नीलामी के जरिए ही आबंटित किये गए सभी स्पेक्ट्रम: रविशंकर प्रसाद

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[email protected] । Jan 11 2019 9:14AM

माइक्रोवेब एक्सेस स्पेक्ट्रम के बारे में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा खास तौर पर उठाये गए बिन्दुओं के बारे में प्रसाद ने कहा, “’मैं इस पर गौर करूंगा।’

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनके दूरसंचार मंत्री रहते सभी स्पेक्ट्रम का आबंटन नीलामी के जरिए ही किया गया है लेकिन कैग की रिपोर्ट में 2015 में स्पेक्ट्रम आबंटन को लेकर जिन विसंगतियों की ओर इशारा किया गया है, उस पर वह गौर करेंगे। प्रसाद ने राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम से इतर एक सवाल के जवाब में कहा, “हर स्पेक्ट्रम का आबंटन नीलामी के जरिए किया गया था।” 

माइक्रोवेब एक्सेस स्पेक्ट्रम के बारे में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा खास तौर पर उठाये गए बिन्दुओं के बारे में प्रसाद ने कहा, “’मैं इस पर गौर करूंगा।’ कम दूरी में मोबाइल सेवा प्रदान करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को माइक्रोवेब एक्सेस स्पेक्ट्रम आबंटित किया जाता है। संसद में मंगलवार को प्रस्तुत कैग की रिपोर्ट में दूरसंचार मंत्रालय के स्पेक्ट्रम प्रबंधन में कई खामियां पाई गयी हैं। कैग का कहना है कि स्पेक्ट्रम प्रबंधन में खामियों की वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ।

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आडिटर ने पाया कि एक दूरसंचार आपरेटर को 2015 में समिति की सिफारिशों के उलट पहले आओ पहले पाओ के आधार पर माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया, जबकि सरकार के पास माइक्रोवेव (एमडब्ल्यू) स्पेक्ट्रम के 101 आवेदन लंबित थे। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दूरसंचार विभाग ने विभिन्न श्रेणियों के स्पेक्ट्रम प्रयोगकर्ताओं को स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए एक समिति का गठन किया था। साथ ही विभाग ने प्रस्ताव किया था कि माइक्रोवेव बैंड में सभी आपरेटरों को स्पेक्ट्रम आवंटन बाजार आधारित प्रक्रिया यानी नीलामी के जरिये किया जाए।

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