वाणिज्यिक भवनों में बिजली बचत के नियम अनिवार्य कर चुके हैं उप्र समेत 15 राज्य : बीईई महानिदेशक

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वाणिज्यिक इमारतों को कम बिजली खपत वाला और ऊर्जा दक्ष बनाने की योजना ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी) को अब तक उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत 15 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश अनिवार्य कर चुके हैं तथा दस राज्य इसे अधिसूचित करने की तैयारी हैं।

(राधा रमण मिश्रा) नयी दिल्ली। वाणिज्यिक इमारतों को कम बिजली खपत वाला और ऊर्जा दक्ष बनाने की योजना ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी) को अब तक उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत 15 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश अनिवार्य कर चुके हैं तथा दस राज्य इसे अधिसूचित करने की तैयारी हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाला ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) राज्यों के माध्यम से इस योजना का क्रियान्वयन कर रह रहा है।

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इसके तहत इमारतों के डिजाइन और निर्माण इस रूप में किया जाता है जिससे जिससे बिजली की खपत कम-से-कम हो। बीईई के महानिदेशक अभय बाकरे ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘ लगभग सभी राज्य ईसीबीसी लागू करने के पक्ष में हैं। इसका कारण इससे होना वाला लाभ है। अबतक 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ईसीबीसी योजना को अनिवार्य बनाया है जबकि बिहार, मध्य प्रदेश जैसे 10 राज्य इस संदर्भ में अधिसूचना जारी करने के अंतिम चरण में हैं।’’ जिन राज्यों ने ईसीबीसी को अनिवार्य बनाया है, वे उत्तर प्रदेश, असम, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, ओड़िशा, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा पुडुचेरी हैं।

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वहीं बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और गोवा इस योजना को अनिवार्य बनाने के लिये अधिसूचना जारी करने के अंतिम चरण में हैं। बाकरे ने कहा कि शेष राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश भी ईसीबीसी लागू करने को लेकर कदम उठा रहे हैं और अधिसूचना जारी करने के विभिन्न चरणों में हैं। योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ ईसीबीसी के तहत इमारतों के डिजाइन बनाने के लिये तीन विकल्प होते हैं। पहले विकल्प में जहां 15 से 20 प्रतिशत की बिजली की बचत होती है, वहीं दूसरे और तीसरे विकल्प में क्रमश: 30 से 35 प्रतिशत और 40 से 45 प्रतिशत बिजली की बचत होती है। वहीं इस योजना को लागू करने में लागत 5 से 8 प्रतिशत बढ़ती है।’’

ईसीबीसी से 2030 तक 125 अरब यूनिट बिजली बचत का अनुमान है जो 10 करोड़ टन कॉर्बन उत्सर्जन में कमी लाने के बराबर है। बाकरे ने बताया, ‘‘ इस योजना के दायरे में अभी उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (यूपीईआरसी) (लखनऊ), केके गेस्ट हाउस (बेंगलुरु), आईटीसी कोहिनूर (हैदराबाद), उन्नति बिल्डिंग (ग्रेटर नोएडा) और बेंगलुरु स्थित कर्नाटक पावर कॉरपोरेशन लि. (केपीसीएल) की इमारतों को लाया गया है।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमारी योजना अधिक ईंधन खपत और उत्सर्जन करने वाले सीमेंट और इस्पात जैसे उद्योगों को ऊर्जा दक्ष बनाने की है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। बीईई ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिये स्टार लेबलिंग, ईसीबीसी, पीएटी (परफार्म एचीव एंड ट्रेड) जैसी योजनाएं चला रहा है। ऊर्जा बचत के विभिन्न उपायों और कार्यक्रमों से चालू वित्त वर्ष में कम-से-कम 130 अरब यूनिट की बचत का अनुमान है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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