GST कोई नया अतिरिक्त कर नहीं, 99% चीजें 18 फीसदी कर के दायरे में: मोदी
जीएसटी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पहले जो कर लगते थे, वो छिपे हुए रहते थे। उनका पता ही नहीं चलता था और हम उसे देते रहते थे। उन सबको खत्म कर दिया गया है।
आगरा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि यह पुराने करों के ऊपर एक नया कर है जबकि यह बहुत से करों की जगह एक कर है और इसमें वस्तुओं पर कर का भार कम हुआ है। मोदी ने ऐतिहासिक शहर आगरा में कुल 3907 करोड रूपये लागत वाली विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण करने के बाद एक एक जनसभा में कहा कि जीएसटी व्यवस्था को सिर्फ डेढ वर्ष हुए हैं। इतना बड़ा देश और इतना बड़ा काम दुनिया के लोगों को आश्चर्यचकित कर रहा है (लेकिन) कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि पहले जितने कर लगते थे, उसके उपर जीएसटी नामक नया कर आ गया है। ये झूठ और भ्रम है। जीएसटी कोई नया कर नहीं है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले जो कर लगते थे, वो छिपे हुए रहते थे। उनका पता ही नहीं चलता था और हम उसे देते रहते थे। उन सबको खत्म कर दिया गया है। जहां पहले कर (की दरें) चालीस, पच्चीस या अट्ठाइस प्रतिशत थीं, उन सबको कम करते हुए 99 प्रतिशत चीजों को 18 प्रतिशत से नीचे ला दिया गया है। मोदी ने कहा कि इसका जागरूक ग्राहक पूरा फायदा उठा रहा है। जीएसटी को व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए और सरल करने की प्रक्रिया निरंतर चल रही है। मोदी ने कहा कि उन्होंने जीएसटी परिषद से आग्रह किया है कि उद्यमों को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए (न्यूनतम) सालाना कारोबार की सीमा को 20 लाख रूपये से बढ़ाकर 75 लाख रूपये कर दिया जाए।
व्यापारी और ग्राहक के रिश्तों को मजबूत करने की व्यवस्था GST है।
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) January 9, 2019
कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं, बताया जा रहा है कि अन्य करों के बाद GST एक नया कर हो गया है। ये झूठ है, गलत है।
पहले के टैक्सों को खत्म कर दिया गया है: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी #PMInAgra pic.twitter.com/QoE8kHZmLJ
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प्रधानमंत्री ने कहा कि यह निर्णय उनके हाथ में नहीं है बल्कि जीएसटी परिषद के हाथ में है। सभी राज्य सरकारें इस परिषद की सदस्य हैं। उन सबको मिलकर निर्णय करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने आग्रह किया है कि जीएसटी के तहत आने वाले उद्यमों की आय सीमा को 20 लाख रूपये से बढाकर 75 लाख रूपये किया जाए। मध्यम वर्ग के लिए जो घर बनते हैं। उनको पांच प्रतिशत के दायरे में लाया जाए। उन्होंने उम्मीद जतायी कि आने वाले दिनों में जीएसटी परिषद जनता के पक्ष में इस बात का ध्यान रखेगी।
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