Mangalwar ke Upay: मंगलवार को जरूर करें ऋण मोचन मंगल स्तोत्र का पाठ, कभी नहीं सताएगी आर्थिक तंगी

Mangalwar ke Upay
Creative Commons licenses

मंगलवार के दिन ऋण मोचन मंगल स्तोत्र के पाठ करने से व्यक्ति को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वहीं इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को कर्ज की समस्या से भी राहत मिल सकती है। क्योंकि हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है।

हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान को समर्पित होता है। इस दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है। ऐसे में अगर आप भी हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आपको मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन हनुमान जी की पूजा के साथ चालीसा और स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए। इससे व्यक्ति को धन-संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। वहीं इस स्त्रोत का पाठ करना काफी लाभकारी माना जाता है।

मंगलवार के दिन ऋण मोचन मंगल स्तोत्र के पाठ करने से व्यक्ति को हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वहीं इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति को कर्ज की समस्या से भी राहत मिल सकती है। क्योंकि हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में वह अपने भक्तों की सभी संकट दूर करते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ऋण मोचन मंगल स्तोत्र के बारे में बताने जा रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: Guruwar Ke Upay: गुरुवार को श्रीहरि स्तुति का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में होगी वृद्धि, हर परेशानी से मिलेगी मुक्ति

ऋण मोचन मंगल स्तोत्र

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्।।

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।

भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।

महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।

।। इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़