Mohini Ekadashi 2023: आज के दिन विष्णु भगवान ने लिया था मोहिनी अवतार, असुरों के साथ देवता भी हो गए थे मोहित
हिंदू पौराणिक कथाओं में मोहिनी एकादशी को एक अहम दिन माना गया है। वैशाख माह की शुक्ल की एकादशी को भगवान विष्णु मोहिनी अवतार लिया था। इस दिन व्रत करने से हजार गायों को दान करने का फल प्राप्त होता है।
वैशाख माह की शुक्ल की एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 1 मई, 2023 को किया जा रहा है। बता दें कि हिंदू भक्त इस दिन भगवान विष्णु की मोहिनी अवतार में प्रार्थना करते हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। वहीं इस व्रत की कथा सुनने पर व्यक्ति को हजार गौ के दान के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
मोहिनी एकादशी का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं में मोहिनी एकादशी को एक अहम दिन माना गया है। मान्यता के अनुसार, मोहिनी एकादशी को मनाना महिलाओं और पुरुषों दोनों की शक्ति के संतुलन को सम्मान करने का तरीका है। हालांकि आपके मन में भी यह सवाल तो जरूर आ रहा होगा कि इतने शक्तिशाली होने के बाद भी भगवान विष्णु ने मोहिनी के रूप में स्त्री अवतार क्यों लिया। आइए जानते हैं इसके पीछे की कथा...
इसलिए लिया मोहिनी रूप
पौराणिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन में असुरों और देवताओं ने हिस्सा लिया था। मंथन के दौरान समुद्र से अमृत भरा कलश निकला। जिसके बाद असुरों ने अमृत कलश पर कब्जा करना चाहा। क्योंकि अमृत पीकर असुर अमर होना चाहते थे। इसलिए उन्होंने देवताओं से कलश को छीन लिय़ा। जिसके बाद देवताओं में पूरी प्रकृति में राक्षसी प्रवृत्ति फैलने का भय सताने लगा। इसी भय के कारण सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे मदद मांगी। जिसके बाद श्रीहरि नारायण ने असुरों को विचलित करने के लिए अत्यंत सुंदर मोहिनी नामक स्त्री का रूप धारण किया था।
मोहिनी पर मोहित हुए असुर
भगवान विष्णु का मोहिनी स्वरूप इतना आकर्षक था कि जो भी उन्हें देखता वह विचलित हो उठता। जब मोहिनी समुद्र मंथन के स्थान पर पहुंची तो न सिर्फ सभी असुर बल्कि देवता और भगवान शिव भी उन पर मोहित हो गए। इसी स्थिति का लाभ उठाकर उन्होंने देवताओं और असुरों को उनके हाथ से अमृत पीने के लिए राजी किया। जब देवताओं और राक्षसों की इस पर सहमति बन गई तो श्रीहरि ने असुरों के हाथ से अमृत कलश लेकर सभी देवताओं और असुरों को एक कतार में खड़ा कर दिया।
इस दौरान भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप ने सबसे पहले अमृत देवताओं को पीने के लिए दिया। लेकिन इस दौरान एक राक्षस देवता का रूप लेकर अमृत पाने के लिए देवताओं की कतार में लग गया। हालांकि जब तक उस राक्षस को सूर्य और चंद्रदेव ने पहचाना तब तक वह अमृत का सेवन कर चुका था। तभी भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से उसका सिर काट दिया। लेकिन अमृत पीने के कारण वह मरा नहीं और उसका शरीर दो भागों में बंट गया। तब से उस राक्षस को राहु और केतु के रूप में जाना गया।
इस दिन रखा था मोहिनी रूप
भगवान श्रीहरि विष्णु ने वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी रूप धारण किया था। इसीलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।
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