यूरोप से लेकर अमेरिका तक राम ही राम, दुनिया को एकता की सूत्र में पिराते ‘श्रीराम’
अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फिजी समेत 50 देशों के प्रतिनिधियों को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर अयोध्या आने का निमंत्रण पत्र दिया गया है। इतना ही नहीं मुस्लिम बहुल देशों में भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गजब का उत्साह दिख रहा है।
भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम है। वे मर्यादा पुरूषोत्तम इसलिए कहे जाते हैं क्योंकि उनका आचरण मर्यादाओं का पालन करके सुखमय जीवन जीने का सन्देश देता है। श्रीराम के जीवन से हमें करुणा, सौम्यता, दयाभाव, धार्मिकता, समरसता और सत्यनिष्ठा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है। उनके शासनकाल को रामराज्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका शासन लोककल्याण और न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए उत्तम शासन का प्रतीक है। समाज हो या परिवार, पुत्र, भाई, पति और राजा के रूप में, राम सबको आदर्श सिखाते हैं। राम की व्यापकता और स्वीकार्यता की भी यही वजह है। दुनिया के विभिन्न देशों में राम को अलग-अलग स्वरूपों में देखा जाता है। 'सबके राम' का यह स्वरूप वर्तमान में अयोध्या में जीवंत हो रहा है, वहीं पूरी दुनिया में इसे महसूस किया जा सकता है। पूरा विश्व उत्सुकता के साथ 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहा है। दक्षिण पूर्वी एशियाई देश हों या फिर यूरोप, अमेरिका तक धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर से लेकर यूरोप के एफिल टावर तक पर देखने को मिलेगा।
फ्रांस की राजधानी पेरिस में 21 जनवरी के दिन ‘राम रथ यात्रा’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें पूरे यूरोप से एक हजार से अधिक भाग लेंगे। इतना ही नहीं एफिल टावर के पास उत्सव मनाया जाएगा। इसी तरह अमेरिका में टाइम्स स्क्वायर पर 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। नॉर्थ अमेरिका से लेकर कनाडा तक के मंदिरों में पूजन और दीपोत्सव किया जाएगा। अमेरिका में कैलिफोर्निया के साथ ही वाशिंगटन, शिकागो और अन्य शहरों में विशाल कार रैली भी आयोजित की जा रही है। 50 से अधिक देशों में बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम लाइव देखा जा सकेगा। आंकड़ों की मानें तो अमेरिका में 300 जगह, ब्रिटेन में 25, ऑस्ट्रेलिया में 30, कनाडा में 30, मॉरीशस में 100 के अलावा आयरलैंड, फिजी, इंडोनेशिया और जर्मनी समेत 50 से अधिक देशों में बड़े पैमाने पर रामलला प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किए जाने की तैयारी है।
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अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फिजी समेत 50 देशों के प्रतिनिधियों को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर अयोध्या आने का निमंत्रण पत्र दिया गया है। इतना ही नहीं मुस्लिम बहुल देशों में भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर गजब का उत्साह दिख रहा है। इंडोनेशिया और सऊदी अरब में भी लाइव टेलिकास्ट किया जाएगा।
विश्व हिंदु परिषद के अनुसार दुनिया के 160 ऐसे देश हैं जहां हिंदू धर्म के लोग रहते हैं। वहां विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं। इनमें शोभायात्रा, हवन पूजन, हनुमान चालीसा पाठ है। दरअसल, राम भारत ही नहीं विश्व चेतना के आधार हैं। विश्व इतिहास और विश्व साहित्य में भी राम और रामकथा बहुप्राचीन एवं बहुप्रचलित है। जापान में 'होबुत्सुशू', इंडोनेशिया में 'काकाविन रामायण', थाइलैंड में 'रामकियेन', म्यांमार में 'रामवस्तु', 'राम-ताज्या', 'राम- तात्यो', 'थिरी राम', 'पोन्तव राम' तथा 'थामाध्ये' (रामलीला नाटक), कम्बोडिया में 'रामकेर', फिलीपीन्स में 'महारादिया लावना', मलेशिया में 'मलय रामायण, 'हिकायत सेरी राम', लाओस में 'फालम', मंगोलिया में राम ग्रंथ मिलते हैं।
दक्षिण-पूर्व एशिया की सबसे प्राचीन और सर्वाधिक महत्वपूर्ण राम कथा केंद्रित कृति प्राचीन जावानी भाषा में विरचित रामायण का काबीन है, जिसकी तिथि नौवीं शताब्दी से पहले की है। इसके रचयिता महाकवि योगीश्वर हैं। 15वीं सदी में इंडोनेशिया के इस्लामीकरण बावजूद वहां जवानी भाषा में सेरतराम, सेरत कांड, राम केलिंग आदि अनेक रामकथा काव्यों की रचना हुई जिनके आधार पर अनेक विद्वानों द्वारा वहां के राम साहित्य का विस्तृत अध्ययन किया गया है।
इंडोनेशिया के बाद हिंद-चीन भारतीय संस्कृति का गढ़ माना जाता है। इस क्षेत्र में पहली से पंद्रहवीं शताब्दी तक भारतीय संस्कृति का वर्च रहा। यह सर्वथा आश्चर्य का विषय है कि कंपूचिया के अनेक शिलालेखों में रामकथा की चर्चा हुई है, किंतु वहां उस पर आधारित मात्र एक कृति रामकेर्ति उपलब्ध है। उससे भी अधिक आश्चर्य का विषय यह हे कि चंपा (वर्तमान वियतनाम) के एक प्राचीन शिलालेख में वाल्मीकि के मंदिर का उल्लेख है।
लाओस के निवासी आज भी स्वयं को भारतवंशी मानते हैं। वे मानते हैं कि कलिंग युद्ध के बाद उनके पूर्वज इस क्षेत्र में आकर बस गये थे। लाओस की संस्कृति पर भारतीयता की गहरी छाप है। यहां रामकथा पर आधारित चार रचनाएं उपलब्ध है। दक्षिण पूर्व एशिया समेत अन्य देशों में राम कथा का व्यापक असर देखा जा सकता है। आम जन मानस की जिंदगी में राम के चरित्र की छाप दिखती है।
शायद तभी न्यूयार्क के मेयर एरिक एडम्स ने कहा भी कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सिर्फ भारत ही नहीं, न्यूयार्क में दक्षिण एशियाई और इंडो कैरेबियाई समुदायों के हिंदुओं के लिए भी जश्न मनाने का मौका है।
प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर नेपाल से 3 हजार से अधिक उपहार अयोध्या पहुंच रहे हैं। जनकपुर से सीता जी के लिए साड़ी, चांदी के जूते, आभूषण आदि उपहार भेजे गए। श्री लंका ने अशोक वाटिका से विशेष पत्थर अयोध्या भेजा है। मारीशस ने तो अपने यहां 22 जनवरी को अवकाश घोषित किया है। बकायदा, 2 घंटे का विशेष अवकाश पूजा पाठ के लिए प्रदान किया गया है।
राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में कुल 7 हजार से अधिक मेहमान शामिल होंगे। इसमें बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान भी होंगे। गेस्ट लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका सहित 53 देशों के मेहमानों के नाम शामिल हैं।
- संजीव कुमार मिश्र
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