते रहते हैं कि केशव यदि समाजवादी पार्टी में आ जायें तो समाजवादी पार्टी उन्हें सीएम बना देगी।
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दरअसल बीजेपी में केशव प्रसाद मौर्या की बेइज्जती की खबरें फैला कर अखिलेश पिछड़ों को बीजेपी की खिलाफ भड़काने की मुहिम लम्बे समय से चला रहे हैं। इधर आजकल एक बार फिर से केशव प्रसाद मौर्या की नाराजगी की खबरें आ रही हैं। हाल ही में अयोध्या में योगी की कैबिनेट की बैठक और इसके बाद अयोध्या में ही दीपोत्सव कार्यक्रम से लेकर अन्य कई सरकारी कार्यक्रमों में केशव प्रसाद मौर्या की अनुपस्थिति को केशव की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं क्या ये महज एक संयोग है या फिर बात कुछ और है। आजकल केशव प्रसाद मौर्य के मन में क्या चल रहा है, इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। जरूरी नहीं कि हर बात ज़ुबान से कही जाए। कई बार तो इशारे और कुछ मौकों पर उनकी गैर मौजूदगी ही सब कुछ कह जाती है। जिन्हें समझना है वे समझ ही जाते हैं। केशव प्रसाद मौर्या पिछड़ा समाज से आते हैं और पिछड़ा समाज को लुभाने के लिए बीजेपी एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, फिर केशव की अनदेखी क्यों हो रही है, इस सवाल का जवाब हर जागरूक नागरिक और बीजेपी के नेता/कार्यकर्ता जानना चाहते हैं। केशव की नाराजगी या कहें कि पार्टी में उनकी अनदेखी के चलते राजनीति के गलियारे में यह चर्चा आम है कि बीजेपी क्यों किसी बड़े दलित या पिछड़ा समाज के नेता को आगे बढ़ा या पचा नहीं पाती है। आज बीजेपी में पिछड़े और दलित नेताओं का पूरी तरह से अभाव है, जो एक-दो दलित या ओबीसी नेता सामने दिखाई भी देते हैं, उनकी अपने समाज में पैठ नहीं के बराबर है। कुल मिलाकर आज की तारीख में बीजेपी आलाकमान ने दलितों और ओबीसी को लुभाने के लिए अपने कुछ अगड़ी जाति के नेताओं को आगे कर रखा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के समय यह सही तरह से पता चल पायेगा कि दलितों और ओबीसी समाज को ऊंची जाति के रहनुमाओं की सरपरस्ती कितनी रास आती है।
सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव के मनमुटाव की खबरें आती रहती हैं। इसीलिये पूछा जा रहा है यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दीपोत्सव कार्यक्रम में अयोध्या क्यों नहीं गए? जितने लोग, उतनी बातें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक समेत कई मंत्री उस दिन वहां मौजूद रहे। केशव प्रसाद मौर्य के लिए हेलिकॉप्टर लखनऊ में था। अयोध्या रवाना होने से पहले डिप्टी सीएम पाठक अपने सहयोगी डिप्टी सीएम मौर्य के घर पहुंचे। दोनों को एक ही हेलिकॉप्टर से अयोध्या जाना था। लेकिन केशव मौर्य ने पेट में दर्द के कारण अयोध्या यात्रा रद्द कर दी। ब्रजेश पाठक को अकेले अयोध्या जाना पड़ा। बताया जाता है कि इसी हेलिकॉप्टर में एक ऐसे व्यक्ति बैठे थे जिनका साथ डिप्टी सीएम केशव को पसंद नहीं है। पर क्या यही असली वजह थी, यह केशव ही बता सकते हैं। ये सवाल इसीलिए उठ रहा है कि क्योंकि पिछले कुछ दिनों में केशव प्रसाद कई मौकों पर गैर हाजिर रहे। लखनऊ से बाहर पहली बार अयोध्या में 9 नवंबर को यूपी कैबिनेट की बैठक हुई। योगी सरकार के सभी मंत्रियों ने पहले हनुमान गढ़ी में पूजा की। फिर सबने रामलला के दर्शन किए। कैबिनेट की मीटिंग में डिप्टी सीएम केशव नहीं पहुंचे। अयोध्या में योगी कैबिनेट की बैठक में केशव के न पहुंचने पर बताया गया उन्हें एमपी चुनाव की जिम्मेदारी दी गई थी इसलिए वह नहीं आ पाये। इसके बाद लखनऊ में होते हुए भी जब मौर्य अयोध्या में हुए भव्य दीपोत्सव में नहीं पहुंचे तो सोशल मीडिया पर तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं।
