Shri Yamunaji Dharmraj Temple: मथुरा में स्थित है भाई-बहन का मंदिर, यमुना और यमराज से जुड़ी है कथा

आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भाई-बहन को समर्पित है। दरअसल, भाई-बहन को समर्पित इस मंदिर की कथा यमराज और मां यमुना को समर्पित है। यमुना और यमराज भगवान सूर्य के पुत्र और पुत्री हैं।
यहां स्थित है मंदिर
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के विश्राम घाट में नजदीक स्थित भाई-बहन का मंदिर असल में यमुना और उनके भाई यमराज को समर्पित है। इसको श्री यमुना धर्मराज मंदिर के नाम से जाना जाता है।
श्री यमुना धर्मराज मंदिर भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। जोकि मथुरा के प्राचीन मंदिरों में से एक है और यह मंदिर द्वारकाधीश मंदिर के पास है।
इसे भी पढ़ें: Mangalwar ke Upay: मंगलवार को जरूर करें ऋण मोचन मंगल स्तोत्र का पाठ, कभी नहीं सताएगी आर्थिक तंगी
जानिए मंदिर की विशेषताएं
बता दें कि इस मंदिर में काले पत्थर से बनी मां यमुना और यमराज की मूर्ति स्थापित है। यहां पर मां यमुना चतुर्भुज रूप में विद्यमान है और वहीं वह यमदेव को प्रसन्न और आशीर्वाद देती मुद्रा में हैं। यमुना जी के एक हाथ में भोजन की थाली और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। वहीं तीसरे हाथ टीका लगाते हुए और चौथा हाथ आशीर्वाद वाली मुद्रा में है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए आपको छोटे से चांदी से बने द्वार से जाना होगा।
मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
इस मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यता है कि भाई दूज के मौके पर जो भी भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं और फिर इस मंदिर के दर्शन के लिए जाते हैं। उनके सभी पाप धुल जाते हैं। ऐसे में भाई दूज और रक्षाबंधन जैसे मौकों पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
यम-यमुना की कहानी
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार भाई दूज के मौके पर यमुना ने अपने भाई यम को भोजन पर आमंत्रित किया था। यमदेव ने यमुना के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और बहन के घर पहुंचे। इस दौरान यमुना ने अपने भाई यम का खूब आदर-सत्कार किया। इस आदर-सत्कार से यम काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना को एक वरदान मांगने को कहा था। तब यमुना ने वरदान मांगा कि जो भी भाई-बहन भाई दूज के मौके पर यमुना नदी में स्नान करें और वह यमपुरी न जाएं। यही वजह है आज भी इस मंदिर की इतनी ज्यादा मान्यता है।
अन्य न्यूज़