क्या भारतीय अर्थव्यवस्था का बुरा दौर अब बीत चुका है? RBI ने दिया जवाब
कोरोना महामारी के कारण रिटेल मंहगाई दर में तेजी आई है।लेकिन इस सेक्टर की मंहगाई दर में जल्द ही गिरावट आने की भीआशंका जताई गई है जिससे इकॉनमी में सुधार देखने को मिल सकता है।बता दें कि आगे चल कर स्थितियां सामन्य हुई तो ब्याज दरों में काफी हद तक कटौती देखने को मिल सकती है।
कोरोना महामारी से भारतीय अर्थव्य्वस्था को काफी बुरा झटका लगा है लेकिन अब देश की इकॉनमी का बुरा वक्त बीत चुका है। ऐसा मानना है आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी का। कमिटी के मुताबिक कोरोना संकट से देश की इकॉनमी में भले ही अनिशिचतता बनी हुई है लेकिन उसके बावजूद ये कहा जा सकता है कि भारत की इकॉनमी का बुरा वक्त काफी हद तक बीत चुका है। बता दें कि इस महामारी के कारण रिटेल मंहगाई दर में तेजी आई है। लेकिन इस सेक्टर की मंहगाई दर में जल्द ही गिरावट आने की भी आशंका जताई गई है जिससे इकॉनमी में सुधार देखने को मिल सकता है। बता दें कि आगे चल कर स्थितियां सामन्य हुई तो ब्याज दरों में काफी हद तक कटौती देखने को मिल सकती है।
रिटेल महंगाई दर में आएगी गिरावट
आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के मुताबिक, इस दौरान खाघ के सामानों में काफी तेजी आई है जिससे काफी परेशानियां बढ़ गई है वहीं रिटेल मंहगाई दर में 6 फीसदी से ऊपर की बढ़ोतरी देखने को मिली है। यहीं कारण हैं कि खाघ सामानों में तेजी देखने को मिली है। हालांकि, एमपीसी का मानना है कि साल के दूसरी छमाही में जल्द ही रिटेल मंहगाई के दरों मं गिरावट देखने को मिल सकता है। रिटेल मंहगाई दर 6 फीसदी से ऊपर नहीं जाने की संभावना भी जताई गई है। अगर रिटेल की मंहगाई दर में कमी आई तो खाघ समानों की कीमत में भी गिरवट देखने को मिल सकती है।
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एमपीसी के मुताबिक, ब्याज दरों में गुंजाइश बनेगी। आगे जाकर हालात काफी सामान्य हो जाएंगे, साथ ही देश की इकॉनमी में भी सुधार आएगा। बता दें कि आरबीआई ने वित्तीय शिक्षा को बढ़ावा देने कि लिए भी गुरूवार को पांच सूत्री कार्ययोजना भी पेश की है। इस योजना में स्कूली छात्रों के साथ-साथ व्यस्कों के लिए प्रासंगिक सामग्री का विकास, सामुदायिक भागीदारी के सहयोग शामिल है। ये पांंच सूत्र है- कंटेट, कपैसिटी, कम्युनिटी, कम्युनिकेशन और कोलबोरेशन।
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