Prophet Comment Row: नसीरुद्दीन शाह बोले- पीएम को आगे आकर इस 'जहर को फैलने से रोकना' चाहिए
नसीरुद्दीन शाह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भाजपा ने अपने दो पदाधिकारियों को पार्टी से निलंबित तथा निष्कासित कर दिया है। हालांकि, देश-विदेश में उनके बयानों की निंदा हो रही है। नसीरुद्दीन शाह ने एक समाचार चैनल के साथ अपने साक्षात्कार में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और इस जहर को फैलने से रोकना चाहिए।
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कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके शाह ने कहा कि मैं उनसे (प्रधानमंत्री से) अनुरोध करूंगा कि वे इन लोगों को थोड़ी अच्छी समझ दें। ऋषिकेश में धर्म संसद में जो कहा गया, यदि वह उसमें भरोसा करते हैं, तो उन्हें ऐसा कहना चाहिए। यदि वह इसमें भरोसा नहीं करते, तो भी उन्हें यह बात कहनी चाहिए। इसके साथ ही शाह ने कहा कि भारत सरकार ने जो कार्रवाई की, बहुत बहुत कम और बहुत देर से की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान, जिन्हें हम एक दिन ‘अखंड भारत’ में शामिल करने की उम्मीद रखते हैं, ऐसे देशों में इस प्रकार के बयान का मतलब मौत की सजा होगा, क्योंकि इन्हें ईशनिंदा समझा जाएगा। यहां शीर्ष पर बैठे लोगों ने कुछ नहीं बोला और आस्था रखने वाले लाखों लोगों को हुई पीड़ा की बात किसी ने नहीं कही। सत्तारूढ़ दल से निलंबित किए जाने के बाद शर्मा ने ‘‘बिना शर्त’’ माफी मांगी, जिसे अभिनेता ने ‘‘पाखंड’’ बताया।
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नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि आहत भावनाओं को शांत करना शायद ही इसका मकसद था। यदि नफरत पैदा करने वाली इस प्रकार की बात फिर से की जाए, तो मुझे हैरानी नहीं होगी। यह विडंबना है कि आप शांति और एकता की बात करते हैं, तो आपको एक साल से अधिक समय तक जेल में बंद कर दिया जाता है। आप नरसंहार की बात करते हैं, तो आपको मामूली सी सजा मिलती है। यहां दोहरे मापदंड अपनाए जा रहे हैं। यह जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास ‘1984’ में दिखाई गई दोहरी सोच की तरह है।’’ जॉर्ज ऑरवेल ने अपने उपन्यास 1984 में दोहरी सोच को ‘‘एक दिमाग में दो परस्पर विरोधाभासी विचार बनाए रखने और दोनों पर एक साथ विश्वास करने’’ के रूप में परिभाषित किया है। शाह ने कहा कि शर्मा कोई ‘‘हाशिए का तत्व’’ नहीं हैं, जैसा कि भाजपा ने दावा किया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि समझदार हिंदू मुस्लिम समुदाय के खिलाफ घृणा के विरुद्ध बोलें।
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