UPI Transaction पर अगर लगी फीस, तो यूजर्स बंद कर देंगे इस्तेमाल, सर्वे में हुआ खुलासा
जुलाई मध्य से सितम्बर 2024 मध्य तक आयोजित इस सर्वेक्षण में भारत के 325 जिलों के 44,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएं एकत्र की गईं। प्रतिभागियों की संख्या विविध थी, जिसमें 65 प्रतिशत पुरुष और 35 प्रतिशत महिलाएं थीं, जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से थीं।
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के आने से भारत में लेनदेन एक चुटकी में होने लगा है। सिर्फ एक कोड टाइप कर ही आसानी से चंद सेकेंड में यूपीआई पेमेंट हो जाती है। वहीं हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि अगर लेनदेन के संबंध में फीस को लागू किया जाएगा तो इसका असर भारत में यूजर्स पर पड़ेगा।
लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि यदि इस तरह के शुल्क लागू किए गए तो 75 प्रतिशत उपयोगकर्ता संभवतः यूपीआई का उपयोग छोड़ देंगे, जिससे इस व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म पर संभावित प्रभाव पर प्रकाश डाला गया।
यूपीआई तेजी से भारत में डिजिटल भुगतान का आधार बन गया है, और कई लोग अपने लेन-देन के बड़े हिस्से के लिए इस पर निर्भर हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, 38 प्रतिशत लोग जिन्होंने सर्वे में हिस्सा लिया है, उन्होंने बताया कि वे अपने भुगतान लेनदेन के आधे से अधिक भाग के लिए यूपीआई का उपयोग करते हैं। वहीं 37 प्रतिशत ने बताया कि उनके कुल भुगतान मूल्य का आधे से अधिक हिस्सा यूपीआई के माध्यम से संसाधित होता है।
यह डेटा यूपीआई की भूमिका को रेखांकित करता है, जो दस में से लगभग चार उपयोगकर्ताओं के लिए पसंदीदा भुगतान विधि है, जो इसके उपयोग में आसानी और देश भर में व्यापक स्वीकृति के कारण है। हालाँकि, लेनदेन शुल्क लागू होने से यूपीआई पर बढ़ती निर्भरता बाधित हो सकती है। सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 22 प्रतिशत उपयोगकर्ता यूपीआई भुगतान पर किसी भी प्रकार का लेनदेन शुल्क स्वीकार करने को तैयार हैं।
उपयोगकर्ताओं के बीच एक महत्वपूर्ण चिंता यह है कि यदि व्यवसायों को यूपीआई लेनदेन के लिए शुल्क का भुगतान करना आवश्यक है, तो ये लागत अनिवार्य रूप से उपभोक्ताओं पर डाल दी जाएगी, ठीक उसी तरह जैसे क्रेडिट और डेबिट कार्ड शुल्क का भुगतान किया जाता है। इससे यूपीआई कम आकर्षक हो सकता है, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों और व्यक्तिगत उपभोक्ताओं के लिए जो लागत प्रभावी लेनदेन के लिए इस पर निर्भर हैं।
यूपीआई लेनदेन के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) लागू करने की संभावना ने भी उपयोगकर्ताओं के बीच चिंता पैदा कर दी है। कई लोगों को डर है कि व्यापारियों को एमडीआर चार्ज करने की अनुमति देने से उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ सकती है, जिससे वे प्राथमिक भुगतान विधि के रूप में यूपीआई का उपयोग करने से कतरा सकते हैं। यूपीआई की वर्तमान लोकप्रियता और शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को सुविधाजनक बनाने में इसकी भूमिका को देखते हुए उपभोक्ता व्यवहार में इस संभावित बदलाव के व्यापक प्रभाव हो सकते हैं।
जुलाई मध्य से सितम्बर 2024 मध्य तक आयोजित इस सर्वेक्षण में भारत के 325 जिलों के 44,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएं एकत्र की गईं। प्रतिभागियों की संख्या विविध थी, जिसमें 65 प्रतिशत पुरुष और 35 प्रतिशत महिलाएं थीं, जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों से थीं। सर्वे के मुताबिक यूपीआई लेनदेन पर शुल्क लगाने के किसी भी कदम से डिजिटल भुगतान परिदृश्य में प्लेटफॉर्म की वर्तमान प्रमुखता के बावजूद, इसके उपयोग में महत्वपूर्ण गिरावट आ सकती है।
यूपीआई भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, इसलिए लेनदेन शुल्क की संभावित शुरूआत इस भुगतान पद्धति के भविष्य के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है। शुल्क-मुक्त लेनदेन के लिए उपयोगकर्ताओं की प्रबल प्राथमिकता नीति निर्माताओं और हितधारकों द्वारा सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता को उजागर करती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी परिवर्तन से यूपीआई की व्यापक स्वीकृति और उपयोगिता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
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