'मिशन मुस्लिम' में मोदी का पूरा साथ दे रहे हैं अजित डोभाल और मोहन भागवत

Modi Bhagwat Ajit
Prabhasakshi

केंद्र की मोदी सरकार सरकार सतर्क है। खुद प्रधानमंत्री ने मुस्लिमों के मन के भ्रमों को दूर करने के अभियान का नेतृत्व संभाल रखा है तो वहीं उनकी सरकार और संगठन से जुड़े शीर्ष नेता भी इस अभियान को गति देने में लगे हुए हैं।

भारत में अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों के खतरे में होने संबंधी दुष्प्रचार जो लोग फैलाते हैं उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने करारा जवाब देते हुए साफ कहा है कि भारत में इस्लाम समेत किसी धर्म को कोई खतरा नहीं है। डोभाल का यह बयान इस मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रस्तावित समान नागरिक संहिता कानून को लेकर भारत में तमाम तरह की अफवाहें अल्पसंख्यकों के बीच फैलाई जा रही हैं। वैसे, अफवाहें फैलाने वाले यह नहीं देखते कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब तक जिन 13 देशों ने अपने सर्वोच्च सम्मान से नवाजा है उसमें से छह इस्लामिक देश हैं। मगर, इस सबकी परवाह किये बगैर, भारत विरोधी विदेशी शक्तियां और ऐसी विदेशी शक्तियों के इशारे पर देश में काम करने वाले कुछ राजनेता, मीडिया, एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी की छवि को मुस्लिम विरोधी दर्शाने पर तुले रहते हैं।

हम आपको यह भी याद दिला दें कि पिछले महीने अमेरिका यात्रा पर गये कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय निशाने पर है। जबकि सच्चाई यह है कि भारत में यह पहली सरकार है जिसने अन्य दलों की तरह मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक नहीं समझा बल्कि उनके समावेशी विकास के लिए तेजी से कदम उठाये। पहले की सरकारें जहां तुष्टिकरण की राजनीति करती थीं तो वहीं मोदी सरकार ने 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' के सिद्धांत को केंद्र में रखते हुए सेवा कार्य किये और तुष्टिकरण की बजाय सबके संतुष्टिकरण पर जोर दिया। मोदी सरकार ने अपनी नीतियों का लाभ पारदर्शिता के साथ समाज के हर वर्ग तक पहुँचाया है जिसका पूरा-पूरा लाभ अल्पसंख्यक समाज को भी मिला है। साथ ही मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के अभिशाप से मुक्ति भी मोदी ने ही दिलाई। लेकिन जबसे पसमांदा मुस्लिमों को मुश्किलों से उबारने का संकल्प मोदी सरकार और भाजपा ने लिया तबसे कथित सेक्युलर खेमा बैचेन है। इसीलिए विरोधी तमाम प्रयास कर रहे हैं कि मुस्लिमों के मन में भय और भ्रम का माहौल बनाया जाये।

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लेकिन सरकार सतर्क है। खुद प्रधानमंत्री ने मुस्लिमों के मन के भ्रमों को दूर करने के अभियान का नेतृत्व संभाल रखा है तो वहीं उनकी सरकार और संगठन से जुड़े शीर्ष नेता भी इस अभियान को गति देने में लगे हुए हैं। हम आपको याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले महीने जब अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा पर गये थे तब उनसे एक पत्रकार ने भारत में लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सवाल किया था। इस सवाल का प्रधानमंत्री ने तथ्यपरक जवाब दिया था। यही नहीं, अमेरिका के बाद जब प्रधानमंत्री मिस्र की यात्रा पर पहुँचे तो वहां उन्होंने ऐतिहासिक मस्जिद का भी दौरा कर पूरे विश्व को शांति और सद्भाव का संदेश दिया था। इसके अलावा, प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे के दौरान पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल उठाये थे तो भारत सरकार के कई मंत्रियों ने आंकड़ों के साथ विस्तृत जवाब दिये थे।

