दोषपूर्ण कर नीतियों से एमआरओ उद्योग में 90,000 नौकरियों का नुकसान
उद्योग से जुड़े संगठन एमआरओ एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को एक बयान में सरकार से एमआरओ सेवाओं के लिए माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का अनुरोध किया है।
मुंबई। रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) उद्योग का दावा है कि ‘दोषपूर्ण’ कर नीतियों की वजह से उसे 90,000 प्रतयक्ष रोजगारों का नुकसान उठाना पड़ा है। ये रोजगार श्रीलंका, सिंगापुर, थाईलैंड, फ्रांस और जर्मनी जैसे बाजारों में चले गये। उद्योग ने सरकार इस मामले में समान सुविधायें दिये जाने और एमआरओ उद्योग के लिये माल एवं सेवाकर (जीएसटी) दर को घटाकर पांच प्रतिशत पर लाने का आग्रह किया है।
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उद्योग से जुड़े संगठन एमआरओ एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को एक बयान में सरकार से एमआरओ सेवाओं के लिए माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का अनुरोध किया है। संगठन को डर है कि यदि क्षेत्र से जुड़ी विसंगतियों को प्राथमिकता के आधार पर दूर नहीं किया गया तो कहीं यह उद्योग बंद ही ना हो जाए। संगठन ने कहा कि देश में एमआरओ उद्योग की 90 प्रतिशत जरूरतों को बाहर से पूरा किया जा रहा है। यही वजह है कि उसकी 90,000 नौकरियां श्रीलंका, सिंगापुर, थाईलैंड, फ्रांस और जर्मनी जैसे बाजारों को चली गई।
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1.10 crore jobs lost in 2018? Rural sector worst hit; MRO industry demands 5% #GSThttps://t.co/k1PvlKwayf
— Financial Express (@FinancialXpress) January 18, 2019
संगठन के नौकरियों के नुकसान का दावा सेंटर फार मानिटोरिंग इंडियन इकोनोमी (सीएमआईई) के हाल में किये गये खुलासे को देखते हुये काफी अहम है। सीएमआईई ने कहा था कि 2018 में 1.10 करोड़ नौकरियों का नुकसान हुआ। ग्रामीण क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा।
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