Jamnagar में Reliance बनाएगा रिकॉर्ड, 24 महीनों में AI इंफ्रास्ट्रक्चर विकासित करने का Akash Ambani ने किया ऐलान

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नई सूचना एवं प्रौद्योगिकी के युग में रिलायंस जामनगर को विश्व का अग्रणी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी, जो समूह की पहली रिफाइनरी है, पिछले हफ़्ते 25 साल की हो गई। पच्चीस साल पहले, 28 दिसंबर, 1999 को रिलायंस ने जामनगर में अपनी पहली रिफाइनरी शुरू की थी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जामनगर स्थित रिफायनरी को 25 वर्ष पूरे हो चुके है। इस खास मौके पर रिलायंस इंडस्ट्रीड लिमिटेड की डायरेक्टर ईशा अंबानी पीरामल ने रिफायनरी के कर्मचारियों को संबोधित किया है। वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक आकाश अंबानी ने गुरुवार को जामनगर में एआई बुनियादी ढांचे को विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई। जामनगर को रिलायंस परिवार का रत्न माना जाता है। उन्होंने कहा कि यह काम 24 महीने की छोटी सी अवधि में जामनगर की सच्ची भावना के अनुरूप किया जाएगा। 

ईशा अंबानी और अनंत अंबानी के साथ, आकाश अंबानी ने रिलायंस के विकास के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। वह जामनगर रिफाइनरी के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। "हमने जामनगर में जिस एआई बुनियादी ढांचे पर काम करना शुरू किया है, वह न केवल जामनगर को एआई बुनियादी ढांचे में अग्रणी बनाएगा, बल्कि इसे दुनिया में शीर्ष रैंक में भी रखेगा।"

"हमने जामनगर में इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया है और हम इसे जामनगर शैली में रिकार्ड समय में पूरा करना चाहते हैं, जैसा कि हमने जामनगर में हमेशा 24 महीने में किया है।" उन्होंने कहा, "ईशा, अनंत और मैं, हम आपसे वादा करते हैं कि हम मिलकर रिलायंस को आगे बढ़ाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि जामनगर हमेशा हमारे रिलायंस परिवार का गहना बना रहेगा। यह हमारे माता-पिता सहित पूरे रिलायंस परिवार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है।" 

आकाश अंबानी ने कहा कि नई सूचना एवं प्रौद्योगिकी के युग में रिलायंस जामनगर को विश्व का अग्रणी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी, जो समूह की पहली रिफाइनरी है, पिछले हफ़्ते 25 साल की हो गई। पच्चीस साल पहले, 28 दिसंबर, 1999 को रिलायंस ने जामनगर में अपनी पहली रिफाइनरी शुरू की थी। 

जामनगर विश्व का रिफाइनिंग केंद्र बन गया है - एक इंजीनियरिंग चमत्कार जो भारत का गौरव है। उस समय कई विशेषज्ञों ने कहा था कि किसी भारतीय कंपनी के लिए तीन साल में दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी स्थापित करना असंभव होगा। लेकिन रिलायंस ने बुनियादी ढांचे की कमी और जामनगर में आए भयंकर चक्रवात के बावजूद, केवल 33 महीने के रिकॉर्ड समय में यह लक्ष्य हासिल कर लिया।

अग्रणी विश्वस्तरीय परियोजना सलाहकारों ने धीरूभाई अंबानी को रेगिस्तान जैसे क्षेत्र में निवेश न करने की सलाह दी, जहाँ सड़कें, बिजली या यहाँ तक कि पर्याप्त पेयजल भी नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि ऐसे जंगल में जनशक्ति, सामग्री, तकनीकी विशेषज्ञ और हर अन्य इनपुट जुटाने के लिए असाधारण प्रयासों की आवश्यकता होगी।

धीरूभाई ने सभी आलोचकों को दरकिनार करते हुए अपने सपने को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया। वह न केवल एक औद्योगिक संयंत्र बनाना चाहते थे, बल्कि एक नंदनवन भी बनाना चाहते थे। 1996 से 1999 के बीच, उन्होंने और उनकी बेहद प्रेरित टीम ने जामनगर में इंजीनियरिंग का एक चमत्कार बनाया। आज, जामनगर रिफाइनरी परिसर में दुनिया की कुछ सबसे बड़ी इकाइयां हैं, जैसे कि फ्लुइडाइज्ड कैटेलिटिक क्रैकर (एफसीसी), कोकर, एल्केलेशन, पैराक्सिलीन, पॉलीप्रोपाइलीन, रिफाइनरी ऑफ-गैस क्रैकर (आरओजीसी), और पेटकोक गैसीफिकेशन प्लांट शामिल है।

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