गौर करने की बात यह है कि इससे पूर्व लखनऊ में होने पर भी मौर्य 31 अक्टूबर की कैबिनेट की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। उसी दिन मुख्यमंत्री ने लोकभवन में मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ अभिनेत्री कंगना रनौत की फिल्म तेजस देखी, लेकिन उसमें भी मौर्य दिखाई नहीं दिए। उस दिन लखनऊ में आयोजित दूसरे कार्यक्रमों में भी मौर्य शामिल नहीं हुए थे। खैर, बात जहां तक केशव की नाराजगी में विपक्ष के चटखारे लेने की है तो समाजवादी पार्टी तो केशव के मामले में मौके की ताक में बैठी ही रहती थी। उसे ये मौका सोशल मीडिया के एक पोस्ट से मिल गया। केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक री पोस्ट किया था। बाद में उसे हटा लिया गया। डायल 112 में काम करने वाली लड़कियां अपना वेतन बढ़ाने को लेकर धरने पर थीं। इस पर एक रिपोर्ट को डिप्टी सीएम केशव ने री पोस्ट कर दिया था। समाजवादी पार्टी के चर्चित प्रवक्ता आईपी सिंह ने उनका ये पोस्ट शेयर किया है। उन्होंने लिखा है कि बीजेपी पिछड़ा और दलित विरोधी है। जातीय जनगणना की मांग करने के कारण बीजेपी अब डिप्टी सीएम मौर्य से किनारा कर रही है।
पिछले दो कैबिनेट की बैठकों में केशव प्रसाद मौर्य नजर नहीं आए हैं। बात 31 अक्टूबर की है। लखनऊ के लोक भवन में कैबिनेट की मीटिंग थी। उसी दिन सवेरे रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम में वे योगी आदित्यनाथ के साथ मौजूद रहे। पर कुछ ही घंटे बाद हुई कैबिनेट बैठक में उनका इंतजार ही होता रहा। उसी दिन कंगना रनौत की फिल्म तेजस का प्रीमियर शो भी रखा गया था। इसमें मुख्यमंत्री के साथ सभी मंत्री आए, पर डिप्टी सीएम मौर्य नहीं देखे गए। पर उसी दिन शाम को शहर के एक कार्यक्रम में वे दो घंटे तक मौजूद रहे। जनेश्वर मिश्रा पार्क में नाटक जाणता राजा का मंचन हुआ। पूरे समय तक केशव प्रसाद मौर्य वहां थे।
बहरहाल, तमाम किन्तु-परंतुओं के बीच सोशल मीडिया से लेकर सत्ता के गलियारों में तरह तरह की बातें हो रही हैं। बीजेपी कैंप में भी इस बात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। पूरे मामले में केशव प्रसाद मौर्य खामोश हैं। ये भी कहा जा रहा है कि उनको फूलपुर से लोकसभा चुनाव भी लड़ाया जा सकता है। हाल के दिनों में वे दिल्ली जाकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिलते रहे हैं। कुछ दिनों पहले गृह मंत्री अमित शाह से भी उनकी मुलाकात हुई थी। उल्लेखनीय है कि साल 2017 में चौदह साल के वनवास के बाद यूपी में बीजेपी की सरकार बनी थी। तब केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे। उनका नाम मुख्यमंत्री के दावेदारों में था, पर मौका योगी आदित्यनाथ को मिला था।
-अजय कुमार
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