Gyan Ganga: चाणक्य और चाणक्य नीति पर डालते हैं एक नजर, भाग-6
जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है उसे दूर करो। जिस गुरु के पास अध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो। जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो। जिन रिश्तेदारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो।
चाणक्य कहते हैं----
कुग्रामवासः कुलहीनसेवा । कुभोजनं क्रोधमुखी च भार्या ।।
पुत्रश्च मूर्खो विधवा च कन्या । विनाग्निमेते प्रदहन्ति कायम् ।।
निम्नलिखित बाते व्यक्ति को बिना आग के ही जलाती हैं ...
1. एक छोटे गाँव में बसना जहाँ रहने की सुविधा उपलब्ध न हो।
2. एक ऐसे व्यक्ति के यहाँ नौकरी करना जो नीच कुल में पैदा हुआ हो।
3. जो उचित भोजन का सेवन न करता हो।
4. जिसकी पत्नी हरदम गुस्से में हो।
5. जिसका पुत्र मूर्ख पुत्र हो।
6. जिसकी पुत्री विधवा हो गयी हो।
Meaning- Residing in a small village, devoid of proper living facilities, serving a person born of a low family, unwholesome food, a frowning wife, a foolish son, and a widowed daughter burn the body without fire.
किं तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्री न गर्भिणी ।
कोऽर्थः पुत्रेण जातेन यो न विद्वान्न भक्तिमान् ।।
वह गाय किस काम की जो ना तो दूध देती है और न बच्चे को जन्म देती है। उसी प्रकार उस बच्चे का जन्म किस काम का जो न विद्वान हो और जो न भगवान् का भक्त हो।
Meaning- What good is a cow that neither gives milk nor conceives? Similarly, what is the value of the birth of a son if he becomes neither learned nor a pure devotee of the Lord?
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संसारतापदग्धानां त्रयो विश्रान्तेहेतवः ।
अपत्यं च कलत्रं च सतां सड्गतिरेव च ।।
जब व्यक्ति जीवन के दुःख से झुलसता है तब उसे निम्नलिखित ही सहारा देते हैं ...
1. पुत्र और पुत्री
2. पत्नी
3. भगवान के भक्त
Meaning- When one is consumed by the sorrows of life, three things give him relief: offspring, a wife, and the company of the Lord's devotees.
सकृज्जल्पन्ति राजानः सकृज्जल्पन्ति पण्डिताः ।
सकृत्कन्याः प्रदीयन्ते त्रीण्येतानि सकृत्सकृत् ।।
ये बातें केवल एक बार ही होनी चाहिए..
1. राजा का बोलना।
2. बिद्वान व्यक्ति का बोलना।
3. लड़की का ब्याहना।
Meaning- Kings speak for once, men of learning once, and the daughter is given in marriage once. All these things happen once and only once.
एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभिः ।
चतुर्भिर्गमनं क्षेत्रं पंचभिर्बहुभी रणम् ।।१२।।
जब आप तप करते हैं तो अकेले करें ।
अभ्यास करते है तो दूसरे के साथ करें ।
गायन करते है तो तीन लोग करें ।
यात्रा चार लोग करें।
खेती पाँच लोग करें ।
युद्ध अनेक लोग मिलकर करें ।
Meaning- Religious austerities should be practiced alone, study by two, and singing by three. A journey should be undertaken by four, agriculture by five, and war by many together.
सा भार्या या शुचिर्दक्षा सा भार्या या पतिव्रता ।
सा भार्या या पतिप्रीता सा भार्या सत्यवादिनो ।।
वही अच्छी पत्नी है जो शुचिपूर्ण है, पारंगत है, शुद्ध है, पति को प्रसन्न करने वाली है और सत्यवादी है।
Meaning- She is a true wife who is clean (suci), expert, chaste, pleasing to the husband, and truthful.
अपुत्रस्य गृहं शून्यं दिशः शुन्यास्त्वबांधवाः ।
मूर्खस्य हृदयं शून्यं सर्वशून्या दरिद्रता ।।
जिस व्यक्ति के पुत्र नहीं है उसका घर उजाड़ है। जिसे कोई सम्बन्धी नहीं है उसकी सभी दिशाए उजाड़ है। मूर्ख व्यक्ति का ह्रदय उजाड़ है। निर्धन व्यक्ति का सब कुछ उजाड़ है।
Meaning- The house of a childless person is a void, all directions are void to one who has no relatives, the heart of a fool is also void, but to a poverty-stricken man all is void.
अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम् ।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृध्दस्य तरुणी विषम् ।।
शस्त्र का अभ्यास नहीं करने से वह जहर है। जिसका पेट ख़राब है उसके लिए भोजन जहर है। निर्धन की गोष्ठी जहर है और वृद्ध व्यक्ति के लिए युवती जहर है।
Meaning- Scriptural lessons not put into practice are poison; a meal is poison to him who suffers from indigestion; a social gathering is poison to a poverty-stricken person; and a young wife is poison to an aged man.
त्यजेध्दर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत् ।
त्यजेत्क्रोधमुखीं भार्यान्निः स्नेहानबंधवांस्त्यजेत् ।।
जिस व्यक्ति के पास धर्म और दया नहीं है उसे दूर करो। जिस गुरु के पास अध्यात्मिक ज्ञान नहीं है उसे दूर करो। जिस पत्नी के चेहरे पर हरदम घृणा है उसे दूर करो। जिन रिश्तेदारों के पास प्रेम नहीं उन्हें दूर करो।
Meaning- That man who is without religion and mercy should be rejected. A guru without spiritual knowledge should be rejected. The wife with an offensive face should be given up, and so should relatives who are without affection.
अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बंधनं जरा ।
अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ।।
सतत भ्रमण करना व्यक्ति को बूढ़ा बना देता है। यदि घोड़े को हरदम बांध कर रखते है तो वह बूढा हो जाता है। यदि स्त्री अपने पति के साथ प्रणय नहीं करती हो तो बूढ़ी हो जाती है। धूप में रखने से कपडे पुराने हो जाते हैं ।
Meaning-Constant travel brings old age upon a man; a horse becomes old by being constantly tied up; lack of sexual contact with her husband brings old age upon a woman; and garments become old through being left in the sun.
शेष अगले प्रसंग में ------
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव ----------
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।
- आरएन तिवारी
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