मोहनखेड़ा जैन तीर्थ में लगा रहता है राजनीतिक एवं फ़िल्मी हस्तियों का आना-जाना
मोहनखेड़ा जैन तीर्थ पहुंचने हेतु राजगढ़ से गुरु भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था रहती है। राजगढ़ में मोहनखेड़ा पेढ़ी के नाम से विश्राम गृह है जहां से मोहनखेड़ा जाने हेतु गुरूभक्तों के लिए वाहन व्यवस्था रहती है। मोहनखेड़ा तीर्थ पर कई राजनीतिक हस्तियां भी दर्शन करने पहुंच चुकी है।
मध्य प्रदेश के धार जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमिटर दुर इंदौर- अहमदाबाद राजमार्ग पर राजगढ़ के समीप मोहनखेड़ा जैन समाज का एक प्रमुख श्वेताम्बर तीर्थ स्थल है। समय-समय पर मोहनखेड़ा में अनेक चमत्कार हुए है। जैन समाज की अटूट आस्था मोहनखेड़ा तीर्थ से जुड़ी हुई है। जैन समाज के छोटे-बड़े मंदिरों के साथ ही यहां पर जैन समाज के 68 वें गुरूदेवेश श्री राजेन्द्र सूरीश्वर जी महाराज साहब का विशाल समाधी मंदिर बना हुआ है। हर वर्ष गुरु सप्तमी पर यहां मेला लगता है। इस दिन यहां देशभर सहित विदेश से भी गुरू भक्त दर्शन- वंदन करने पहुंचते है। मोहनखेड़ा जैन तीर्थ पर कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां एवं फिल्मी अभिनेता भी अपना शीश झुकाने पहुंच चुके है। राजेन्द्र सूरीश्वर जी के सामने जो भी मन्नत रखते हैं वह पूर्ण होती है।
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श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी ने त्यागी थी अपने देह-
बताया जाता है कि मोहनखेड़ा तीर्थ स्थल का नाम पहले खेड़ा हुआ करता था। यहां आसपास जंगल था। राजेन्द्र सूरीश्वरजी ने मोहनखेड़ा में आदिनाथ भगवान के मंदिर का निर्माण करवाया था। जैन समाज के 68 वें गुरूदेवेश श्री राजेन्द्र सूरिश्वरजी म.सा. जावरा से विहार करते हुए राजगढ़ पहुंचे थे। राजगढ़ में 21 दिसंबर 1906 को पोष सुदी सप्तमी के दिन राजेन्द्र सूरीश्वरजी ने अंतीम सांस ली थी। जिसके बाद समाजनों ने मोहनखेड़ा में उनका अंतिम संस्कार कर समाधी मंदिर की स्थापना की। समाजजनों ने तीर्थ का समय-समय पर विकास किया। आज माहेनखेड़ा तीर्थ पर स्वर्ण मंदिर का निर्माण हो चुका है। प्रतिदिन यहां गुरूभक्तों का आवागमन रहता है। तीर्थ पर दादा गुरूदेव राजेन्द्र सूरीश्वरजी, यतिन्द्र सूरीश्वरजी, विद्याचन्द्र सूरीश्वरजी, हैमेन्द्र सूरीश्वरजी की समाधी के साथ-साथ आचार्य रविन्द्र सूरीश्वरजी के समाधी मंदिर का भी निर्माण हो चुका है।
कई राजनीतिक हस्तीयां एवं फिल्म अभिनेता पहुंच चुके है-
मोहनखेड़ा जैन तीर्थ पहुंचने हेतु राजगढ़ से गुरु भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था रहती है। राजगढ़ में मोहनखेड़ा पेढ़ी के नाम से विश्राम गृह है जहां से मोहनखेड़ा जाने हेतु गुरूभक्तों के लिए वाहन व्यवस्था रहती है। मोहनखेड़ा तीर्थ पर कई राजनीतिक हस्तियां भी दर्शन करने पहुंच चुकी है। पूर्व राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां यहां अपनी मनोकामना लेकर अपना शीश झुका चुके हैं। साथ ही फिल्मी अभिनेता सनी देओल, मशहूर गायक दलेर मेहंदी सहित कई फिल्मी हस्तियां भी मोहनखेड़ा पहुंच चुके है। हर वर्ष बड़े सेलेब्रेटी का यहां आना-जाना लगा रहता है।
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गुरू सप्तमी को लगता है मेला-
मोहनखेड़ा तीर्थ मानव सेवा एवं जीवदया का अनूठा केन्द्र है। यहां के तीर्थ प्रेरक गच्छाधिपती आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सूरिश्वरजी म.सा. की प्ररेणा से श्री राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर पेढ़ी ट्रस्ट द्वारा प्रतिवर्ष जीवदया एवं मानव सेवा हेतु अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। साथ ही आचार्य श्री की प्रेरणा से लगातार तीर्थ का विकास हो रहा है। मोहनखेड़ा तीर्थ पर माह पोष सुदी सप्तमी को विशाल मेले का अयोजन होता है। इस दिन देश-विदेश से लाखों गुरुभक्तों यहां पहुंचते है। लम्बी-लम्बी कतारों में लगकर श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के दर्शन एवं पूजन गुरुभक्तों द्वारा किया जाता है। साथ ही आचार्यश्री के आर्शीवाद लेते है। हवाई यात्रा से आने वाले गुरुभक्तों के लिए तीर्थ पर हेलीपेड बना हुआ है। साथ ही प्रतिदिन गुरूदेव की आरती के लाइव प्रसारण भी होता है। तीर्थ पर श्रद्धालुओं के ठहरने हेतु एयर कंडीशनर धर्मशालाओ का निर्माण किया हुआ है। तीर्थ पर विशेष बात यह है कि यहां आने वाले यात्रियों को निःशुल्क भोजन प्रसादी दी जाती है।
होते है अनेक चमत्कार, बना जीवदया का केंद्र-
मोहनखेड़ा तीर्थ पर अनेक चमत्कार समय-समय पर हुए है। विगत वर्षो यहां प्रतिमा से अमृत झरना बहा था एवं केसर वर्षा हुई थी। जैन समाज के वरिष्ठ पत्रकार सुनिल बाफना बताते है कि मोहनखेड़ा तीर्थ अपने आप में कई चमत्कारों को समेंटे हुए है। आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सूरीश्वरजी की प्रेरणा से यहां विशाल गौशाला का निर्माण भी हुआ है। जहां 1100 पशु की देखरेख होती है। तीर्थ पर एक भव्य नेत्र चिकित्सालय में हजारों लोगो का उपचार निःशुल्क होता है। यहां पहुंचने वाले गुरूभक्तों को एक अलग की सुकुन महसुस होता है। गुरूभक्तों की मन्नते भी यहां पूरी होती है। तीर्थ पर गौशाला के प्रांगण में लाखों कबूतरों का आश्रय है। गर्मी को ध्यान में रखते हुए कबूतरों के लिए 35 कूलर लगाए गए है।
कमल सिंधी
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