प्रधानमंत्री ने खाद्य तेल, उर्वरक के आयात पर होने वाले खर्च पर चिंता जताई
प्रधानमंत्री ने यहां स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पूसा मेला ग्राउंड में दो दिवसीय “पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022” का उद्घाटन करने के बाद ये बातें कही। उन्होंने कहा, ‘आज भारत का सबसे अधिक खर्च जिन चीजों को आयात करने में होता है, उनमें खाद्य तेल, उर्वरक और कच्चा तेल शामिल हैं और इनको खरीदने के लिए हर वर्ष लाखों करोड़ रुपये दूसरे देशों को देना पड़ता है।’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद्य तेल, उर्वरक और कच्चे तेलों के आयात पर होने वाले खर्च को लेकर सोमवार को चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं पर बोझ पड़ता है, लिहाजा यह समय भारत को आत्मनिर्भर बनाने और आयात की निर्भरता कम करने के लिए ‘मिशन मोड’ में काम करने का है। उन्होंने कहा कि भारत का आत्मनिर्भर होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि निर्यात करने वाले देशों की समस्याओं के चलते भारत पर इसका बुरा असर पड़ता है, जैसा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने से हुआ।
प्रधानमंत्री ने यहां स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पूसा मेला ग्राउंड में दो दिवसीय “पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022” का उद्घाटन करने के बाद ये बातें कही। उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत का सबसे अधिक खर्च जिन चीजों को आयात करने में होता है, उनमें खाद्य तेल, उर्वरक और कच्चा तेल शामिल हैं और इनको खरीदने के लिए हर वर्ष लाखों करोड़ रुपये दूसरे देशों को देना पड़ता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विदेश में अगर कोई समस्या आती है, तो इसका बुरा असर हमारे यहां भी पड़ता है।’’
मोदी ने कहा कि सरकार उर्वरक के आयात पर इसी साल 2.5 करोड़ रुपये खर्च कर रही है ताकि भारतीय किसान उच्च वैश्विक कीमतों से प्रभावित ना हों। उन्होंने यह भी कहा कि देश के किसानों पर बोझ ना पड़े और उनपर कोई नया संकट ना आए इसलिए सरकार 70-80 रुपये में यूरिया बाहर से लाती और किसानों तक 5-6 रुपये में पहुंचाती। प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने यूरिया की शत प्रतिशत नीम कोटिंग करके उसकी कालाबाजारी रुकवाई और बरसों से बंद पड़े देश के छह बड़े यूरिया कारखानों को फिर से से शुरू किया गया।
पिछले वित्त वर्ष में देश का वनस्पति तेल आयात सालाना आधार पर 70.72 फीसदी बढ़कर 18.93 अरब डॉलर रहा। वर्ष 2021-22 में भारत ने 160.68 अरब डॉलर का पेट्रोलियम और कच्चे तेल तथा इससे जुड़े उत्पादों का आयात किया, जो करीब 94 प्रतिशतअधिक है। मोदी ने इस अवसर पर दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 2015 में किए गए अपने आह्वान का उल्लेख किया और कहा कि किसानों ने इसे हाथों हाथ लिया जिसकी वजह से इनके उत्पादन में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इससे आयात पर निर्भरता कम हुई।
उन्होंने कहा कि खाने के तेलों की आत्मनिर्भरता के लिए सरकार ने मिशन पॉम आयल भी शुरु किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि उपज से पैदा होने वाले एथनॉल से गाड़ियां चले, कचरे व गोबर से बनने वाली बायो गैस से बायो -सीएनजी बने, इस दिशा में आज काम हो रहा है।
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