देखा जाये तो प्रधानमंत्री और उनकी सरकार तो पूरे प्रयास कर ही रही है कि भारत की छवि को अल्पसंख्यक विरोधी दर्शाने के अभियान की हवा निकाली जाये, साथ ही इस काम में उपराष्ट्रपति, पूर्व उपराष्ट्रपति, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और आरएसएस प्रमुख जैसे लोग भी अपना पूरा योगदान दे रहे हैं और विभिन्न मंचों से दुनिया को बता रहे हैं कि भारत में हर अल्पसंख्यक पूरी तरह सुरक्षित है। इस क्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने भारत दौरे पर आए ‘मुस्लिम वर्ल्ड लीग’ के महासचिव शेख डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल-इस्सा की उपस्थिति में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत में कोई धर्म खतरे में नहीं है। इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भारत उन संस्कृतियों और धर्मों का मिलन केंद्र रहा है, जो सदियों से सद्भाव के साथ सह-अस्तित्व में हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में धार्मिक समूहों के बीच इस्लाम का अनूठा और महत्वपूर्ण ‘‘गौरव का स्थान’’ है। डोभाल ने अल-इस्सा को उदारवादी इस्लाम की प्रामाणिक वैश्विक आवाज और इस्लाम की गहरी समझ रखने वाला एक गहन विद्वान बताया। डोभाल ने कहा, ‘‘एक समावेशी लोकतंत्र के रूप में, भारत अपने सभी नागरिकों को उनकी धार्मिक, जातीय और सांस्कृतिक पहचान पर ध्यान दिये बिना बराबर की अहमियत देने में कामयाब रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कई धार्मिक समूहों के बीच इस्लाम का एक अनूठा और गौरवपूर्ण स्थान है तथा भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है।’’ डोभाल ने कहा, ‘‘हम जिस पैमाने की बात कर रहे हैं उसका अंदाजा इस बात से लगता है कि भारत की मुस्लिम आबादी इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के 33 से अधिक सदस्य देशों की संयुक्त आबादी के लगभग बराबर है।’’

दूसरी ओर, पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता भारतीयों के खून में है और अमेरिका सहित कई अन्य देशों के मुकाबले भारत में अल्पसंख्यक कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं। अमेरिका दौरे पर गये वेंकैया (74) ने ‘नेशनल काउंसिल ऑफ एशियन इंडियन एसोसिएशन्स’ द्वारा ग्रेटर वाशिंगटन डीसी इलाके में उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकियों की एक सभा को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “(भारत के खिलाफ) दुष्प्रचार किया जा रहा है। पश्चिमी मीडिया का एक तबका भी इसमें शामिल है। वह भारत और वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार का हिस्सा बन गया। मैं इन लोगों को बताना चाहूंगा कि भारत में अल्पसंख्यक यहां (अमेरिका) के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित हैं।” 

पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, “आप देखिए कि भारत में क्या हो रहा है और दूसरे देशों में क्या हो रहा है। लेकिन, आप जानते हैं कि भेदभाव (दूसरे देशों में) किया जा रहा है।” पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपने अल्पसंख्यकों का सम्मान करता है। उन्होंने कहा, “जो लोग पाकिस्तान जाना चाहते थे, वे पहले ही देश छोड़ चुके हैं। जो लोग देश में रहना चाहते थे, वे भारत में ही हैं... भारत में धर्मनिरपेक्षता है, क्योंकि यह भारतीयों के खून में है।” 

वहीं, हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि इस्लाम धर्म भारत में ही सुरक्षित है। साथ ही उन्होंने कहा था कि हमें आपस में लड़ने की बजाय सीमा पर बैठे दुश्मनों को अपनी ताकत दिखानी चाहिए। नागपुर में ‘संघ शिक्षा वर्ग’ (आरएसएस कैडर के लिए प्रशिक्षण शिविर) के समापन समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था कि भारत की एकता और अखंडता के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को प्रयास करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर कमियां हैं तो हमें उनको दूर करने पर काम करना चाहिए।

बहरहाल, मोदी सरकार के खिलाफ भ्रम फैलाने वालों को यह भी देखना चाहिए कि तमाम रिपोर्टें दर्शा रही हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति में सुधार हुआ है और आज इस समाज से भी बड़ी संख्या में लोग डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस आदि बनकर देश की सेवा कर रहे हैं। आंकड़ें यह भी दर्शाते हैं कि मोदी सरकार की कुछेक योजनाएं तो ऐसी भी हैं जिनका सर्वाधिक लाभ अल्पसंख्यक वर्ग को ही हुआ है। यही नहीं, हाल के कुछ चुनाव, उपचुनाव के दौरान भी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों की विजय दर्शा रही है कि मुस्लिमों का मन बदल रहा है। संभवतः इसी को देखकर अब तक वोटबैंक की सियासत करने वालों को अपना सियासी भविष्य खतरे में नजर आने लगा है और उन्होंने मुहब्बत की दुकान की आड़ में नफरती सामान की सेल लगा दी है। 

-नीरज कुमार दुबे

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