भारतीय व्यापारियों की Lipulekh दर्रे के जरिये China के साथ सीमा व्यापार फिर शुरू करने की मांग

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लिपुलेख दर्रे के जरिये चीन के साथ 1992 से सीमा व्यापार कर रहे भारतीय व्यापारियों ने केंद्र सरकार से इस मार्ग से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने का मुद्दा चीन के समक्ष उठाने का अनुरोध किया है। वर्ष 2019 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के बाद इस व्यापार मार्ग अचानक बंद कर दिया गया था।

पिथौरागढ़ । पिथौरागढ़ जिले में लिपुलेख दर्रे के जरिये चीन के साथ 1992 से सीमा व्यापार कर रहे भारतीय व्यापारियों ने केंद्र सरकार से इस मार्ग से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने का मुद्दा चीन के समक्ष उठाने का अनुरोध किया है। वर्ष 2019 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के बाद इस व्यापार मार्ग अचानक बंद कर दिया गया था, जिससे भारतीय व्यापारियों को तिब्बत के तकलाकोट मार्ट से अपने ऊनी उत्पादों को छोड़कर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था। दाराचुला में सीमावर्ती व्यापारियों के एक संगठन ने कहा कि पांच साल बीत चुके हैं लेकिन मार्ग नहीं खोला गया है। 

भोटिया जनजाति के व्यापारियों ने लिपुलेख के जरिये व्यापार मार्ग को फिर से खोलने की मांग तब उठानी शुरू कर दी, जब चीन ने हाल ही में एक समझौते को लागू करने की प्रक्रिया शुरू की, जिसमें उसने नेपाल के साथ सभी 14 व्यापार मार्ग खोलने पर सहमति व्यक्त की थी। भारत तिब्बती सीमांत व्यापार समिति दाराचुला के अध्यक्ष जीवन सिंह रोंगकाली ने कहा कि दिसंबर, 2022 में चीन तथा नेपाल द्वारा किए गए समझौते का कार्यान्वयन इस साल 25 मई को शुरू हुआ, जब चीन ने पूर्वी नेपाल के डोल्पा जिले में स्थित पियांगी दर्रे को खोल दिया। उन्होंने कहा कि नेपाल के पश्चिमी क्षेत्र में भारत-तिब्बत सीमा पर हुमला, बजांग और दाराचुला जिलों में पड़ने वाले तीन और दर्रे क्रमशः 20, 30 और 25 जून को खोले जाएंगे। 

रोंगकाली ने कहा, ‘‘ हमने अभी तक भारत सरकार को 22 आवेदन भेजे हैं, जिनमें लिपुलेख दर्रे के जरिये व्यापार मार्ग को फिर से खोलने के मामले को चीनी अधिकारियों के समक्ष उठाने का अनुरोध किया गया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।’’ रोंगकाली के अनुसार, अकेले दाराचुला के भारतीय आदिवासी व्यापारियों ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद 2019 में सीमा व्यापार बंद होने के समय तिब्बत के तकलाकोट मार्ट में 15 लाख रुपये मूल्य की व्यापारिक वस्तुएं छोड़ दी थीं। उन्होंने कहा, ‘‘ हमें कोई जानकारी नहीं है कि हमारा माल सुरक्षित है या सड़ने की स्थिति में है। 

व्यापार बंद होने के समय उन्हें ‘प्लाईवुड कवर’ में रखा गया था।’’ उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल से 450 से अधिक भारतीय आदिवासी व्यापारियों का माल वहां पड़ा हुआ है। रोंगकाली ने कहा कि चीन ने वर्ष 2022 में घोषणा की थी कि वह नेपाल के साथ सड़क और संचार सम्पर्क का पुनर्गठन करने के लिए ट्रांस हिमालयन बहुआयामी संपर्क का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘ चूंकि चीन ने भारत-चीन सीमा पर हमारे मार्गों को खोलने की अनुमति नहीं दी है, इसलिए हमें आशंका है कि तकलाकोट के गक्खू कस्बे में भारतीय व्यापारियों के लिए बनाया गया मार्ट नेपाली व्यापारियों को सौंपा जा सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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