Jagannath Puri Mahaprasad: दुनिया के सबसे बड़े रसोईघर में बनाया जाता है जगन्नाथ मंदिर का 'महाप्रसाद', हैरान कर देंगी ये बातें
ओडिशा के पुरी रथयात्रा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए नीम की लकड़ियों से रथ तैयार किए जाते हैं। यहां एक ऐसा रसोईघर है, जहां पर जगन्नाथ भगवान का प्रसाद तैयार किया जाता है।
इस साल 07 जुलाई से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो गई है। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरूआत होती है और यह दशमी तिथि को समाप्त होती है। जगन्नाथ रथयात्रा ओडिशा के पुरी में होती है। इस यात्रा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए नीम की लकड़ियों से रथ तैयार किए जाते हैं।
इस दौरान न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं। रथयात्रा के दौरान यहां मिलने वाले प्रसाद को 'महाप्रसाद' कहा जाता है, जोकि काफी चर्चा में रहता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको रथयात्रा में मिलने वाला प्रसाद की खासियत के बारे में बताने जा रहे हैं और साथ ही यह भी जानेंगे कि यह प्रसाद कहां-कहां मिलता है।
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महाप्रसाद की रसोई
ओडिशा के पुरी में एक ऐसा रसोईघर है, जहां पर जगन्नाथ भगवान का प्रसाद तैयार किया जाता है। रथयात्रा के दर्शन करने के लिए हर रोज 2,000-2,00,000 के आसपास भक्त आते हैं। इन सभी के लिए इसी रसोईघर में महाप्रसाद तैयार किया जाता है। एक रिपोर्ट की मानें, तो रसोईघर में 500 रसोइए और करीब 300 सहयोगियों द्वारा महाप्रसाद तैयार किया जाता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर माना जाता है।
मुख्य प्रसाद
जगन्नाथ भगवान का मुख्य प्रसाद 'भात' है। पुरी में चावल की खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। जिसको भक्त भी ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद को ग्रहण करने पर भक्त 'जगन्नाथ के भात को जगत पसारे हाथ' कहते हैं। भक्तों के लिए भगवान जगन्नाथ का यह चढ़ाया हुआ प्रसाद बेहद खास होता है। इस खास प्रसाद को खाने को लेकर कई मान्यताएं हैं। इसलिए लंबी कतार में लगे रहकर भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं।
छत्तीसगढ़ का खास प्रसाद
भगवान जगन्नाथ रथयात्रा का प्रसाद सिर्फ ओडिशा में ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में तैयार किया जाता है। यहां पर भगवान जगन्नाथ को चावल की खिचड़ी का भोग नहीं लगाया जाता है। बल्कि यहां पर मालपुए का प्रसाद बनाया जाता है। जांजगीर चांपा जिले के चांपा नगर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए मालपुए बनाए जाते हैं। मालपुआ खाने में काफी ज्यादा टेस्टी होते हैं। यह भारत की सबसे पुरानी मिठाई है और इसका जिक्र करीब 3000 साल पुराने वैदिक युग में भी मिलता है।
ऐसे तैयार किया जाता है महाप्रसाद
बता दें कि हिंदू धर्म में मिट्टी को बेहद पवित्र माना गया है। इसलिए भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है। यह प्रथा पुराने समय से चली आ रही है। जिसको आज भी फॉलो किया जा रहा है। भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद बनाने के लिए सात बड़े मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जाता है। इन बर्तनों को एक के ऊपर एक करके रखा जाता है। यह महाप्रसाद लकड़ियों पर पकाया जाता है।
बाजारों में बिकता है महाप्रसाद
अगर आप भी अपने दोस्तों या फिर परिवार के लिए भगवान जग्ननाथ का महाप्रसाद लेना चाहते हैं, तो मंदिर के आनंद बाजार या फिर प्लेजर मार्ट में महाप्रसाद बेचा जाता है। आनंद बाजार या प्लेजर मार्ट मंदिर के बाहरी परिक्षेत्र के उत्तर पूर्वी कोने पर स्थित है।
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