Hanumanji की पूजा से शत्रुओं से बचाव, मानसिक शांति और दुखों से मिलती है मुक्ति

Hanumanji
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शुभा दुबे । Dec 28 2024 11:39AM

हनुमान जी का जन्म राजा केसरी और रानी अनजनी के यहाँ हुआ था। माना जाता है कि उनकी माता अनजनी एक बार भगवान शिव की पूजा कर रही थीं, तब भगवान शिव ने उन्हें एक वरदान दिया कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे।

हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली, महावीर, पवन पुत्र और अनजनी कुमार जैसे अनेक नामों से पूजा जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे भगवान राम के परम भक्त और महाभारत के काल से पहले के महान योद्धा के रूप में जाने जाते हैं। हनुमान जी की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि वे शक्ति, साहस, भक्ति और आत्मबलिदान के प्रतीक हैं। उनका व्यक्तित्व अद्वितीय है और उनके बारे में सुनाई जाने वाली कथाएँ हमें जीवन में संघर्ष और कर्तव्य के प्रति समर्पण की प्रेरणा देती हैं।

हनुमान जी का जन्म

हनुमान जी का जन्म राजा केसरी और रानी अनजनी के यहाँ हुआ था। माना जाता है कि उनकी माता अनजनी एक बार भगवान शिव की पूजा कर रही थीं, तब भगवान शिव ने उन्हें एक वरदान दिया कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। हनुमान जी के जन्म के समय पवन देव ने भी उनकी रक्षा का वचन लिया, इसलिए हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहा जाता है।

उनके जन्म के समय ही यह बात स्पष्ट हो गई थी कि वे विशेष शक्तियों के मालिक होंगे। वे बाल्यावस्था में ही अपनी असाधारण शक्तियों का प्रदर्शन करने लगे थे, जैसे आकाश में उड़ना और विभिन्न रूपों को धारण करना।

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हनुमान जी की प्रमुख कथाएँ

सूर्य को पकड़ना: हनुमान जी की एक प्रसिद्ध कथा है जब वे बचपन में सूर्य को गेंद समझ कर उसे पकड़ने के लिए उड़ पड़े थे। उनका उद्देश्य था सूर्य को पकड़ कर खिलौने की तरह खेलना, लेकिन उनके शक्तिशाली बल के कारण यह घटना कुछ अधिक गंभीर हो गई थी। जब सूर्य देव ने इसे देखा, तो उन्होंने हनुमान जी से कहा कि वे उन्हें छोड़ दें। इसके बाद, हनुमान जी ने यह सीख ली कि अपने बल का सही इस्तेमाल करना चाहिए।

रामायण में हनुमान जी की भूमिका: हनुमान जी की प्रमुख भूमिका रामायण में है। जब सीता माता का हरण रावण द्वारा किया गया, तो राम जी और उनके भाई लक्ष्मण को सीता का पता नहीं चल पा रहा था। तब हनुमान जी ने अपना पराक्रम दिखाया और लंका पहुंचकर सीता माता का पता लगाया। इसके बाद, उन्होंने सीता माता को रावण के बंदीगृह से छुड़ाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी यह सेवा और बलिदान भगवान राम के प्रति उनकी असीम भक्ति को दर्शाता है।

संजीवनी बूटी: महाभारत के युद्ध में लक्ष्मण जी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनका उपचार करने के लिए हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने का कार्य सौंपा गया। हनुमान जी ने हिमालय की ऊँची चोटियों से संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी की जान बचाई। इस घटना ने उनकी महानता और शक्ति को प्रमाणित किया।

राम के चरणों में भक्ति: हनुमान जी का जीवन राम के प्रति अनन्य भक्ति का प्रतीक है। वे न केवल राम के सबसे बड़े भक्त थे, बल्कि राम के द्वारा की जाने वाली हर आज्ञा को अपने जीवन का उद्देश्य मानते थे। उनकी भक्ति और समर्पण का आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत है।

हनुमान जी का रूप और स्वरूप

हनुमान जी का चित्रण उनके एक बलशाली और तेजस्वी रूप में किया जाता है। वे शरीर से बहुत बलशाली हैं, उनके हाथों में गदा होती है और उनकी आँखों में दिव्यता और आत्मविश्वास झलकता है। उनकी एक खास पहचान है उनकी मांसपेशियों की पराकाष्ठा और उनके भालू जैसे चेहरे के साथ गदा और उनका धैर्य। हनुमान जी के शरीर पर एक ओर विशेषता है कि वे हमेशा सिंह के साथ-साथ बंदर की तरह दिखते हैं, जो उनकी शक्तिशाली और साहसी प्रवृत्ति को दर्शाता है।

हनुमान जी की पूजा और महत्व

हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को की जाती है। इन दिनों हनुमान जी का व्रत करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक बल मिलता है। हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टकशतरी और रामचरितमानस जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। हनुमान जी की पूजा से शत्रुओं से बचाव, मानसिक शांति और दुखों से मुक्ति मिलती है।

हिंदू धर्म में हनुमान जी को विशेष रूप से साधकों और भक्तों का रक्षक माना जाता है। उनके द्वारा दी गई शिक्षा यह है कि भगवान के प्रति भक्ति और कर्तव्य परायणता से व्यक्ति के जीवन में किसी भी तरह की समस्या का समाधान संभव है।

हनुमान जी का संदेश

हनुमान जी का जीवन और उनका व्यक्तित्व हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ प्रदान करता है:

भक्ति और समर्पण: हनुमान जी का जीवन राम के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। हमें भी अपने लक्ष्य के प्रति पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य करना चाहिए।

शक्ति और साहस: हनुमान जी की शक्ति और साहस हमें कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा देते हैं। उनका संदेश है कि हम सभी में शक्ति होती है, बस हमें उसे पहचानने और सही दिशा में लगाकर कार्य करने की आवश्यकता है।

कर्तव्य: हनुमान जी ने हमेशा अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दी और अपनी शक्तियों का इस्तेमाल समाज और धर्म की भलाई के लिए किया। हमें भी अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार और प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

हनुमान जी हिन्दू धर्म के सबसे प्रिय और महान देवताओं में से एक हैं। उनका जीवन हमें बल, साहस, भक्ति, और समर्पण का वास्तविक अर्थ समझाता है। उनकी पूजा से हमें मानसिक और शारीरिक बल मिलता है और जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है। हनुमान जी की उपासना से न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि हम अपने जीवन में हर संघर्ष को पार करने की शक्ति भी प्राप्त करते हैं।

-शुभा दुबे

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