ऑनलाइन मर्चेंट को टोकन व्यवस्था से 20-40 प्रतिशत राजस्व का नुकसान होगाः सीआईआई

Online merchants will lose 20-40 percent revenue from token system CII

उद्योग मंडल फिक्की का कहना है कि ग्राहकों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड से जुड़ी सूचना जमा करने के बजाय टोकन नंबर जारी करने की नई व्यवस्था लागू होने से ऑनलाइन मर्चेंट को 20-40 फीसदी राजस्व गंवाना पड़ सकता है।

नयी दिल्ली। उद्योग मंडल फिक्की का कहना है कि ग्राहकों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड से जुड़ी सूचना जमा करने के बजाय टोकन नंबर जारी करने की नई व्यवस्था लागू होने से ऑनलाइन मर्चेंट को 20-40 फीसदी राजस्व गंवाना पड़ सकता है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की मीडिया एवं मनोरंजन समिति की तरफ से बुधवार को आयोजित एक ‘ऑनलाइन’ सम्मेलन में ऐसी आशंका जताई गई। इसमें कार्ड के टोकन नंबर रखने के बारे में एक जनवरी 2022 से नई व्यवस्था लागू होने पर चर्चा की गई। भारतीय रिजर्व बैंक ने ऑनलाइन मर्चेंट को 31 दिसंबर तक ही पुरानी व्यवस्था लागू करने की छूट दी थी।

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ऑनलाइन खरीदारी के दौरान ग्राहकों के डेबिट-क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारियां स्टोर की जाती रही हैं। लेकिन नए निर्देश लागू होने पर एक जनवरी से मर्चेंट कार्ड उपयोगकर्ताओं के कार्ड से जुड़ी सूचनाएं अपने मंच पर स्टोर नहीं कर पाएंगे। उसकी जगह पर उन्हें हरेक कार्ड को एक टोकन नंबर यानी विशिष्ट कूट संख्या जारी करना होगा। सीआईआई ने अपने बयान में कहा कि इस व्यवस्था से ऑनलाइन मर्चेंट को 20-40 फीसदी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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खासकर छोटे मर्चेंट के लिए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है जिससे उन्हें अपनी दुकान बंद करने की नौबत भी आ सकती है। अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक सिजो कुरुविला जॉर्ज का कहना है कि नई व्यवस्था लागू होने से मर्चेंट को अपनी कोई गलती न होते हुए भी नुकसान उठाना पड़ेगा। भारत में करीब 98.5 करोड़ कार्ड होने का अनुमान है जिनसे रोजाना करीब 4,000 करोड़ रुपये मूल्य का लेनदेन होता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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