भारत में फलों-सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में हुई बढ़ोतरी, एसबीआई की रिपोर्ट में खुलासा
कई बार गर्म और ठंड अधिक होने के कारण कृषि और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर असर देखने को मिला है। इन मौसम संबंधी चरम स्थितियों का खाद्यान्न उत्पादन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, अधिकांश राज्यों में चरम मौसम की स्थिति और खाद्यान्न उपज के बीच नकारात्मक सहसंबंध देखा गया है।
बीते एक दशक के दौरान भारत में फलों और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में इजाफा देखने को मिला है। ये जानकारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट की मानें तो पिछले एक दशक में भारत में फलों और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता क्रमशः 7 किलोग्राम और 12 किलोग्राम बढ़ गई है।
देश में बढ़ी इस उपलब्धता के लिए सबसे अधिक योगदान मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू और कश्मीर के राज्य ने दिया है। रिपोर्ट की मानें तो भारत में प्रति व्यक्ति हर वर्ष 227 किलोग्राम फल और सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। हालांकि, इन उत्पादों की शीघ्र नष्ट होने वाली प्रकृति के कारण, कटाई, भंडारण, वर्गीकरण और परिवहन के दौरान इनका एक महत्वपूर्ण हिस्सा नष्ट भी होता है।
इसके अलावा रिपोर्ट में खाद्यान्न उत्पादन पर चरम जलवायु घटनाओं के नकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है। हाल के वर्षों में, कई बार गर्म और ठंड अधिक होने के कारण कृषि और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर असर देखने को मिला है। इन मौसम संबंधी चरम स्थितियों का खाद्यान्न उत्पादन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, अधिकांश राज्यों में चरम मौसम की स्थिति और खाद्यान्न उपज के बीच नकारात्मक सहसंबंध देखा गया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, दाना भरने की अवधि के दौरान तापमान में 30°C से अधिक 1°C की वृद्धि से गेहूं की उपज कम हो सकती है। इन जलवायु झटकों ने खाद्य मुद्रास्फीति में भी 3-4 प्रतिशत की वृद्धि में योगदान दिया है। आर्थिक विकास के संदर्भ में, रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यक्तिगत ऋण के आंकड़े पिछले दशक में उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में बढ़ते शहरीकरण को दर्शाते हैं।
भारत की लगभग एक तिहाई आबादी अब शहरों में रहती है तथा 2014 से 2024 तक शहरीकरण में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होगी। रिपोर्ट में शहरी क्षेत्रों में व्यक्तिगत ऋण की मांग में वृद्धि की ओर भी इशारा किया गया है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश (115 आधार अंक) और राजस्थान (97 आधार अंक) में। अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि शहरीकरण की यह प्रवृत्ति, बढ़ती आय और शहरों में बेहतर रोजगार के अवसरों के साथ मिलकर, फलों और सब्जियों की मांग को बढ़ाएगी।
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