सीतारमण का कहना है कि बैंक सिस्टम एक-दूसरे के अनुकूल होने चाहिए
उन्होंने कहा कि बैंकों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उनकी प्रणालियां एक-दूसरे के अनुकूल और तालमेल में हों ताकि आम आदमी अलग-अलग बैंकों के साथ लेनदेन के लिए मजबूर न हो। इसके अलावा ग्राहक को बेहतर और अधिक कारगर ढंग से सेवा देने के लिए उसकी जबान में बात करना भी अहम है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनकी प्रणाली एक-दूसरे के अनुकूल रहे ताकि वे ग्राहकों की सेवा बेहतर ढंग से कर सकें। सीतारमण ने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की 75वीं सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कई बार ग्राहकों को अलग-अलग बैंकों के साथ लेनदेन के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने इस तरह की स्थिति को ऐसी कृत्रिम दीवार बताया जिसका निर्माण बैंकों ने अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए किया है।
उन्होंने कहा कि बैंकों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उनकी प्रणालियां एक-दूसरे के अनुकूल और तालमेल में हों ताकि आम आदमी अलग-अलग बैंकों के साथ लेनदेन के लिए मजबूर न हो। इसके अलावा ग्राहक को बेहतर और अधिक कारगर ढंग से सेवा देने के लिए उसकी जबान में बात करना भी अहम है। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को धांधली पर लगाम लगाने के लिए नवीनतम इंटरनेट प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा (एआई) में निवेश करना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि समय के साथ प्रौद्योगिकी-आधारित नियामकीय निगरानी व्यवस्था लागू करने से बैंकों को काफी हद तक धोखाधड़ी पर लगाम लगाने में मदद मिली है। इसके साथ ही उन्होंने बैंक अधिकारियों से अनुरोध किया कि साइबर सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाएं जिससे किसी भी तरह की गड़बड़ी का जल्द पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि बैंकों को आने वाले समय में कहीं अधिक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि देश 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था होने के लिए प्रयास शुरू कर चुका है।
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