Lord Vishnu Aarti: श्रीहरि की आरती के बिना अधूरी मानी जाती है पूजा, जल्द पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
श्रीहरि की पूजा के दौरान आरती जरूर करनी चाहिए। इससे जातक को शुभ फल मिलता है और व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आज हम आपको भगवान विष्णु की आरती के बारे में बताने जा रहे हैं।
हिंदू धर्म में सप्ताह में सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं। वहीं गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीहरि की पूजा-अर्चना करने और कुछ विशेष भोग अर्पित करने से जातक के जीवन में सुख-शांति व समृद्धि बनी रहती है। गुरुवार का व्रत करने से जातक को पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
श्रीहरि की पूजा के दौरान आरती जरूर करनी चाहिए। इससे जातक को शुभ फल मिलता है और व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए आपको भगवान विष्णु की आरती के बारे में बताने जा रहे हैं।
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भगवान विष्णु जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भगवान विष्णु की आरती
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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