कुछ बड़ी कंपनियां ही कर रहीं निवेश, मुक्त एवं निष्पक्ष बाजार को बढ़ावा दे सरकार: उदय कोटक

Uday Kotak
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कोटक ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में पांच साल के भीतर कंपनियों की संख्या 13 से घटकर ढाई रह गई है। वहीं इस्पात क्षेत्र में तीन बड़ी कंपनियां हो गई हैं जबकि विमानन सेक्टर में सिर्फ सवा दो कंपनियां ही रह गई हैं। कोटक ने संकेत दिया कि भारतीय उद्योग जगत के निवेश की कमी से ही देश व्यापार के मोर्चे पर चीन से पीछे है और उसे प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर का शुद्ध व्यापार घाटा हो रहा है।

कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक उदय कोटक ने बुधवार को ‘कॉरपोरेट निवेश के कुछ उद्योग समूहों तक ही केंद्रित’ होने पर अफसोस जताते हुए सरकार से ‘कई फूलों को खिलने के लिए प्रोत्साहन’ देने का आग्रह किया। कोटक ने यहां ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ में निवेश के कुछ समूहों तक ही केंद्रित रहने को लेकर अपनी नाखुशी जताई। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वस्तरीय कारोबार खड़ा करने में बड़ी कंपनियों, खासकर मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा किए गए काम का वह सम्मान करते हैं। दिग्गज बैंकर कोटक ने कहा, “मैं कुछ ऐसा कह रहा हूं जो मेरे दिल के करीब है। सिर्फ कुछ समूहों का ही नए निवेश में बड़ा संकेंद्रण है।” उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह रहा कि नीति विषम है, मेरा मानना है कि नीति को कई फूल खिलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।”

कोटक ने कहा कि कई कंपनियां निवेश के साथ आगे नहीं बढ़ रही हैं और इसकी वजह से ‘अधिक संकेंद्रण और समेकन’ देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कारोबारी संकेंद्रण अल्पावधि में परिणाम दे सकता है, लेकिन कई व्यवसायों का फलना-फूलना भारत के दीर्घकालिक हित में है। कोटक ने संकेंद्रण की वृद्धि वाले क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को ‘निष्पक्षता’ के लिए कदम उठाना चाहिए। कोटक ने सीसीआई से अधिक सतर्कता बरतने का आग्रह करते हुए कहा, “हमें ऐसे नीति-समर्थित मुक्त और निष्पक्ष बाजारों की जरूरत है जो वास्तव में एक प्रतिस्पर्धी बाजार स्थान की अनुमति देता है।” उन्होंने कहा, “मैं निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिस्पर्धा आयोग की मजबूत भूमिका देखना चाहूंगा, जिससे बाजार में निष्पक्षता रहे।

आप कुछ हाथों में ऐसा संकेंद्रण नहीं चाहते... मुझे लगता है कि (दीर्घकालिक तौर पर) एक भारतीय के तौर पर मैं कई और भारतीयों को सफल होते हुए देखना पसंद करुंगा।” कोटक ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में पांच साल के भीतर कंपनियों की संख्या 13 से घटकर ढाई रह गई है। वहीं इस्पात क्षेत्र में तीन बड़ी कंपनियां हो गई हैं जबकि विमानन सेक्टर में सिर्फ सवा दो कंपनियां ही रह गई हैं। कोटक ने संकेत दिया कि भारतीय उद्योग जगत के निवेश की कमी से ही देश व्यापार के मोर्चे पर चीन से पीछे है और उसे प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर का शुद्ध व्यापार घाटा हो रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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