रियल एस्टेट में देखी जाएगी गिरावट ! घरों की कीमतों पर भी पड़ेगा असर

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रियल एस्टेट एडवाइजरी फर्म एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने बताया कि मांग की कमी और कैश की स्थिति ठीक न होने की वजह से इस सेक्टर पर बुरा असर पड़ सकता है।

नयी दिल्ली। कोरोना वायरस नामक महामारी के फैलने से घरों की बिक्री खासा गिरावट देखी जा सकती है। बता दें कि पहले से ही मंदी की मार झेल रहा रियल एस्टेट सेक्टर को भारी नुकासान का सामना करना पड़ सकता है। एक रिपोर्ट में बताया गया का इस साल घरों की बिक्री में 25-35 प्रतिशत गिरावट की उम्मीद है। जबकि ऑफिस प्रापर्टी में 13 से 30 फीसदी गिरावट हो सकती है।

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7 शहरों में सस्ते होंगे घर

रियल एस्टेट एडवाइजरी फर्म एनरॉक की रिपोर्ट के मुताबिक 7 शहरों में घरों की बिक्री में 35 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, फरिदाबाद के इलाके में कीमत में 35 फीसदी की गिरावट हो सकती है।

पहले से ही रियेल एस्टेट सेक्टर मंदी की मार झेल रहा है और अब इस सेक्टर को कोरोना की मार भी झेलने पड़ रही है। ये वो इलाके हैं जहां पर कोरोना वायरस के मामलों की पुष्टि हुई है।  हालांकि दिल्ली एनसीआर के इलाकों के अलावा रिपोर्ट में कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, पूणे और हैदराबाद भी शामिल हैं।  

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घरों के निर्माण में भी होगी गिरावट

घरों की बिक्री के साथ घरों के निर्माण कार्य में भी गिरावट देखी जाएगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस के चलते घरों के निर्माण के क्षेत्र में देरी हो सकती है। जिसका असर घरों की कीमतों पर पड़ेगा। इसी वजह से रियल एस्टेट भी सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद लगाए हुए है।

रियल एस्टेट एडवाइजरी फर्म एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने बताया कि मांग की कमी और कैश की स्थिति ठीक न होने की वजह से इस सेक्टर पर बुरा असर पड़ सकता है। 

कार्यालय स्थल की घटेगी मांग

लॉकडाउन को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कार्यालय तथा खुदरा क्षेत्र में मांग-आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है तथा किराये की दर पर भी असर पड़ने की आशंका है। रियल एस्टेट क्षेत्र में जारी नरमी के बाद भी व्यावसायिक खंड में पिछले कई साल से बढ़िया प्रदर्शन देखने को मिल रहा था। 

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सीबीआरई के चेयरमैन अंशुमान मैगजीन ने कहा कि भारत में कोविड-19 का असर कुछ ही समय तक रहने वाला है क्योंकि यहां संक्रमण अपेक्षाकृत सीमित है। अमेरिका तथा यूरोप की कंपनियां अभी भी आउटसोर्सिंग के लिये भारत पर दांव लगा रही हैं। इससे फिलहाल पट्टे यानी लीज पर कार्यालय की मांग पर असर नहीं पड़ा है। 

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