कश्मीर का ख्वाब छोड़ पाकिस्तान कोरोना वायरस से निबटने पर ध्यान दे
इतिहास गवाह है कि संकट के समय धैर्य नहीं खोकर सिर्फ अपनी ही नहीं दूसरों की मदद करने वाला व्यक्ति या देश ही वैश्विक नेता कहलाता है। जब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस को महामारी घोषित करता उससे बहुत पहले ही भारत सरकार पूरी तरह सतर्क हो चुकी थी।
कोरोना वायरस का कहर बढ़ने से रोकने के लिए भारत जो कुछ कर रहा है उसकी पूरी दुनिया तारीफ कर रही है। भारत ने विदेश से लौटने वाले यात्रियों की जांच अमेरिका से भी पहले शुरू कर दी थी और अब तक देश के 30 एयरपोर्टों पर 11 लाख से ज्यादा यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है, अत्याधुनिक सुविधाओं वाले आइसोलेशन सेंटरों की व्यवस्था देशभर में की गयी है। सैंपल कलेक्शन सेंटरों और जांच लैबों की संख्या बढ़ाई गयी है, यही नहीं भारत ने रेस्क्यू ऑपरेशन के मामले में सबसे अधिक उड़ानें भरी हैं। चीन, ईरान, इटली आदि देशों से हजारों भारतीयों को निकाल कर देश वापस लाया ही गया है साथ ही भारत ने 10 से भी अधिक दूसरे देशों के नागरिकों को भी कोरोना प्रभावित देशों से निकाला। इनमें मालदीव, म्यामांर, बांग्लादेश, चीन, अमेरिका, मैडागास्कर, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं। भारत ने तो पाकिस्तान को भी मदद की पेशकश की थी, यह अलग बात है कि पाकिस्तान ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वह वीडियो खूब वायरल हुए जब वुहान में फंसे पाकिस्तानी छात्र अपनी सरकार को कोसते नजर आये।
भारत ने इस वैश्विक संकट के समय सिर्फ अपनी ही चिंता नहीं की बल्कि अपने पड़ोसियों सहित पूरे विश्व की चिंता की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर सार्क के नेताओं ने वीडियो कांफ्रेंसिंग कर कोरोना वायरस से निपटने के उपायों पर चर्चा की। इस वीडियो कांफ्रेंस में पाकिस्तान को छोड़कर बाकी देशों के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद रहे। यह पूरा मामला कितना गंभीर है लेकिन शायद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को फुर्सत ही नहीं है तभी वह कोरोना वायरस को गंभीरता के साथ नहीं ले रहे और अपने देश की जनता को बेहाल कर रखा है। इमरान खान ने अपने जिन सहायक को वीडियो कांफ्रेंस में भेजा भी वह अपने देश से ज्यादा कश्मीर की चिंता में मरे जा रहे थे। वैसे तो भारत और पाकिस्तान की कोई तुलना ही नहीं है लेकिन फिर भी आज आपको दिखाते हैं कि कोरोना वायरस से बचाने के लिए भारत क्या कर रहा है और पाकिस्तान की सरकार क्या कर रही है।
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भारत की राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश में बनाये गये आइसोलेशन सेंटरों में अत्यंत अत्याधुनिक सुविधाएं हैं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं पूरे हालात पर नजर रखे हुए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रालयों की रोजाना समीक्षा बैठकें हो रही हैं और कोरोना वायरस के फैलाव की स्थिति को देखते हुए रणनीति में आवश्यक बदलाव किये जा रहे हैं। जैसलमेर और गुड़गांव के पास बनाये गये आइसोलेशन कैंपों में विदेश से निकाले गये लोगों को रखा जा रहा है। इन आइसोलेशन सेंटरों से जो लोग ठीक होकर गये हैं उनमें से एक ने भी अब तक व्यवस्थाओं पर उंगली नहीं उठाई है। यही नहीं किसी भी अंतरराष्ट्रीय संस्था ने भी भारत सरकार की तैयारियों और व्यवस्थाओं पर कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए पाकिस्तान ने सबकुछ अल्लाह के भरोसे छोड़ रखा है। वहां अस्पतालों में जिन लोगों पर कोरोना वायरस के मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी है उन्हें इस वायरस के लक्षणों की पूरी जानकारी ही नहीं है। हाल ही में ईरान से जो जायरीन पाकिस्तान लौटे हैं उन्हें 35 डिग्री की धूप में टैंटों में छोड़ दिया गया है जहां तेज हवा के साथ आती धूल उनको और प्रदूषित तो कर ही रही है साथ ही जिस तरह हवा के साथ तंबू गिर रहे हैं उससे भी जायरीनों को खतरा हो गया है। यही नहीं कई अस्पतालों में कोरोना के संदिग्ध मरीजों को एक साथ भरा हुआ है, लोग अस्पतालों में फर्श पर लेटे नजर आ रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के स्वास्थ्य मामलों पर विशेष सहायक जफर मिर्जा, जिन्होंने कोरोना वायरस से निबटने के लिए आयोजित बैठक में कश्मीरियों को लेकर चिंता जताई थी। कम से कम उन्हें यह जानकारी जरूर मिलनी चाहिए कि पूरे जम्मू-कश्मीर में कोरोना वायरस से निबटने के लिए सभी जरूरी प्रबंध किये गये हैं, वहां किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है और विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी और पूरे संसाधनों के साथ इस महामारी से निबटने के उपाय किये गये हैं। इसके अलावा पाकिस्तान में जिस तरह से कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं वह वहां की सरकार की अक्षमता को दर्शाता है। कोरोना से निबटने की बजाय पाकिस्तान अगर कश्मीर के ख्वाब में डूबा रहना चाहता है तो वह डूबा रह सकता है।
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बहरहाल, जहाँ तक भारत की बात है तो उसने संकट आने के संकेत भांप कर जो तैयारियां कर ली थीं उससे कोरोना वायरस का फैलाव ज्यादा नहीं हुआ जबकि इस वायरस का एपिक सेंटर चीन, भारत के बिलकुल करीब ही है। इसके अलावा भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने कोरोना वायरस के खिलाफ संयुक्त लड़ाई लड़ने का आह्वान दुनिया से किया और इस दिशा में कई पहले भी कीं। इतिहास गवाह है कि संकट के समय धैर्य नहीं खोकर सिर्फ अपनी ही नहीं दूसरों की मदद करने वाला व्यक्ति या देश ही वैश्विक नेता कहलाता है। ऐसा दुनिया के कम ही देशों में देखने को मिला होगा कि जब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस को महामारी घोषित करता उससे बहुत पहले ही भारत सरकार के जागरूकता कार्यक्रमों की बदौलत प्रशासन और नागरिक पूरी तरह सतर्क हो चुके हों। कोरोना वायरस भारत में भी दस्तक दे सकता है यह संकेत पाते ही प्रधानमंत्री ने जिस तरह मंत्रियों का समूह गठित कर तैयारियों की रोजाना समीक्षा और स्थिति के मुताबिक फैसले तेजी के साथ लेने शुरू किये उससे कोरोना की हार पहले ही तय हो गयी थी।
-नीरज कुमार दुबे
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