भारत की 'राष्ट्र प्रथम' विदेश नीति के चलते ही तुनकमिजाजों के तेवर हो रहे हैं ढीले
हमेशा भारत विरोधी अभियानों को हवा देने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपने रुख में नरमी लानी पड़ी है क्योंकि उन्हें कोरोना वैक्सीन की जरूरत है। जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत कर वैक्सीन मांगी है जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी मदद का भरोसा दिलाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत ने विदेश नीति में ‘‘राष्ट्र प्रथम’’ के सिद्धांत का हमेशा अनुसरण किया है और कभी भी किसी बाहरी दबाव में नहीं आया। वाकई इसका परिणाम भी दिख रहा है। देखिये कैसे चीन की सारी हेकड़ी निकल गयी। चीन ने अनुमान लगा लिया था कि यह 1962 वाला भारत है और इस गलत अनुमान का उसे खामियाजा भुगतना पड़ा। इस समय पूर्वी लद्दाख में पैंगोग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर पर तैनात भारत और चीन के अग्रिम पंक्ति के सैनिक व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू हो चुके हैं। इसी के साथ ही पूरी दुनिया में भारत की बहादुरी, दमखम और चीन से सीधी टक्कर लेने की क्षमता की तारीफ हो रही है। पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जोकि चीन को अच्छी तरह यह समझाने में कामयाब रहा है कि ईंट का जवाब पत्थर से देने में जरा भी संकोच और जरा भी विलंब नहीं किया जायेगा।
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इसके अलावा कनाडा को देखिये। हमेशा भारत विरोधी अभियानों को हवा देने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपने रुख में नरमी लानी पड़ी है क्योंकि उन्हें कोरोना वैक्सीन की जरूरत है। जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत कर वैक्सीन मांगी है जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी मदद का भरोसा दिलाया है। जस्टिन ट्रूडो के रुख में यह जो नरमी आई है वह भारत की हर मायने में बढ़ती ताकत के कारण ही संभव हो सकी है। एक तो जस्टिन ट्रूडो के अभियानों को भारत सरकार ने ज्यादा महत्व नहीं दिया, बस उनके दोहरे रवैये को हर मंच पर उजागर किया। दूसरा जस्टिन ट्रूडो ने जब यह देखा कि संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका तक और दुनिया का छोटे से लेकर बड़ा देश तक भारत में बनी कामयाब कोरोना रोधी वैक्सीनों की सराहना कर रहा है तो हम भी उसका लाभ ले लें। बस फिर क्या था, ट्रूडो ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर मदद मांगी और बातचीत के बाद बयान जारी कर कहा कि उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ फोन पर ‘‘अच्छी बातचीत’’ हुई और इस दौरान दोनों नेताओं ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता, हालिया प्रदर्शनों और बातचीत के जरिए मुद्दों के समाधान के महत्व पर चर्चा की। ट्रूडो ने कहा कि अगर विश्व कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में जीत हासिल करता है, तो उसमें भारत की अभूतपूर्व औषधीय क्षमता का महत्वपूर्ण योगदान होगा। भारत की इस क्षमता को विश्व के साथ साझा करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना भी की। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी बताया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रूडो को भारत-कनाडा के टीकाकरण प्रयासों में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया है।
पड़ोसी नेपाल जिसने भारत के क्षेत्रों को अपने देश में दिखाते हुए नया नक्शा तक जारी कर दिया था और जिसे विवादित बयान देने की आदत पड़ गयी थी, समय के साथ उसे भी अपनी हैसियत समझ आई। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत की निरंतर उदारता को ध्यान में रखते हुए आखिरकार अपना रुख बदला। ऐसे ही कई और उदाहरण हैं राष्ट्राध्यक्षों के जिन्होंने भारत के बारे में पूर्वाग्रह त्यागते हुए अपनी राय बदली है। यही नहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत को अपना सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी बताते हुए कहा है कि वह भारत के विश्व की एक प्रमुख शक्ति के रूप में उदय और क्षेत्र के एक प्रहरी के रूप में उसकी भूमिका का स्वागत करता है। इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से भी बात की और उनके साथ कई मुद्दों पर चर्चा की।
दुनिया का सबसे बड़ा मददगार
यही नहीं, महामारी के समय में भारत दुनिया का सबसे विश्वसनीय और मददगार देश बनकर उभरा है। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस साल अंतरराष्ट्रीय समुदाय कोविड-19 टीकों से लेकर जलवायु परिवर्तन और शांति रक्षा मिशनों तक कई मामलों में भारत के सकारात्मक योगदान के कारण उस पर पहले से कहीं अधिक भरोसा करता है। संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2021 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भारत द्वारा अपने नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने और उसके जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों की सराहना की। मोहम्मद ने कहा, ''भारत जी-20 में शामिल एकलौता ऐसा देश है, जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के उद्देश्यों को बेहतरीन तरीके से हासिल करेगा और अभी तक काफी कुछ हासिल कर भी लिया है।’’
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इसके अलावा कोरोना वैक्सीनेशन की बात करें तो दुनिया में सबसे तेज वैक्सीनेशन भारत में ही हो रहा है और अब तक 70 लाख से ज्यादा लोगों को यह वैक्सीन लगायी जा चुकी है। खुद डब्ल्यूएचओ ने यह बात स्वीकारते हुए भारत सरकार की सराहना की है। भारत ने अपने लोगों को वैक्सीन लगाने के साथ ही पड़ोसियों की भी चिंता की और दुनिया के लगभग 20 देशों में अब तक वैक्सीन जा चुकी है और 25 देश प्रतीक्षा सूची में लगे हुए हैं। तो इस तरह विश्व पटल पर तेजी से हर क्षेत्र में उभरते भारत, बढ़ते भारत की शक्ति को पूरी दुनिया स्वीकार कर रही है।
-नीरज कुमार दुबे
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