राजद्रोह मामले में कंगना रनौत को बड़ी राहत, कोर्ट ने 25 जनवरी तक कार्रवाई टाली
बंबई उच्च न्यायालय ने राजद्रोह तथा अन्य आरोपों में अभिनेत्री कंगना रनौत और उनकी बहन रंगोली चंदेल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम राहत सोमवार को 25 जनवरी तक बढ़ा दी।
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने राजद्रोह तथा अन्य आरोपों में अभिनेत्री कंगना रनौत और उनकी बहन रंगोली चंदेल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम राहत सोमवार को 25 जनवरी तक बढ़ा दी। अदालत ने मुंबई पुलिस को तब तक दोनों को पूछताछ के लिए तलब नहीं करने का भी निर्देश दिया। रनौत और उनकी बहन मामले में बयान दर्ज कराने के लिए आठ जनवरी को यहां बांद्रा पुलिस के समक्ष पेश हुई थीं। इस बाबत पिछले साल नवंबर में अदालत को आश्वासन दिया गया था।
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बांद्रा मजिस्ट्रेट अदालत के आदेशों के अनुरूप राजद्रोह के आरोपों में तथा सोशल मीडिया पर टिप्पणियों के माध्यम से कथित रूप से नफरत फैलाने एवं सांप्रदायिक तनाव की कोशिश करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। बांद्रा मजिस्ट्रेट की अदालत ने पुलिस को रनौत तथा उनकी बहन के खिलाफ शिकायत के बाद जांच करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे तथा न्यायमूर्ति मनीष पितले दोनों बहनों की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें प्राथमिकी को और पिछले साल 17 अक्टूबर को जारी मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
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सरकारी अभियोजक दीपक ठाकरे ने सोमवार को अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता आठ जनवरी को अपराह्न एक बजे से तीन बजे तक पुलिस के समक्ष पेश हुई थीं। ठाकरे ने कहा, ‘‘वह (रनौत) हमारे पूछताछ पूरी करने से पहले ही यह दावा करते हुए चली गयीं कि उनकी पेशेवर प्रतिबद्धताएं हैं। हम पूछताछ के लिए उन्हें फिर बुलाएंगे। सहयोग करने में क्या गलत है।’’ इस पर न्यायमूर्ति पितले ने कहा, ‘‘वह (रनौत) दो घंटे तक रहीं। क्या यह काफी नहीं है? आपको सहयोग के लिए और कितने घंटे चाहिए?’’ तब ठाकरे ने कहा कि पुलिस उनसे तीन और दिन तक पूछताछ करना चाहती है।
शिकायतकर्ता साहिल अशरफ अली सैयद की ओर से वकील रिजवान मर्चेंट ने याचिका पर जवाब देने के लिए हलफनामा दाखिल करने के लिहाज से और वक्त मांगा। तब अदालत ने मामले में सुनवाई 25 जनवरी तक स्थगित कर दी। अदालत ने कहा, ‘‘तब तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने की अंतरिम राहत भी जारी रहेगी। पुलिस तब तक याचिकाकर्ताओं को नहीं बुलाएगी।
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