करदाताओं को भले मायूसी हाथ लगी हो, पर देश की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकेगा यह बजट
कोरोना महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में आर्थिक क्षेत्र में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन इन सब स्थितियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट के माध्यम से देश को स्थिरता की तरफ ले जाते दिखाई पड़ रहे हैं।
भारत भविष्य की आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना देख रहा है और कोरोना महामारी से ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में जुटा है, इन संकटकालीन एवं चुनौतीभरी परिस्थितियों में लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में आम बजट को पेश किया जो लोककल्याणकारी एवं आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को बल देने वाला अभिनन्दनीय एवं सराहनीय बजट है। यह बजट भारत की अर्थव्यवस्था के उन्नयन एवं उम्मीदों को आकार देने की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगा। इसके माध्यम से समाज के भी वर्गों का सर्वांगीण एवं संतुलित विकास सुनिश्चित होगा। स्वास्थ्य क्षेत्र पर केन्द्रित इस बजट से भले ही करदाताओं के हाथ में मायूसी लगी हो, टैक्स स्लैब में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ हो, लेकिन इससे देश की अर्थव्यवस्था का जो नक्शा सामने आया है वह इस मायने में उम्मीद की छांव देने वाला है।
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सकल विकास वृद्धि दर के मोर्चे पर भारत चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही अप्रैल से जून तक वृद्धि दर घट कर न्यूनतम नकारात्मक क्षेत्र में 24 प्रतिशत तक पहुंच गयी। भारत की तेज गति से आगे बढ़ने की रफ्तार पकड़े अर्थव्यवस्था के लिये यह बहुत बड़ा झटका था, इस झटके से उभरने एवं भारत की अर्थव्यवस्था को तीव्र गति देने की दृष्टि से यह बजट कारगर साबित होगा, जिसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे, रोजगार के नये अवसर सामने आयेंगे, उत्पाद एवं विकास को तीव्र गति मिलेगी। कोरोना महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष में आर्थिक क्षेत्र में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन इन सब स्थितियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट के माध्यम से देश को स्थिरता की तरफ ले जाते दिखाई पड़ रहे हैं।
बजट हर वर्ष आता है। अनेक विचारधाराओं वाले वित्तमंत्रियों ने विगत में कई बजट प्रस्तुत किए। पर हर बजट लोगों की मुसीबतें बढ़ाकर ही जाता रहा है। लेकिन इस बार बजट ने कोरोना महासंकट से बिगड़ी अर्थव्यवस्था में नयी परम्परा के साथ राहत की सांसें दी है तो नया भारत- सशक्त भारत के निर्माण का संकल्प भी व्यक्त किया है। इस बजट में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ किसानों, आदिवासियों, गांवों और गरीबों को ज्यादा तवज्जो दी गयी है। सच्चाई यही है कि जब तक जमीनी विकास नहीं होगा, तब तक आर्थिक विकास की गति सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी। इस बार के बजट से हर किसी ने काफी उम्मीदें लगा रखी थीं और उन उम्मीदों पर यह बजट खरा उतरा है। हर बार की तरह इस बार भी शहरों के मध्यमवर्ग एवं नौकरीपेशा लोगों को अवश्य निराशा हुई है। इस बार आम बजट को लेकर उत्सुकता इसलिए और अधिक थी, क्योंकि यह कोरोना महासंकट, पड़ोसी देशों से युद्ध की संभावनाओं, निस्तेज हुए व्यापार, रोजगार, उद्यम की स्थितियों के बीच प्रस्तुत हुआ है। संभवतः इस बजट को नया भारत निर्मित करने की दिशा में लोक-कल्याणकारी बजट कह सकते हैं। यह बजट वित्तीय अनुशासन स्थापित करने की दिशाओं को भी उद्घाटित करता है। आम बजट न केवल आम आदमी के सपने को साकार करने, आमजन की आकांक्षाओं को आकार देने और देशवासियों की आशाओं को पूर्ण करने वाला है बल्कि यह देश को समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण एवं दूरगामी सोच से जुड़ा कदम है। बजट के सभी प्रावधानों एवं प्रस्तावों में जहां ‘हर हाथ को काम’ का संकल्प साकार होता हुआ दिखाई दे रहा है, वहीं ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से उजागर हो रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आशा के अनुरूप ही बजट का फोकस किसानों, स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास और ग्रामीण क्षेत्र पर रखा है। अपने ढांचे में यह पूरे देश का बजट है, एक आदर्श बजट है। इसका ज्यादा जोर सामाजिक विकास पर है। मुखर तबकों को किनारे रखकर धीरे बोलने वाले नागरिकों के हितों का भी ध्यान रखने का प्रयास किया गया है, वृद्धों एवं बुजुर्गों को राहत