अपने गलत काम को छिपाने के लिए धर्म की आड़ ना ले तबलीगी जमात
ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि इस जाहिलपन का धर्म से लेना-देना नहीं है। यह आपराधिक कृत्य है, यह सामूहिक अपराध है जो धर्म के नाम पर किया गया है। यह पढ़े-लिखे जाहिलों का कु-कृत्य है जो तब्लीगी जमात के नाम पर, धार्मिक प्रचार के नाम पर किया गया।
भारत इस समय अपने इतिहास की सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहा है। एक ऐसी लड़ाई लड़ रहा है जिसमें दुश्मन दिखाई नहीं देता है। यह एक ऐसी लड़ाई है जिससे आमने-सामने लड़ा नहीं जा सकता बल्कि उससे अलग रहकर, उससे बचकर, उसे दूर रखकर ही इस लड़ाई को जीता जा सकता है। हम एक ऐसी बीमारी से लड़ रहे हैं जो बाहर से आया है। लड़ाई, ऐसी बीमारी से है जिसे पैदा दूसरे देश ने किया और जिसे फैलाने में दूसरे देश के नागरिकों ने बड़ी भूमिका निभाई। हमारे लिए यही सबसे बड़ी चुनौती भी थी और राहत भी। लेकिन हमारे देश के कुछ पढ़े-लिखे जाहिलों ने इस पूरे माहौल को बदल दिया और इसका नतीजा हम सबके सामने है। देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या में तेजी से उछाल आ गया है।
एक तरफ देश में कोरोना की वजह से दहशत का माहौल है। कोरोना को हराने के लिए सरकार ने पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान कर रखा है। जरूरी सेवाओं के अलावा बाकी सब कुछ पर पूरी तरह से रोक है। देश के कई जिलों में हालात इतने भयावह हैं कि वहां सरकारों को कर्फ्यू तक लगाना पड़ा है। देश के सभी मुख्यमंत्री (कोई कम, कोई ज्यादा) पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इन तमाम कोशिशों का नतीजा निकल कर सामने भी आया। कोरोना पीड़ितों की बढ़ने की रफ्तार नियंत्रण में रही और WHO तक ने भारत की तारीफ की। ऐसा लगने लगा कि हम कोरोना को हराने जा रहे हैं और हमारी जीत बस चंद दिनों दूर है। हालात को देखते हुए भारत सरकार के सबसे बड़े अधिकारी कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने यह भी घोषणा कर दी कि लॉकडाउन को 21 दिन से ज्यादा बढ़ाने की सरकार की कोई योजना नहीं है। लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया।
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कोरोना संक्रमण और तब्लीगी जमात
यह सच्चाई तो हर व्यक्ति जानता है कि कोरोना जाति और धर्म देख कर किसी व्यक्ति को अपनी चपेट में नहीं लेता। यह भी सब जानते हैं कि कोरोना के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी जा रही है वो किसी एक देश या किसी एक धर्म की लड़ाई नहीं है बल्कि सम्पूर्ण मानवता की लड़ाई है। लेकिन इसके बावजूद सैंकड़ों लोग विदेश से आए, लगातार आते गए। देश की राजधानी दिल्ली में हजारों लोग इकट्ठा हुए और किस लिए, धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए। देश के अलग-अलग राज्यों और दुनिया के अलग-अलग देशों से लोग आते जा रहे थे और यह सब तब हो रहा था, जब कोरोना का प्रकोप एक के बाद एक देश को अपनी चपेट में ले रहा था। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनकी कैबिनेट के तमाम मंत्रियों ने कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए होली का त्योहार नहीं मनाने का ऐलान कर दिया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हों या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजनीतिक दलों की बंदिशों को तोड़कर देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम का अनुसरण किया था लेकिन धर्म का प्रचार करने के नाम पर इस तब्लीगी जमात में लोग इसके बाद भी लगातार आते जा रहे थे और यह कोई ऐसा तबका नहीं था, जिसे देश-दुनिया की ख़बर न हो। यह जमात पढ़े-लिखे लोगों की थी, जिन्हें यह बखूबी मालूम था कि कोरोना का कहर जारी है। इन्हें यह भी मालूम था कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए दुनिया के तमाम देश क्या-क्या कर रहे हैं। इन्हें यह भी मालूम था कि भारत सरकार ने लोगों से क्या अपील की है और क्या-क्या कदम उठाए हैं। इसलिए तो हम यह कह रहे हैं कि इन पढ़े-लिखे जाहिलों का क्या किया जाए ? इन पढ़े-लिखे जाहिलों को कौन समझा सकता है ?
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धार्मिक जमात की बजाय इसे सामूहिक अपराध कहना ज्यादा उचित होगा
जब हम पढ़े-लिखे जाहिलों की बात करते हैं तो ऐसे लोग किसी एक धर्म के नहीं हैं बल्कि दूसरी तरफ भी ऐसे जाहिलों की कमी नहीं है। जैसे ही तब्लीगी जमात से यह डरा देने वाली ख़बर सामने आई तुरंत दूसरे धर्म से जुड़े जाहिलों ने इसे धार्मिक जामा पहनाना शुरू कर दिया। ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि इस जाहिलपन का पूरे धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह आपराधिक कृत्य है, यह सामूहिक अपराध है जो धर्म के नाम पर किया गया है। यह पढ़े-लिखे जाहिलों का कु-कृत्य है जो तब्लीगी जमात के नाम पर, धार्मिक प्रचार के नाम पर किया गया। यह चुनौती है भारतीय कानून व्यवस्था और भारतीय संविधान को कि आप कुछ भी नियम बना लो, हम नहीं मानेंगे। इन असामाजिक तत्वों ने भारत देश के खिलाफ षड्यंत्र किया और जैसे ही दूसरे धर्म के लोग इनके धर्म का हवाला देते हैं, जिहाद का हवाला देते हैं तो इन्हें तुरंत ढाल मिल जाती है धर्म की और ये असामाजिक तत्व यही तो चाहते हैं।
देश की लड़ाई को तब्लीगी जमात के नाम पर कमजोर करने वाले इन षड्यंत्रकारी लोगों को इस बात का बखूबी अहसास है कि इनके पास बचने का एक ही उपाय है- धर्म। जैसे ही इन्हें धर्म की ढाल मिल जाएगी , यह पूरा मामला दूसरी दिशा में मुड़ जाएगा। इसलिए यह जिम्मेदारी अब कानूनी जांच एजेंसियों और सरकार की है कि वो देश की जनता को बताए कि इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। यह अपराधी हैं, ये सब अपराधी हैं। इन लोगों ने विदेशियों के साथ मिलकर देश के खिलाफ षड्यंत्र किया है। आयोजकों के खिलाफ मामला तो दर्ज हो गया है लेकिन मुकदमे की धाराओं को और ज्यादा सख्त करना चाहिए। वास्तव में यह देश के खिलाफ जंग यानि देशद्रोह का मामला बनता है। जो भी विदेशी इस जमात में आये थे, उन्हें हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट कर देना चाहिए और अगर जांच में यह पाया जाता है कि उन्होंने जान-बूझकर ऐसा किया तो उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेजने में देरी नहीं करनी चाहिए। लेकिन किसी भी सूरत में इसे धार्मिक एंगल नहीं देना चाहिए। यह अपराध है सिर्फ अपराध।
-संतोष पाठक
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