डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की शक्ति एआई के साथ उपयोग करने पर हो जाती है 100 गुना : Vaishnav

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अगर आधार जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल कृत्रिम मेधा (एआई) उपकरण के साथ किया जाए तो इसकी ताकत 100 गुना बढ़ सकती है। वैष्णव ने कहा कि सरकार ने पहले ही डीपीआई (डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे) के साथ एआई उपकरणों का उपयोग शुरू कर दिया है।
मुंबई । केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अगर आधार जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल कृत्रिम मेधा (एआई) उपकरण के साथ किया जाए तो इसकी ताकत 100 गुना बढ़ सकती है। आईटी उद्योग निकाय नैसकॉम के प्रौद्योगिकी और नेतृत्व मंच एनटीएलएफ 2025 में वैष्णव ने कहा कि सरकार ने पहले ही डीपीआई (डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे) के साथ एआई उपकरणों का उपयोग शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा, “जब हम एआई का उपयोग करते हैं तो डीपीआई की शक्ति वास्तव में 10, 20 या 100 गुना हो सकती है।” मंत्री ने कहा कि यदि चीन ‘डीपसीक’ आधारभूत एआई मॉडल बना सकता है, तो कोई कारण नहीं है कि भारत जैसा देश, जिसने चंद्रमा तक पहुंचने के लिए किफायती नवोन्मेष किया है, कम लागत पर ऐसा ही मॉडल क्यों न बना सके।
उन्होंने कहा कि अपना स्वयं का वृहद मॉडल बनाने के लिए सरकार द्वारा प्रवर्तित योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। उन्होंने भारत के स्टार्टअप द्वारा अपना मॉडल विकसित करने में विश्वास भी जताया। वैष्णव ने कहा कि भारत यूरोपीय देशों की तरह कठोर रुख अपनाने के बजाय विनियमन के लिए प्रौद्योगिकी-कानूनी दृष्टिकोण अपना रहा है। मंत्री ने कहा कि जापान ने भारत में विकसित एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) को पेटेंट दिया है।
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