रूस-यूक्रेन संघर्ष से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए पैदा हुआ बड़ा जोखिम
यूक्रेन पर रूस के हमले और जवाब में पश्चिम की ओर से प्रतिबंध से पूरी दुनिया मंदी में घिर जाएगी, यदि यह सोचा जा रहा है तो ऐसा नहीं है। दोनों देश मिलकर वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो प्रतिशत से कम का योगदान करते हैं।
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यूक्रेन के खेत दुनियाभर में लाखों लोगों का पेट भरते हैं। दूसरी ओर वित्तीय बाजार एक अनिश्चित स्थिति में हैं, क्योंकि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने के लिए तैयार हैं। ऐसे में खर्च कम होने तथा एक और मंदी का खतरा बढ़ सकता है। बैंकों के एक कारोबारी समूह अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान की उप मुख्य अर्थशास्त्री एलिना रिबाकोवा ने कहा, ‘‘मैं केवल जीडीपी हिस्सेदारी की गणना करके गुमराह नहीं होऊंगी... विशेष रूप से ऐसे वक्त में जब जिंस कीमतें पहले ही बढ़ी हुई हैं, मुद्रास्फीति पहले से ही अधिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यह एक मुश्किल क्षण है।’’ रूस का हमला पहले से ही ऊंची ऊर्जा कीमतों को और बढ़ा सकता है, जिससे यूरोप में आर्थिक पुनरुद्धार धीमा हो सकता है।
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कोलंबिया विश्वविद्यालय के यूरोपीय संस्थान के निदेशक एडम टूज ने कहा, ‘‘यूरोप में गैस की कीमतें पहले से ही उपभोक्ताओं को परेशान कर रही हैं, खासतौर से निन्म आय वाले परिवारों को।’’ महंगी गैस ने उर्वरक उत्पादकों और कुछ अन्य भारी औद्योगिक विनिर्माताओं को उत्पादन घटाने के लिए मजबूर कर दिया है। यूक्रेन दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है, और वहां तनाव बढ़ने से प्रमुख कृषि उत्पादों के भाव बढ़ सकते हैं।
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