उद्योग मंडल ने कहा ऑडिटर्स की गैर-ऑडिट सेवाओं पर और पाबंदी की जरूरत नहीं
ऑडिटरों की स्वतंत्रता और जवाबदेही बढ़ाने को लेकर मौजूदा नियमनों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। कई लेखा परीक्षकों और लेखा परीक्षक इकाइयों के कथित रूप से गड़बडी करने को लेकर नियामक के नजर में आने के बीच यह कदम उठाया गया है।
नयी दिल्ली, लेखा परीक्षकों (ऑडटिरों) के संगठनों ने गैर-ऑडिट सेवाओं में आगे और पाबंदी का विरोध किया है। संगठनों ने कहा कि इस संदर्भ में मौजूदा रूपरेखा पर्याप्त है और बेहतर वेश्विक गतिविधियों के अनुरूप है। उनका कहना है कि ग्राहकों को दी जाने वाली स्वीकार्य गैर-ऑडिट सेवाओं के संदर्भ में पर्याप्त सुरक्षा उपाय किये गये हैं। इसमें आगे किसी भी प्रकार की रोक या प्रतिबंधित सूची को आगे बढ़ाने से सेवा की लागत बढ़ेगी जबकि लेखा परीक्षण की गुणवत्ता या स्वतंत्रता पर उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) के परिचर्चा पत्र के जवाब में उद्योग संगठनों ने ये बातें कही हैं।
परिचर्चा पत्र में ऑडिटरों की स्वतंत्रता और जवाबदेही बढ़ाने को लेकर मौजूदा नियमनों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। कई लेखा परीक्षकों और लेखा परीक्षक इकाइयों के कथित रूप से गड़बडी करने को लेकर नियामक के नजर में आने के बीच यह कदम उठाया गया है। कंपनी कानून ऑडिटरों को उस कंपनी को सीधे या परोक्ष रूप से कुछ गैर-ऑडटि सेवाएं देने पर रोक लगाता हैं जिसका वे लेखा परीक्षण कर रहे हैं। इसमें संबंधित कंपनी की होल्डिंग और अनुषंगी इकाइयां शामिल हैं। अब एमसीए ने पूछा है कि इस सूची में और कौन सी गैर-ऑडिट सेवाएं जोड़ी जा सकती हैं। इस सूची में फिलहाल एकाउंटिंग और ‘बुक कीपिंग’ सेवाएं, आंतरिक ऑडिट, वित्तीय सूचना प्रणाली को तैयार करना और उसका क्रियान्वयन, निवेश परामर्श सेवाएं, निवेश बैंकिंग सेवाएं, प्रबंधन सेवाएं, आउटसोर्स के आधार पर वित्तीय सेवाएं देना आदि शामिल हैं।
एमसीए ने परिचर्चा पत्र में कहा है कि कुछ ऑडिट कंपनियां स्व-नियमन का अनुपालन कर रही हैं और उन कंपनियों में परामर्श तथा सौदा परामर्श सेवाएं जैसे कार्य नहीं करने का निर्णय किया है जिसका वे ऑडिट कर रही हैं। मंत्रालय ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि प्रतिबंधित सूची में कुछ अन्य गैर-ऑडिट सेवाओं को जोड़ा जा सकता है। इसका कारण कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिटर उस कंपनी के बारे में बड़े मसले के संदर्भ मेंसूचना देने में विफल रही हैं। साथ ही हितों के टकराव को रोकने और सांविधिक ऑडिटरों की स्वतंत्रता बनाये रखने के लिये सूची में और गैर-ऑडिट सेवाओं को जोड़ने का प्रस्ताव है। परिचर्चा पत्र पर राय देने की समयसीमा 15 मार्च को समाप्त हो गयी।
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इस बारे में उद्योग मंडल सीआईआई ने कहा कि गैर-ऑडिट सेवाओं को लेकर मौजूदा व्यवस्था पर्याप्त है और दुनिया की बेहतर गतिविधियों के अनुरूप है। इसीलिए वह प्रतिबंधित सूची में और सेवाओं को जोड़ने के पक्ष में नहीं है। हालांकिउद्योग मंडल ने कहा कि एमसीए बड़ी कंपनियों के संदर्भ में ऑडिट वाली कंपनियों के लिये गैर-लेखा परीक्षा सेवाओं पर पाबंदी लगाने पर विचार कर सकती हैं। यह ऑडिट पेशे ओर कुल मिलाकर पूंजी बाजारों में भरोसा और विश्वसनीयता बनाये रखने की भावना के अनुरूप होगा। सीआईआई ने प्रबंधन सेवाओं जैसे प्रतिबंधित सेवाओं को और स्पष्ट करने की भी मांग की है। उद्योग मंडल फिक्की ने भी मंत्रालय से कहा कि गैर-ऑडिट सेवाओं की पाबंदी, विभिन्न नियमनों के तहत शुल्क सीमा और शुल्क खुलासा को लेकर मौजूदा प्रावधान ऑडिटरों की स्वतंत्रता के लिहाज से पर्याप्त हैं। ऐसे में लेखा परीक्षकों के लिये और गैर-ऑडिट सेवाओं पर पाबंदी की जरूरत नहीं है।
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