क्या हैं अखाड़े? क्यों करते हैं कुंभ में शाही स्नान? स्नान पर्व की तिथियाँ क्या हैं?
जब यह अखाड़े चलते हैं तो अपनी परम्पराओं का पालन करते हुए चलते हैं। मसलन कोई अखाड़ा हाथी पर तो कोई अखाड़ा घोड़े पर सवार होकर या फिर राजसी पालकी में सवार होकर बैंड बाजे के साथ मेला स्थल पर पहुँचता है।
प्रयागराज में शुरू हो रहे कुंभ मेले के लिए विभिन्न अखाड़े मेला स्थल पर पहुँच चुके हैं और इन अखाड़ों का स्वागत खूब धूमधाम से किया जा रहा है। कुंभ मेले में इन अखाड़ों द्वारा निकाले जाने वाली भव्य झाकियां आकर्षण का बड़ा केंद्र होती हैं। हर अखाड़े का प्रयास रहता है कि कैसे वह दूसरे से ज्यादा भव्य दिखे। प्रत्येक अखाड़े में शामिल साधु-संत अपनी अलग-अलग छटाएं बिखेरते हुए चलते हैं। जब यह अखाड़े चलते हैं तो अपनी परम्पराओं का पालन करते हुए चलते हैं। मसलन कोई अखाड़ा हाथी पर तो कोई अखाड़ा घोड़े पर सवार होकर या फिर राजसी पालकी में सवार होकर बैंड बाजे के साथ मेला स्थल पर पहुँचता है। इस दौरान अखाड़ों पर पुष्प-वर्षा होती रहती है।
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अखाड़ों की ओर से निकाली जाने वाली झाकियों के दौरान नागा बाबाओं की फौज आगे आगे चल रही होती है जबकि उनके पीछे महंत, मंडलेश्वर और फिर महा मंडलेश्वर तथा आचार्य महामंडलेश्वर शामिल होते हैं। इस बार जो कुंभ मेला लग रहा है उसमें स्नान तिथियों की बात करें तो पहला स्नान 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन पड़ रहा है जबकि अंतिम स्नान 4 मार्च 2019 को महाशिवरात्रि के दिन पड़ रहा है।
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कुंभ मेले में एक खास बात यह होती है कि साधुओं के स्नान के बाद ही आम लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं। देखा जाये तो हिन्दू धर्म में अखाड़ों के शाही स्नान के बाद संगम में डुबकी लगाने का बड़ा धार्मिक महत्व माना गया है। कुंभ के दौरान आम श्रद्धालु एक से पांच बार डुबकी लगाता है जबकि अखाड़ों के नागा तो 1008 बार तक नदी में डुबकी लगा जाते हैं। आइए जानते हैं इस बार के कुंभ में स्नान पर्व की तिथियां क्या हैं-
मकर संक्रान्ति
(प्रथम शाही स्नान)
15 जनवरी 2019, मंगलवार
पौष पूर्णिमा
21 जनवरी 2019, सोमवार
मौनी अमावस्या
(द्वितीय शाही स्नान)
04 फरवरी 2019, सोमवार
बसंत पंचमी
(तृतीय शाही स्नान)
10 फरवरी 2019, रविवार
माघी पूर्णिमा
19 फरवरी 2019, मंगलवार
महाशिवरात्रि
04 मार्च 2019, सोमवार
- नीरज कुमार दुबे
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