दी गयी है। मोदी सरकार की ओर से आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अन्तर्गत 27.1 लाख करोड़ रुपये कई योजनाओं को कोरोना काल में देश के सामने लाया गया ताकि अर्थव्यवस्था की रफ्तार को आगे बढ़ाया जा सके। साल 2021 ऐतिहासिक साल होने जा रहा है, जिसपर देश एवं दुनिया की नजरें लगी है। मुश्किल के इस वक्त में भी मोदी सरकार का फोकस किसानों की आय दोगुनी करने, विकास की रफ्तार को बढ़ाने और आम लोगों को सहायता पहुंचाने पर है। स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने का ऐलान भी किया गया है, जिसके तहत शहरों में अमृत योजना को आगे बढ़ाया जाएगा, इसके लिए 2,87,000 करोड़ रुपये जारी किए गए। कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का ऐलान किया गया। देश में 7 टेक्स्टाइल पार्क बनाए जाएंगे, ताकि इस क्षेत्र में भारत एक्सपोर्ट करने वाला देश बने। तमिलनाडु में नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट (1.03 लाख करोड़), इसी में इकॉनोमिक कॉरिडोर बनाए जाएंगे। केरल में भी 65 हजार करोड़ रुपये के नेशनल हाइवे बनाए जाएंगे, मुंबई-कन्याकुमारी इकॉनोमिक कॉरिडोर का ऐलान किया गया है। पश्चिम बंगाल में भी कोलकाता-सिलीगुड़ी के लिए भी नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया है। एनआरआई लोगों को टैक्स भरने में काफी मुश्किलें होती थीं, लेकिन अब इस बार उन्हें डबल टैक्स सिस्टम से छूट दी गयी है। स्टार्ट अप को जो टैक्स देने में शुरुआती छूट दी गई थी, उसे अब 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया गया है।
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अक्सर बजट में राजनीति, वोटनीति तथा अपनी व अपनी सरकार की छवि-वृद्धि करने के प्रयास ही अधिक दिखाई देते हैं और ऐसा इस बार भी हुआ है। यह बजट वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल एवं अन्य चुनावों को ध्यान में रखते हुए बना है और इसका लाभ सत्ताधारी पार्टी को मिलेगा, इसके कोई संदेह नहीं है। लेकिन इस बजट में ऐसे प्रयत्न भी हुए हैं जो किसानों, ग्रामीण एवं गरीब तबके के जीवन स्तर को ऊंचा उठायेंगे। गरीब तबके और ग्रामीण आबादी की बढ़ती बेचैनी को दूर करने की कोशिश इसमें स्पष्ट दिखाई देती है जो इस बजट को सकारात्मकता प्रदान करती है। इस बजट में किसानों की बढ़ती परेशानियों को दूर करने के भी सार्थक प्रयत्न हुए हैं, जिसे मेहरबानी नहीं कहा जाना चाहिए और किसान आन्दोलन से जोड़कर भी नहीं देखा जाना चाहिए। खेती और किसानों की दशा सुधारना सरकार की प्राथमिकता में होना ही चाहिए, क्योंकि हमारा देश किसान एवं ग्रामीण आबादी की आर्थिक सुदृढ़ता और उनकी क्रय शक्ति बढ़ने से ही आर्थिक महाशक्ति बन सकेगा। और तभी एक आदर्श एवं संतुलित अर्थव्यवस्था का पहिया सही तरह से घूम सकेगा। यह अच्छा हुआ कि सरकार ने यह समझा कि किसानों को उनकी लागत से कहीं अधिक मूल्य मिलना ही चाहिए। यह भी समय की मांग थी कि ग्रामीण इलाकों के ढांचे पर विशेष ध्यान दिया जाए। ग्रामीण अर्थव्यवस्था संवारने की दिशा में इस बजट को मील का पत्थर कहा जा सकता हैं।
इस बजट में जो नयी दिशाएं उद्घाटित हुई हैं और संतुलित विकास, भ्रष्टाचार उन्मूलन, वित्तीय अनुशासन एवं पारदर्शी शासन व्यवस्था का जो संकेत दिया गया है, सरकार को इन क्षेत्रों में अनुकूल नतीजे हासिल करने पर खासी मेहनत करनी होगी। देश में डिजिटल व्यवस्थाओं को सशक्त एवं प्रभावी बनाने का भी सरकार ने संकल्प व्यक्त किया है। स्वास्थ्य सेवाओं को दुरस्त, प्रभावी एवं विकसित करने पर बजट में विशेष प्रावधान किये गये हैं, ताकि भविष्य में कोरोना वायरस जैसी अन्य महामारियों से हम जन-रक्षा कर सकेंगे। दरअसल सरकारी तंत्र को ठोस नतीजे देने वाले सिस्टम में तब्दील करके ही वे सभी वायदे पूरे हो सकते हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में सुधार को लेकर किए गए हैं। लेकिन इस बजट को कसने की बुनियादी कसौटी भारत का विकास ही है। अपना घर, स्टार्टअप, मेक इन इंडिया, महिला एवं वृद्धों को राहत की दृष्टि से भी यह बजट उल्लेखनीय है।
नए उपायों एवं बजट-प्रावधानों से उन्हें कितना लाभ पहुंचेगा, यह समय बताएगा। उद्योगों को गति देने और रोजगार देने के मामले में तो अनिवार्य तौर पर इस पर निगाह रखनी होगी कि वांछित नतीजे अवश्य सामने आएं। बजट एक तरह से चुनौतियों के बीच संतुलन साधने की कला है। इस पर हैरानी नहीं कि बजट में काफी कुछ लोकलुभावन है। अगर अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती दिखती रहे तो इसमें हर्ज नहीं।
-ललित गर्ग
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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