NBFC, HFC को दिवाला प्रक्रिया में देने का प्रावधान बैंकों के लिये सकारात्मक: मूडीज
रेटिंग एजेंसी मूड़ीज ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि एनबीएफसी को दिवाला कानून के तहत लाये जाने का कदम बैंकों के लिये सकारात्मक होगा। दिवाला संहिता में दबाव में फंसी कंपनियों का सुनियोजित तरीके से समाधान करने का प्रावधान है।
मुंबई। गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और आवास वित्त कंपनियों (एनबीएफसी, एचएफसी) के खिलाफ दिवाला कार्रवाई शुरू किये जाने की अनुमति दिया जाना बैंकों के लिये सकारात्मक कदम है। इस कदम से इन वित्तीय कंपनियों में फंसे कर्ज का सुनियोजित तरीके से समाधान हो सकेगा। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। सरकार ने हाल ही में रिजर्व बैंक को यह अधिकार दिया है कि कम से कम 500 करोड़ रुपये की निवल संपत्ति वाली दबाव में फंसी एनबीएफसी और एचएफसी को दिवाला प्रक्रिया के तहत भेजा जा सकता है।सरकार ने इसके लिये हाल ही में दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता की धारा 227 को अधिसूचित किया है।
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इससे पहले कर्ज बोझ के दबाव में फंसी एनबीएफसी के लिये समाधान निकालने का एकमात्र जरिया उनका परिसमापन किया जाना था। बहरहाल, रिजर्व बैंक को दिवाला प्रक्रिया में भेजने का अधिकार मिलने के बाद डीएचएफएल पहली आवास वित्त कंपनी बनी है जिसे दिवाला प्रक्रिया अदालत में भेजा गया है। रेटिंग एजेंसी मूड़ीज ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि एनबीएफसी को दिवाला कानून के तहत लाये जाने का कदम बैंकों के लिये सकारात्मक होगा। दिवाला संहिता में दबाव में फंसी कंपनियों का सुनियोजित तरीके से समाधान करने का प्रावधान है।
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एनबीएफसी और एचएफसी के लिये धन का सबसे बड़ा स्रोत बैंक ही होते हैं। बैंकों से ही कर्ज लेकर ये संस्थायें आगे आवास रिण एव अन्य कार्यों के लिये कर्ज देतीं हैं। दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 227 के तहत सरकार को अधिकार दिया गया है कि वह वित्तीय क्षेत्र के नियामक के साथ विचार विमर्श के बाद दिवाला एवं परिसमापन प्रक्रिया के लिये अधिसूचना जारी कर सकती है। इस धारा में इसका उल्लेख है कि एनबीएफसी और एचएफसी के मामले में रिजर्व बैंक दिवाला प्रक्रिया शुरू कर सकता है। रिजर्व बैंक ने 20 नवंबर को डीएचएफएल के निदेशक मंडल को भंग कर अपना प्रशासक उसमें बिठा दिया। केन्द्रीय बैंक ने कहा कि वह कर्ज संकट में फंसी इस कंपनी में दिवाला प्रक्रिया की शुरुआत करेगा।
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