राजस्थान के झालावाड़ जिले में दूसरे चरण में संतरा उत्पादन 60 प्रतिशत घटा
संतरे की बागवानी के लिए चचिर्त राजस्थान के झालावाड़ जिले में पिछले वर्ष वर्षा कम होने से संतरे के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा और दूसरे फूल वाले उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कोटा (राजस्थान)। संतरे की बागवानी के लिए चचिर्त राजस्थान के झालावाड़ जिले में पिछले वर्ष वर्षा कम होने से संतरे के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा और दूसरे फूल वाले उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट आई है। झालावाड़ के संतरे कुछ वर्ष से बाजार में विशेष स्थान बना चुके है। यहां के संतरे के महाराष्ट्र के नागपुर में उत्पादित प्रसिद्ध संतरों से अधिक स्वादिष्ट माने जतो हैं। झालावाड़ जिले के बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक, पीके गुप्ता, ने कहा कि जिले के डूंग, भवानीमंडी और पेदावा झालरापाटन क्षेत्र में 40,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में संतरे के बागीचे हैं। इस क्षेत्र में फूल के दूसरे सीजन में संतरे के लाखों टन फल आते हैं।
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उन्होंने कहा कि जिले में पिछले साल प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों ने संतरे के उत्पादन को केवल 40 प्रतिशत तक सीमित कर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले साल, जुलाई-अगस्त में फूल लगने के दूसरे चरण में 3,28,000-3,30,000 टन संतरा उत्पादन होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन, इस साल इस मौसम में उत्पादनकेवल 1,31,000 टन रहने का अनुमान है। इससे काश्तकारों को भारी नुकसान हुआ है। संतरे पर साल में तीन बार- अप्रैल, अगस्त, दिसंबर में फूल लगते हैं।
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