इन उपायों को अपनाकर करें झुलसती गरमी में सौंदर्य की रक्षा

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प्रीटी । Jul 7 2022 4:06PM

हमारी त्वचा के ऊपरी परत यानि एपिडर्मिस में मेलनोसाइट नामक कोशिकाएं होती हैं जो एक गहरे रंग का पिगमेंट पैदा करती हैं जिसे मेलानिन कहते हैं। यही मेलानिन त्वचा के गोरे, सांवले या काले होने का कारक होता है।

रीना को उस दिन सुबह नौ बजे घर से निकलना पड़ा। मई का महीना था। जल्दबाजी में न तो उसने कुछ खाया पीया और न ही छतरी और धूप का चश्मा लिया। वापस आते−आते तीन बज गये थे। घर पहुंच कर उसे अपना बदल जलता हुआ महसूस हुआ। गोरा मुखड़ा सुर्ख लाल हो गया और आंखें भी अंगार-सी दहकने लगीं थीं। उसने ठंडे पानी से हाथ मुंह धोया और बेसुध होकर बिस्तर पर लेट गई।

सूरज की किरणें, जो एक और जीवनदायिनी हैं दूसरी ओर अवरक्त और पराबैंगनी किरणों की जहरीली सौगात भी लाती हैं। ये किरणें सूरज से निकलने वाली वे अदृश्य किरणें हैं जो जीवों खासकर मनुष्यों के लिए घातक हैं। वैसे आजकल ये किरणें मानवनिर्मित यंत्रों द्वारा भी पैदा की जाती हैं और उद्योग एवं चिकित्सा के क्षेत्र में इनका व्यापक उपयोग किया जा रहा है। धूप में त्वचा का रंग काला पड़ने यानी सनबर्न होने में इनका प्रमुख योगदान होता है। पराबैंगनी किरणें यदि लगातार और देर तक त्वचा पर पड़ती रहें तो त्वचा कैंसर तक होने की संभावना रहती है। सनबर्न के कारण ही त्वचा काली पड़ती जाती है और सूज भी जाती है। सनबर्न से जुड़ी तकलीफों में त्वचा पर छाले पड़ना, लालदाने उभर आना, बेहोशी छा जाना आदि शुमार किये जाते हैं।

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हमारी त्वचा के ऊपरी परत यानि एपिडर्मिस में मेलनोसाइट नामक कोशिकाएं होती हैं जो एक गहरे रंग का पिगमेंट पैदा करती हैं जिसे मेलानिन कहते हैं। यही मेलानिन त्वचा के गोरे, सांवले या काले होने का कारक होता है। विज्ञान की भाषा में मेलानिन श्रृंखलाबद्ध अणुओं से निर्मित एक संक्लिष्ट पोलिमर है। जब त्वचा की मेलनोसाइट कोशिकाएं धूप या पराबैंगनी किरणों के प्रभाव में आती हैं तो उत्तेजित हो जाती हैं और मेलानिन पैदा करती हैं। वैसे मेलानिन भले ही सौंदर्य के लिए अभिशाप हो पर स्वास्थ्य के लिए हितकर होता है। त्वचा कैंसर जैसे घातक रोग की आशंका काली रंगत वाले लोगों में कम ही होती है। देखा गया है कि गोरी रंगत वाले व्यक्ति पराबैंगनी किरणों के प्रति अधिक संवदेनशील होते हैं।

वैसे कुछ मान्यताएं हैं कि ग्रीष्म की धूप नुकसानदेह होती है सर्दियों की नहीं। ऐसा कतई नहीं है। धूप चाहे गरमी की हो सर्दी की, उसमें उपस्थित पराबैंगनी किरणें समान रूप से नुकसानदेह होती हैं। बड़े−बुजुर्ग मानते हैं कि सर्दियों में धूप में बैठ कर स्वयं की तथा बच्चों की तेल मालिश करना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से उचित रहता है। दरअसल पराबैंगनी किरणों से प्रभावित होकर त्वचा विटामिन डी का निर्माण करती है जो हमारे लिए आवश्यक है। 

धूप के अन्य नुकसान इस प्रकार हैं−

- तेज धूप के असर से त्वचा पर घमौरियां हो सकती हैं जो खुजलाने पर कभी−कभी वृहद रूप ले लेती हैं। 

- धूप में स्वेदग्रंथियां सक्रिय होकर शरीर में उपस्थित जल को अधिक मात्रा में पसीने के रूप में निकाल देती हैं जिससे शरीर में जल की कमी हो सकती है।

- तेज धूप में निकलने से चक्कर भी आ जाते हैं। कभी−कभी उल्टियां भी हो जाती हैं और बेचैनी-सी महसूस होने लगती है।

- धूप की पराबैंगनी किरणों का असर आंखों की कार्निया पर भी पड़ता है जिससे आंखों की कई बीमारियां हो सकती हैं।

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धूप से बचने के कुछ उपाय व सावधानियां−

- धूप में खाली पेट कदापि न निकलें। पानी की भरपूर मात्रा का सेवन निकलने से पहले करें। यदि यात्रा लम्बी हो तो पानी की बोतल साथ रखें।

- गर्मियों में धूप में निकलना हो तो हमेशा सूती वस्त्रों का प्रयोग करें। अधोवस्त्र भी सूती होने चाहिएं। परिधान सफेद रंग के या हल्के रंग के होने चाहिएं। ऐसे रंग धूप की किरणों के परावर्तक होते हैं। बाहर निकलने से पहले सूती दुपट्टा या स्कार्फ सिर पर अवश्य लपेट लें।

- छतरी और अच्छी क्वालिटी के धूप के चश्मे के बगैर धूप में न निकलें। ये दोनों धूप के सफर में आपके बेहतर हमसफर सिद्ध होंगे।

- धूप से छाया में आते ही प्यास लगती है। परंतु ऐसे में ठंडे पानी का सेवन हानिकारक हो सकता है। धूप की तपिश से शरीर के बाह्य और अंदरूनी तापमान में फर्क हो जाता है। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद ही पानी पियें।

यदि उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए आप इस झुलसती गरमी का सामना करेंगी तो न केवल आपके सौंदर्य की रक्षा हो सकेगी बल्कि आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।

- प्रीटी

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