रिलायंस इंडस्ट्रीज, बीपी एमजे और डी-55 गैस क्षेत्र का 2022 तक करेगी विकास

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यह काम इस ब्लॉक में अलग-अलग दो जगहों पर खोजे गये क्षेत्रों के विकास के लिये पूर्व में मंजूर परियोजनाओं के साथ साथ किया जाएगा। इससे कुल मिला कर चरणबद्ध तरीके से दैनिक 3 से 3.5 करोड़ घन अतिरक्त उत्पादन हो सकेगा।

नयी दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी भागीदार ब्रिटेन की बीपी पीएलसी ने केजी-डी6 ब्लॉक में सबसे गहरे में खोजे गये प्राकृतिक गैस क्षेत्र के 2022 तक विकास को लेकर निवेश योजना की मंजूरी की मंगलवार को घोषणा की। रिलायंस-बीपी एमजे या डी-55 गैस क्षेत्र का विकास करेगी। यह काम इस ब्लॉक में अलग-अलग दो जगहों पर खोजे गये क्षेत्रों के विकास के लिये पूर्व में मंजूर परियोजनाओं के साथ साथ किया जाएगा। इससे कुल मिला कर चरणबद्ध तरीके से दैनिक 3 से 3.5 करोड़ घन अतिरक्त उत्पादन हो सकेगा। 

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रिलायंस ने इन तीनों परियोजनाओं के स्वीकृत विकास खर्च का अलग अलग ब्योरा नहीं दिया है पर उसका कहना है कि इन परियोजनाओं पर कुल 35,000 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। इन तीनों परियोजनाओं में करीब 3,000 अरब घन फुट गैस स्रोतोंविकस किया जाएगा। एमजे गैस क्षेत्र मौजूदा धीरूभाई-1 और 3 (डी-1 और डी-3) फील्डों से करीब 2,000 मीटर नीचे है। इसमें न्यूनतम 988 अरब घन फुट भंडार होने का अनुमान है। कंपनी ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि एमजे ब्लाक केजी-डी6 एकीकृत विकास योजना में तीन नई परियोजनाओं में तीसरा है। रिलायंस-बीपी ने तीन परियोजनाओं की अलग-अलग लागत के बारे में जानकारी नहीं दी है लेकिन कहा है कि इस पर 

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बयान के अनुसार तीनों परियोजनाओं के पूर्ण रूप से विसकित होने पर चरणबद्ध तरीके से 2020-22 तक करीब एक अरब घन फुट प्रतिदिन घरेलू गैस उत्पादन में आएगा। उल्लेखनीय है कि रिलायंस और बीपी ने केजी-डी6 ब्लाक से गिरते उत्पादन को थामने और उसमें तेजी लाने के इरादे से तीनों खोजे गये क्षेत्रों में जून 2017 में 40,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की थी। इससे 2020-22 तक 3 से 3.5 करोड़ घन मीटर (एम अरब घन फुट) गैस उत्पादन में आएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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