बैंकों और इंश्योरेंस कंपनियों में लावारिस पड़े हैं करोड़ों रुपये! क्लेम करने वाला कोई नहीं
रडा ने दावा किया है कि, देश के सरकारी और प्राइवेट बीमा कंपनियों के पास 24, 586 करोड़ बिना किसी दावे के अकाउंट में पड़े हुए है। कई बार लोग पॉलिसी कराने के बाद और प्रीमियम भरने के बाद अपनी पॉलिसी बीच में ही छोड़ देते हैं और बीच में ही इंशोयोरेंस पर क्लेम नहीं करते है।
वित्त मंत्री भागवत कराड ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि देश के बड़े बैंकों औप बीमा कंपनियों के पास करीब 49000 करोड़ रुपये बिना किसी दावे के उनके पास पड़े हुए हैं। आपको बता दें कि यह आंकड़ा 31 दिसंबर 2021 तक का है। रिजर्व बैंक की जानकारी के अनुसार, बैंक के 8.1 कोरड़ अकाउंट ऐसे है जिसमें 24,356 करोड़ रुपये की रकम बिना किसी दावे के पड़े हुए है। साधाराण शब्दों में समझे तो हर अंकाउट में 3000 रुपये जमा हो रखे है और यह वह रकम है जिनका कोई दावा नहीं किया गया है। सरकारी बैंकों की बात करें तो, ऐसे 5.5 करोड़ खाते है जिसमें 16597 करोड़ रुपये की जमा रासि बिना किसी दावे की पड़ा हुई है। इसी में एक सरकारी बैंक एसबीआई के 1.3 करोड़ खातों में टोटल 3578 कोरड़ रुपए ऐसे ही पड़े हुए है वहीं प्राइवेट बैंक मके 90 लाख अंकाउट में 3340 रुपये पड़े हुए है। इरडा ने दावा किया है कि, देश के सरकारी और प्राइवेट बीमा कंपनियों के पास 24, 586 करोड़ बिना किसी दावे के अकाउंट में पड़े हुए है। कई बार लोग पॉलिसी कराने के बाद और प्रीमियम भरने के बाद अपनी पॉलिसी बीच में ही छोड़ देते हैं और बीच में ही इंशोयोरेंस पर क्लेम नहीं करते है।
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कहां जाता है यह पैसा?
नियमों के मुताबिक, बिना दावे के पड़े इन रकमों को डीफ स्कीम के अकाउंट में डाल दिया जाता है। आरबीआई पैसे का इस्तेमाल जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने में किया जाता है। वहीं बीमा कंपिनयों के पास पड़े 10 साल से ज्याा की रकमों को जो बिना किसी दावे के पड़े होते है उनको सीनीयर सिटीजन वेलफेयर फंड में डाल दिया जाता है। आरबीआई की अनुमति के मुताबिक, इन रकमों को अब गैर बैंक भी CPS में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट और नैश्नल इलेक्ट्रोनिक फंड ट्रांसफर सिस्टम का इस्तेमाल कर सकेंगे।
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