मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, भारत पर अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का असर नहीं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह ही कई उपायों की घोषणा की है। इसमें विदेशी और घरेलू शेयर निवेशकों से बढ़ा हुआ सुपर रिच कर वापस ले लिया गया। स्टार्ट अप को एंजल कर से छूट दे दी गई।
हैदराबाद। अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध का भारतीय निर्यात पर कोई असर नहीं होगा। भारतीय निर्यात कुल वैश्विक व्यापार का दो प्रतिशत से भी कम है। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियम ने सोमवार को यह बात कही। सुब्रमणियम ने यहां एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिये सरकार ने जिन उपायों की घोषणा की है वह सही दिशा में उठाये गये कदम हैं। हालांकि, इस दौरान ‘संरचनात्मक सुधारों’ पर ध्यान देना जरूरी है।
Research shows that addressing agricultural distress is economically efficient as taking care of downside risks "crowds in" investment... i.e. a farmer less worried about downside risk is likely to invest more... we've moved on from debt waivers in addressing farm distress pic.twitter.com/km2I4wJurI
— K V Subramanian (@SubramanianKri) August 26, 2019
सुब्रमणियम से जब अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध का भारत पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘हमारा निर्यात हिस्सा अभी भी काफी कम है। वैश्विक निर्यात कारोबार में हमारा हिस्सा करीब दो प्रतिशत है। इस लिहाज से हमारे सामने अभी भी आगे बढ़ने की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। यहां तक कि यदि वैश्विक व्यापार में कुछ कमी भी आती है तो भी हम अपना हिस्सा बढ़ा सकते हैं। लेकिन निर्यात में तब तक वृद्धि नहीं हासिल की जा सकती है जब तक कि हम उत्पादकता पर जोर नहीं देते हैं।’’ उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका और चीन के बीच बातचीत होने वाली है। इस बैठक में संभवत: कोई सफलता हाथ लग सकती है। यह बेहतर होगा।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह ही कई उपायों की घोषणा की है। इसमें विदेशी और घरेलू शेयर निवेशकों से बढ़ा हुआ सुपर रिच कर वापस ले लिया गया। स्टार्ट अप को एंजल कर से छूट दे दी गई। अन्य उपायों के अलावा वाहन क्षेत्र में छाई सुस्ती को दूर करने के लिये एक पैकेज घोषित किया गया। सुब्रमणियम ने कहा कि जिन उपायों की घोषणा की गई है वह सही दिशा में उठाये गये कदम हैं। मेरा मानना है कि आर्थिक वृद्धि पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है और ‘‘हमारे लिये यह भी जरूरी है कि हम ढांचागत सुधारों पर गौर करें। यह वही नीतिगत घोषणा है जो कि कारपोरेट क्षेत्र के लिये जरूरी है।’’
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