घरेलू कोयला खान परिचालन को समर्थन के लिए सरकार की नई प्रौद्योगिकी, डिजिटल ढांचे की योजना

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मसौदा कहता है, ‘‘इस तरह की प्रणाली के निर्माण के लिए नए पीढ़ी के पारिस्थितिक तंत्र (मसलन स्टार्टअप, स्थापित वेंडर, शोध संस्थान) तक पहुंच की आवश्यकता होगी। प्रौद्योगिकी बदलाव के लिए संगठन में एक संस्कृति बनाने की जरूरत भी होगी।

नयी दिल्ली|  सरकार की योजना मौजूदा और भविष्य में कोयला खानों के परिचालन में नई प्रौद्योगिकियों के क्रियान्वयन और डिजिटल ढांचे के निर्माण की है। इससे देश की कोयले के आयात पर निर्भरता को कम किया जा सकेगा। कोयला खनन में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल परिचालन को अधिक उत्पादक बना रहा है।

सरकार के कोयला क्षेत्र के लिए प्रौद्योगिकी की रूपरेखा पर मसौदे के अनुसार, ‘‘इसका उद्देश्य नई प्रौद्योगिकियों को लागू करना और खानों के वर्तमान और भविष्य के विस्तार को समर्थन देने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है।’’

इसमें कहा गया है कि इसके तहत एक मजबूत, बहु-गति की सूचना प्रौद्योगिकी और ढांचागत प्रणाली के आधार की जरूरत है।

मसौदा कहता है, ‘‘इस तरह की प्रणाली के निर्माण के लिए नए पीढ़ी के पारिस्थितिक तंत्र (मसलन स्टार्टअप, स्थापित वेंडर, शोध संस्थान) तक पहुंच की आवश्यकता होगी। प्रौद्योगिकी बदलाव के लिए संगठन में एक संस्कृति बनाने की जरूरत भी होगी।

मसौदे में कहा गया है कि आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के लिए एक अरब टन के लक्ष्य तक पहुंचना महत्वपूर्ण है, जिससे प्रौद्योगिकी बदलाव की यात्रा शुरू हो सके। मसौदे के अनुसार, नई प्रौद्योगिकी के सुरक्षा और उत्पादकता, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के लिए अवसरों सहित खनन कार्यों सहित कई प्रभाव हो सकते हैं। इसमें कहा गया है कि बेहतर भूमिगत संचार, स्वचालन, अधिक परिष्कृत खनिज और धातु परिवहन और आपात प्रतिक्रिया उपायों के माध्यम से खनन परियोजनाओं में प्रौद्योगिकी को एकीकृत कर सुरक्षित काम करने की स्थिति हासिल की जाती है। मसौदे में कहा गया है कि भारत के पास कुल कोयला भंडार 344.02 अरब टन था।

पिछले चार दशकों में देश में वाणिज्यिक प्राथमिक ऊर्जा खपत में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ऊर्जा की मांग में वृद्धि के प्रमुख कारक अर्थव्यवस्था का विस्तार, बढ़ती जनसंख्या और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हैं। ‘‘

अन्य ऊर्जा स्रोतों की सीमित संभावनाओं की वजह से अगले कुछ दशकों तक देश के ऊर्जा परिवेश में कोयला प्राथमिक स्रोत के रूप में बना रहेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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